“Jai Mata Di” Himachal: In the month of Shravan, lakhs of people go to the temple of Mother Chintpurni, the people who place Bhandara on the way are very sad because.”
हिंदुओं की श्रद्धा, पैसा, और मंदिर, परंतु सरकारें जी भर कर दोहन कर रही हैं हिंदुओं की श्रद्धा का।

मां का दरबार
सनातन 🚩समाचार🌎 अपने देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मां दुर्गा जी के अनेकों शक्तिपीठ हैं जिनकी संख्या 52 बताई जाती है। परंतु कहीं-कहीं इससे अधिक होने के भी प्रमाण हैं। इन्हीं शक्तिपीठों में से एक है हिमाचल प्रदेश का प्रसिद्ध मां छिन्नमस्तिका/चिंतपूर्णी शक्ति पीठ। यहां पर सारा साल हिंदू भारी संख्या में जाते हैं विशेषतःरविवार के दिन तो यहां पर बहुत ज्यादा भीड़ रहती है। यहां पर पहुंचने वाले श्रद्धालु मां चिंतपूर्णी जी से मनचाहे वरदान लेकर जाते हैं। अनेकों भक्तजन इस स्थान की पैदल यात्रा करते हैं और कई भक्तजन तो दंडवत प्रणाम करते हुए भी मां के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचते हैं।
इस स्थान पर विशेषकर श्रावण मास में बहुत अधिक श्रद्धालु पहुंचते हैं और श्रावण के नवरात्रों में तो यहां पर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो जाती है।
“यहां बहुत खास बात यह है कि श्रावण मास की सप्तमी के दिन मंदिर के नजदीक आसमान में 9 पवित्र ज्योतियां प्रकट होती हैं, जो धीरे-धीरे आसमान में चलती हुई मंदिर के उस वट वृक्ष में आकर समा जाती हैं जिसके नीचे मां चिंतपूर्णी जी पिंडी स्वरूप में विराजमान हैं।”
भंडारा समितियों द्वारा बहुत जबरदस्त सेवा
श्रावण मास में हिमाचल की सीमा पर पड़ते पंजाब के होशियारपुर से ही सारे रास्ते में अनेकों लंगर समितियों के द्वारा लंगर भंडारे लगाए जाते हैं। इन लगाए गए भंडारों की संख्या इतनी अधिक होती है कि आप प्रत्येक भंडारे से बहुत थोड़ा-थोड़ा खाकर भी सभी भंडारों से प्रसाद नहीं ले सकते हैं। और खास बात ये भी की लंगर कमेटी के द्वारा लगाए गए यह लंगर साधारण भी नहीं होते हैं इनमें कोई लड्डू बांटता है कोई पूरी छोले बांटता है कोई भटूरे बांटता है कोई नूडल कोई मंचूरियन कोई आइसक्रीम कुल्फी कोई मटर पनीर इत्यादि।
यानी हर प्रकार के स्नेक्स और भोजन आपको रास्ते में पढ़ते इन लंगरों में मिल जाता है। साथ ही लंगर सेवादारों के द्वारा वहां पर दरिया बिछाई जाती हैं, कुर्सियां रखी जाती हैं, ऊपर पंखे भी लगा दिए जाते हैं ताकि जो लोग बहुत दूर-दूर से पैदल चलकर आ रहे हैं वह यहां पर विश्राम कर सकें। अनेकों स्थानों पर यात्रियों के लिए शौचालय इत्यादि की भी व्यवस्था की जाती है।
यात्रियों की सेवा करने वालों से बीस बीस हजार लिए गए हैं।
सनातन 🚩समाचार🌎 ने इस सारी यात्रा के दौरान यह सब कुछ अपनी आंखों से देखा है, और उसकी जगह जगह पर वीडियो रिकॉर्डिंग भी की है। बेशक हमारी है यात्रा बहुत सुखद और भावविभोर कर देने वाली रही परंतु इसके साथ ही हमें जितने भी लंगर कमेटी वाले मिले उन सभी सब ने समान रूप से अपनी एक पीड़ा बताई की हिमाचल सरकार के द्वारा हमसे ₹20000 लेकर हमें यहां श्रद्धालुओं की सेवा करने की अनुमति दी है। बताया गया है कि ₹10000 लंगर के बाल बाद अधिकारी के द्वारा साफ सफाई की जांच करने के बाद लौटा दिए जाएंगे, परंतु ₹10000 वापस नहीं किए जाएंगे।
सरकार की ओर से यात्रियों के लिए कोई सुविधा नहीं।
हमारी जानकारी के अनुसार इस सारे रास्ते में लगभग 200 लंगर तो अवश्य ही लगे हुए हैं 200 भंडारा का मतलब दो करोड रुपए सरकार के खाते में चला गया। परंतु हिंदुओं से इतना पैसा वसूल किए जाने के बावजूद हमें सारे रास्ते में सरकारी तौर पर कोई भी भोजनालय, शौचालय, विश्राम स्थल,कोई प्याऊ दिखाई नहीं दिया। यह सारी सेवाएं लंगर समितियों के द्वारा यात्रियों को निशुल्क प्रदान की जा रही थीं। हिमाचल में हिंदुओं के सभी प्रसिद्ध तीर्थों पर सरकार का कब्जा है, वहां का सारा चढ़ावा सरकार के पास जाता है। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है की इस सब के बावजूद श्रद्धालु यात्रियों की सेवा करने के लिए लगे लोगों से भी ₹10000 वसूलना कहां तक उचित है ?
जबकि पैसा हिंदुओं का, श्रद्धा हिंदुओं की, देवी देवता हिंदुओं के, मंदिर हिंदुओं के फिर भी हिंदुओं पर इस प्रकार का यह जजिया टैक्स क्यों आखिर क्यों ❓
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