“Hurt by the lies of anti-Hindu media, Mahant ji cried and said big thing.”
मीडिया का हिंदू द्रोह कोई नही बात नहीं है इसका काम ही हिंदुओं को अपमानित करना है।
सनातन🚩समाचार🌎 अब यह बात कोई छिपी हुई है नहीं रही है कि हिंदुस्तान में चल रहा मीडिया पूरी तरह हिंदू द्रोही है। केवल एक सुदर्शन न्यूज़ चैनल को छोड़कर सभी सारा मीडिया हिंदू द्रोही है। कभी कभार यह लोग दिखावे के लिए हिंदुत्व की बात कर भी देते हैं परंतु इनका एजेंडा तो हमेशा से हिंदू द्रोही ही रहा है। यह हिंदू द्रोही मीडिया लगातार कभी हिंदू त्योहारों पर तो कभी हिंदू संस्कारों पर सवाल खड़ा करता रहता है, और इसके साथ ही यह मीडिया हिंदू संतो का तो बहुत बड़ा दुश्मन है ही।
हिंदूद्रोही द लल्लनटॉप
इसी कड़ी में “द लल्लनटॉप” ने कुछ ऐसा झूठ दुनिया के सामने परोस दिया है जिससे व्यथित होकर हिंदुओं के एक महंत जी की आंखों में आंसू आ गए और उन्होंने अपने पद का ही त्याग कर दिया है। दरअसल ज्ञानवापी के बारे में हिंदूद्रोही द लल्लनटॉप ने काशी करवट के महंत श्री गणेश शंकर उपाध्याय का नाम लेकर यह चला दिया था की ज्ञानवापी ढांचे में शिवलिंग नहीं है बल्कि फव्वारा है। मीडिया द्वारा परोसे गए इस झूठ से आहत होकर महंत जी ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है। अब उनके स्थान पर दिनेश शंकर उपाध्याय जी को नया महंत बनाया गया है।
बड़ी बात
इस बारे में बहुत आहत मन से महंत गणेश शंकर जी ने कहा है कि लल्लनटॉप द्वारा चलाई गई झूठी खबर से वह बहुत दुखी हैं। उन्होंने कहा है कि एक एजेंडे के तहत चलाई गई इस खबर से वह बेहद आहत हुए हैं, और अब वह खुद इस पद पर आसीन नहीं रहना चाहते हैं। साथ ही उन्होंने यह बड़ी बात भी कही है कि इस तरह की हरकतें करने वालों को भगवान सजा अवश्य देंगे। अपने वक्तव्य में पूर्व महंत गणेश शंकर उपाध्याय जी ने कहा है कि मैं आज अभी इस सभा में महंत पद की गरिमा मर्यादा और निर्बाध परंपरा के रक्षा के लिए अपने पद का त्याग करता हूं।
असतो मा सद्गमय ।
तमसो मा ज्योतिर्गमय ।
मृत्योर्मा अमृतं गमय ।
हर हर महादेव।।
हिंदू द्रोही मीडिया के झूठ से दुखी होकर रोते हुए महंत जी ने कहा है कि इन 9 दिनों में मुझे बेहद कष्ट हुआ है इन कष्टों के प्रायश्चित स्वरूप वर्तमान में मैं इस पद को साथ लेकर चलने में असमर्थ हूं। इस घटनाक्रम के क्षोभ की अग्नि में मेरी स्वभाविक सौम्यता आहूत हो गई है। इस मानसिक वेदना से मैं बहुत अधिक व्यथित हूं। बता दें कि लल्लन टॉप द्वारा फैलाए गए झूठ के बारे में गणेश शंकर उपाध्याय जी ने पहले कहा था कि क्या लोग अंधे हैं ? उन्हें दिखाई नहीं दे रहा है पूरे ज्ञानवापी में हिंदू मंदिर होने के प्रमाण मौजूद हैं। ज्ञानवापी के ऊपर नीचे अगल-बगल चारों तरफ प्रमाण पड़े हुए हैं।
तोड़ मरोड़ कर परोसा गया है
उन्होंने यह भी कहा है कि लल्लनटॉप ने उन्हें वर्गलाकर कुछ का कुछ कलवा लिया और अब घुमा फिरा कर यह सिद्ध कर रहा है कि मैंने कहा है कि वह शिवलिंग नहीं बल्कि फवारा है। परेशान महंत गणेश शंकर जी का कहना है कि एक षड्यंत्र के चलते हैं उनकी बातों को तोड़ मरोड़ कर परोसा गया है ताकि हिंदुओं में विभेद पैदा किया जा सके ताकि एकजुट ना हो सकें। उन्होंने ऐसा करने वालों को विधर्मी विधर्मी घोषित करते हुए कहा था कि ऐसे लोगों को पहचानने की आवश्यकता है।
यहां बताने की आवश्यकता नहीं है कि इन महंत जी के साथ जो हुआ है यह कोई पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी यह हिंदू द्रोही मीडिया हिंदुओं के बड़े-बड़े संतो को बहुत बुरी तरह बदनाम कर चुका है। यह वही मीडिया हैं जो किसी भी पादरी अथवा मौलाना पर अपराध साबित होने पर भी मौन हो जाता है और वहीं हिंदुओं के किसी भी संत पर मात्र आरोप लगने से ही दिन रात हो हल्ला करता है और उन्हें बदनाम करता है।
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