“Navratri: Mother Durga ji is a powerful Jagatjanani weapon holder, do all this in these days to protect her religion.”
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः 🙏🙏🙏
स्मरण🚩समाचार🌎मां दुर्गा जी की महिमा अपरंपार है। प्रत्येक सनातनी मां दुर्गा जी को नमस्कार करता है। मां दुर्गा जी का प्रदुर्भाव ही प्राणी मात्र के शत्रुओं का संहार करने के लिए हुआ है। बताने की आवश्यकता नहीं है कि मां दुर्गा जी अपने आप में एक प्रबल शक्ति का पुंज हैं। शास्त्रों में भगवती जी के नौ स्वरूपों का वर्णन किया गया है। यह सभी नौ स्वरूप भिन्न-भिन्न शक्तियों से सुसज्जित हैं। शास्त्रों में से मिले विवरण के अनुसार जब दैत्यों/अधर्मीयों/विधर्मियों के द्वारा देवताओं/सात्विक जनों को बहुत सताया गया तब उनकी पुकार सुनकर शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा जी ने प्रकट होकर उन सभी विधर्मियों का वध कर डाला था जिन्होंने पृथ्वी पर अधर्म फैलाने की चेष्टा की थी।
जबरदस्त प्रेरणा
यहां एक बात ध्यान देने वाली ही है कि सनातन धर्म के अनुसार निसंदेह अत्याचार करना बहुत गंभीर अपराध है, परंतु यह भी प्रमाणिक है की सनातन धर्म में भयंकर बदला लेने का भी विधान सुनिश्चित है। इसी विधान के अंतर्गत ही मां दुर्गा जी ने सभी दैत्यों का संहार करके उन देवताओं पर हुए अत्याचारों का भयंकर बदला लिया था। मां दुर्गा जी का सारा चरित्र हिंदुओं के लिए बहुत जबरदस्त प्रेरणा देने वाला है। परंतु दुर्भाग्य से हिंदू शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा से कोई भी प्रेरणा नहीं लेते हैं, और सबसे बड़ा दुर्भाग्य तो यह है कि अब हिंदुओं ने मां दुर्गा जी को मनोरंजन का साधन ही मान लिया है। कहीं पर भी जागरण, कीर्तन अथवा मां की चौकी होती है वहां पर धड़ाम धड़ाम करके बाजे बजाए जाते हैं और हिंदू बेतहाशा नाचते हैं।
बहुत बड़ा अधर्म है
इतना ही नहीं मां दुर्गा के स्वांग बनाए हुए भांडों और भांडनियों को नचवाया भी जाता है, जो बहुत ही नीच एवं निंदनीय कार्य है। कोई भी व्यक्ति सहन नहीं कर सकता है कि उसकी मां किसी महफ़िल में नाचे परंतु अनजाने में हिंदू अपनी जगत जननी मां को (उनके स्वरूप बनाए हुए भांडों को) मंचों पर नचवाते हैं। यह बहुत बड़ा अधर्म है और शर्म की बात है।
ये भी जानें कि नवरात्रि के दिनों में क्या करना चाहिए और क्या नहीं ?
2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि आरंभ हो चुके है। इस दौरान माता रानी की विशेष साधना की जाती है। साधना के दौरान कुछ नियमों का पालन करना अति आवश्यक है। आइए जानते हैं कि नवरात्रि के दिनो मे क्या करें और क्या नहीं।
नवरात्रों के दिनो मे मां दुर्गा जी के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है। ये नौ रूप हर तरह की सिद्धि और शक्ति देने वाले हैं। इन नौ दिनों में यदि माता का कोई भक्त सच्चे मन से उनकी आराधना करता है तो उसके जीवन के हर संकट को माता दूर कर देती है। ऐसे व्यक्ति की मनोकामना जरूर पूरी होती है। इस बीच हर प्रकार के धार्मिक आयोजन किए जाते हैं। घरों में घटस्थापना और अखंड ज्योति जलाई जाती है। सभी भक्त नौ दिनों तक व्रत रखते हैं और जो नहीं रख पाते वो पहले और आखिरी दिन व्रत रखते हैं।
जय भवानी
इस बार चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल से आरंभ हो चुके हैं। अगर आपकी भी कोई खास कामना है, जिसकी पूर्ति के लिए आप माता से प्रार्थना करना चाहते हैं, तो नवरात्रि के दौरान कुछ नियमों का ध्यान अवश्य रखें। यहां जानिए वो काम जो मा को प्रसन्न करते हैं और जिन्हें हर भक्त को नवरात्रि के दौरान अवश्य करना चाहिए, साथ ही उन कामों के बारे में भी जानिए जिन्हें भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
निरंतर जलता रहे
अगर आप घर पर घट/कुंभ स्थापना करते हैं, तो नियमित रूप से नियमों का पालन करें और नौ दिनों तक माता की पूजा के समय कलश पूजन जरूर करें। इस दौरान घर में ज्वार भी बोएं तथा घर में अखंड दीपक जलाएं जो नवरात्रि के समापन तक निरंतर जलता रहना चाहिए। अगर आप घट स्थापना नहीं भी करते हैं, तो भी अखंड दीपक अवश्य जलाएं।
माता रानी को लाल रंग अति प्रिय है। नौ दिनों तक लाल रोली, लाल सिंदूर, लाल पुष्प माता जी को चढ़ाएं। नवरात्रि के बीच किसी भी दिन माता को लाल चुनरी भी पहनाएं।
ऐसी मान्यता है कि माता जी को सोलह शृंगार का सामान चढ़ाने से पति के जीवन के संकटों का अंत होता है। आप नवरात्रि के दौरान किसी दिन मातारानी को लाल रंग की साड़ी या चुनरी के साथ सोलह शृंगार का सामान अवश्य भेंट करें।
नियमित रूप से मा के मंत्रों का जाप करें। इससे आपको उनसे शक्ति और आशीर्वाद प्राप्त होगा। श्री दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। प्रातः और सायं काल के समय घर में मातारानी जी की आरती करें।
ये काम हैं वर्जित ……..
यदि घर में घट स्थापना की है या अखंड दीपक जलाया है तो घर को अकेला छोड़कर किसी भी स्थिति में शहर से बाहर न जाएं। इसे शुभ नहीं माना जाता।
अगर व्रत नहीं भी रखा है, तो भी घर में खानपान सात्विक रखें। मांस, मदिरा या शराब का सेवन न करें साथ ही प्याज और लहसुन आदि तामसिक भोजन से भी परहेज करें।
इन नौ दिनों में ब्रह्मचर्य का पालन अवश्य करें। निंदा चुगली से बचें। मन को शुद्ध रखें। किसी का दिल न दुखाएं।
विशेष : यहां दी गई सभी जानकारियां विशुद्ध धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। जय माता दी।।