“It is very touching and understandable, if you also commit this crime then this is for you.”

धर्म के नाम पर मनोरंजन _ ठुमके _ दिखावा _ विधर्मियों के गाने।।

भारी मन से ये चित्र डाला गया है।

सनातन 🚩समाचार🌎 पिछले लगभग 10 सालों से हिंदू समाज में एक नया ही चलन चल पड़ा है, वह है धर्म के नाम पर मनोरंजन करने का। आज जहां भी जाओ जहां भी देखो वहीं पर जागरण हो, श्री सुंदरकांड का पाठ हो अन्यथा कोई भी कथा या कीर्तन, सभी जगह आज केवल और केवल मनोरंजन हो रहा है और कुछ नहीं (कहीं कहीं भक्ति भी होती है) इसके साथ ही यह और भी दुर्भाग्यपूर्ण है की अब तो सनातनी आयोजनों में विधर्मी गायकों को बुलाकर उछल कूद की जा रही है जोकि बहुत भयंकर पाप है। आइए थोड़ी चर्चा करते हैं इसी संदर्भ में …….

सुन्दरकाण्ड की बुकिंग करने के बाद
कई लोग फोन लगा कर कहते हैं , कि
अच्छे से करना, मज़ा आ जाए एक दम.

वैसे तो हम फलानी मंडली को बुलाते,
पर आपके बारे में सुना तो सोचा
आपको बुलाएँ , इसलिए
ऐसा सुन्दरकाण्ड करना कि
माहौल बन जाए.

👆🏽 ऐसी बातें सुनकर लगता है कि
जैसे सुन्दरकाण्ड के लिए नहीं बल्कि
मुजरा करवाने के मकसद से
बुलाया जा रहा है.

🤔 सच में
क्या अजीब मानसिकता हो गई है
आज लोगों की ?
सुन्दरकाण्ड जैसी
अद्धभुत हनुमान कथा को
मनोरंजन बना कर रख दिया है.

        और ऐसा भी नहीं है कि 
वह सुन्दरकाण्ड की चौपाई सुनकर
      आनंदित होना चाहते हैं. 
   नहीं ..!! वह सुनना चाहते हैं ...
   तड़कता-भड़कता हुआ संगीत 

और साथ में तथाकथित भजन
(जिन्हें भजन कहते भी लाज आती है)

हम सभी कहते हैं कि …. हमें अपनी
संस्कृति बचानी है, धर्म बचाना है ,
तो क्या ऐसे बचेगी संस्कृति ?
हमने हर धार्मिक आयोजन में तो
मनोरंजन घुसेड़ दिया है
और फिर
धर्म बचाने की बात करते हैं.

सुन्दरकाण्ड एक बहुत सामर्थ्यशाली,
ऊर्जा प्रदायक, प्रेरणादायक,
समाधान कारक,
प्रबंधन के सूत्रों से भरा
और शाँति देने वाला
एक अमूल्य साधन है,

पर हमने आज उसी सुन्दरकाण्ड को
इतना फूहड कर रखा है कि
क्या ही कहा जाए और इसीलिए
सुन्दरकाण्ड कराने का फल
हमें नहीं मिल पाता क्योंकि हम
सुन्दरकाण्ड के प्रति
अपना भाव ही नहीं रखते बल्कि
हमारा पूरा ध्यान
मात्र ठुमके लगाने पर होता है.

आश्चर्य तो तब होता है, जब लोग 
मुँह में गुटखा भरकर, बीच-बीच में 

चाय और शरबत की चुसकियाँ लेकर
सुन्दरकाण्ड पाठ करते हैं और इसमें
सबसे बड़े सहयोगी होते हैं आयोजक
जो कि बीच-बीच में शरबत और चाय
पेश करते हैं.

सुन्दरकाण्ड कराते समय
एक आसन पर स्थिर होकर बैठना चाहिए.
अगर बहुत जरूरी हो तो
पानी लिया जा सकता है , पर
बीच-बीच में पार्टी की तरह
शरबत और चाय लेकर घूमना
नहीं चाहिए.

अतः निवेदन है कि अपनी संस्कृति और
धर्म का उपहास न बनाएं.
सुन्दरकाण्ड,जागरण,कथा,कीर्तन मनोरंजन का साधन नहीं है
बल्कि धर्म के सरेष्ठ आयोजन हैं। सुंदरकांड में श्री हनुमान जी का
पवित्र चरित्र है.

🙏

अपने देश, धर्म, संस्कृति पर गर्व कीजिये
और …. इसकी रक्षा कीजिये.

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By Ashwani Hindu

अशवनी हिन्दू (शर्मा) मुख्य सेवादार "सनातन धर्म रक्षा मंच" एवं ब्यूरो चीफ "सनातन समाचार"। जीवन का लक्ष्य: केवल और केवल सनातन/हिंदुत्व के लिए हर तरह से प्रयास करना और हिंदुत्व को समर्पित योद्धाओं को अपने अभियान से जोड़ना या उनसे जुड़ जाना🙏

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