“NCERT will not teach Ramayana and Mahabharata in schools.”
NCERT – राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के द्वारा की गई इस घोषणा से लगभग सभी हिंदुओं के मन को ठेस पहुंचने वाली है।
सनातन🚩समाचार🌎 एक तरफ जहां लगभग सभी हिंदू अपने मन में यह आस लगाए बैठे थे की बहुत जल्दी ही स्कूलों में श्री रामायण और महाभारत जैसे हिंदू ग्रंथ पढ़ाए जाएंगे तो वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद ने रामायण और महाभारत को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने की अटकलों को सिरे से खारिज कर दिया है।
दरअसल पहले एक उच्च स्तरीय पैनल ने एनसीईआरटी को यह सिफारिश की थी की स्कूलों में बच्चों को रामायण और महाभारत महाकाव्य को पढ़ाया जाना चाहिए। इसके बाद अटकलें का बाजार गर्म हो गया था की अब स्कूलों में बच्चे श्री रामायण और महाभारत जैसे धार्मिक ग्रंथ भी पढ़ सकेंगे। किंतु अब सभी अटकलों पर एनसीआरटी ने विराम लगा दिया है। बता दें की एक उच्च स्तरीय पैनल के अध्यक्ष और इतिहासकार रिटायर्ड प्रोफेसर सी. आई. आई जैक के नेतृत्व वाली सामाजिक विज्ञान कमेटी ने कथित तौर पर इतिहास के पाठ्यक्रम को तीन की बजाय चार खंडों में करने के की सिफारिश की थी।
साथ ही वर्तमान पाठ्यक्रम में भी कई संशोधन किए जाने का प्रस्ताव दिया था। इसके बारे में अब एनसीईआरटी ने कहा है कि ऐसी कोई कमेटी नहीं है और प्रोफेसर आई जैक ने जो कुछ भी कहा है वह उनके निजी राय है। शिक्षा निकाय ने उनकी सभी बातों को नकारते हुए एतराज भी जताया है। प्राप्त हुई जानकारी के अनुसार यह सुझाव जुलाई महीने में बनाई गई 19 सदस्य राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शिक्षक सामग्री समिति और एसटीसी को भेजे गए थे। यह समिति हर कक्षा के लिए पाठ्यक्रम पाठ्यपुस्तकें और शिक्षण सामग्री बनाने का कार्य करती है।