प्रकृति का अकाट्य नियम – क्रिया की प्रतिक्रिया अवश्य होती ही है।
सनातन🚩समाचार🌎0 वर्तमान में जो समय देश में चल रहा है यह कोई नई बात नहीं है कई 100 सालों से यही सब कुछ होता आ रहा है। यह बात अलग है कि अब हर हाथ में एंड्रॉयड फोन है सोशल मीडिया है। विश्व भर में कहीं भी कोई घटना या दुर्घटना होती है तुरंत एक क्लिक से वह सारी दुनिया में फैल जाती है। जिस कारण अब निरंतर होने वाली घटनाओं का पता हिंदुओं को तुरंत चल जाता है।
अभी कुछ वर्षों से ही जो देश के हालात रहे हैं और बहुत सारे लोगों के द्वारा जो हिंदुओं के प्रति विश वमन किया गया है वह जगजाहिर है। कभी कोई हिंदुओं को 15 मिनट में खत्म कर देने की धमकी देता है, कभी कोई हिंदुओं के देवी देवताओं को सरेआम माइक पर अपमानित कर देता है, कोई हिंदुओं के हिंदुत्व पर सवाल उठाता है, कोई कहता है हिंदू मंदिरों में लड़की छेड़ने जाते हैं।
यही नहीं पिछले काफी समय में अदालतों के द्वारा भी ऐसे बहुत सारे निर्णय हिंदुओं के लिए आए हैं जो हिंदुओं की धार्मिक आस्थाओं को आहत करने वाले रहे हैं। इन सबके चलते स्वभाविक ही हैं की इन सभी होने वाली क्रियाओं की प्रतिक्रिया तो अवश्य ही होनी थी। जब लगातार हिंदुओं के ऊपर इस तरह आघात होते रहे तो हिंदुओं में से भी कुछ लोग इसका प्रतिकार करने लगे।
इनमें एक नाम उभरा था कमलेश तिवारी, जिन की गला काटकर हत्या कर दी गई। उसके बाद यति नरसिंहानंद गिरी जी, महाराज कालीचरण जी और वसीम रिजवी से हिंदू बने जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी। इन सभी ने भी हिंदुओं के ऊपर हो रहे आघातों की क्रिया के विरोध में अपने विचार व्यक्त किए जिस के अपराध में यह लोग अब जेलों में पहुंचा दिए गए हैं।
इससे पहले हिंदुओं के बहुत बड़े संत 86 वर्ष के बुजुर्ग संत श्री आसारामजी बापू को भी जेल भेज दिया गया था। यह बात अलग है की दिल्ली का शाही इमाम हो या मौलाना साद या असदुद्दीन ओवैसी या तौरिक रजा अथवा पंजाब का मोहम्मद मुस्तफा, इन्हें आज तक कोई भी सरकार पकड़ नहीं सकी है। इन सब घटनाओं के चलते श्री हरिद्वार में हुई धर्म संसद के बाद यती नरसिंहानंद गिरी और जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी की गिरफ्तारी से अब संतों में गुस्सा बढ़ रहा है। यह पहली बार है कि अब संत भी हिंदू और हिंदुत्व की बात करने लगे हैं, वरना संत जन पहले तो हमेशा कथा वार्ताओं तथा अध्यात्म तक ही सीमित रहते थे।
लगता है कि अब संतो को भी अपने अस्तित्व पर खतरा मंडराता हुआ दिखने लगा है, जिसके चलते उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में ‘संत सम्मेलन’ का आयोजन किया गया है। इस सम्मेलन में भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया गया है तथा मुस्लिमों का अल्पंसख्यक दर्जा खत्म करने की माँग भी की गई है। इस संत सम्मेलन में देश के कई हिस्सों के कई संत शामिल हुए। ये संत सम्मेलन 29 जनवरी, 2022 (शनिवार) को आयोजित हुआ था।
इस संत सम्मेलन में शामिल एक अन्य संत जी ने कहा, “भारत का संविधान और भारत की शासन व्यवस्था इस देश की सनातन संस्कृति के अनुरूप होनी चाहिए। यहाँ हिन्दू के हितों का रक्षण होना चाहिए। हिन्दू हितों का रक्षण सर्वोपरि होना चाहिए। इस देश में जो अल्पसंख्यक के नाम पर राजनीति हो रही है। अल्पसंख्यक यहाँ से समाप्त होना चाहिए। इस देश में कोई अल्पसंख्यक नहीं है। यहाँ समान नागरिक, समान अधिकार, समान कानून और समान कर्तव्य होने चाहिए। यही मुद्दे आज यहाँ पर उठाए गए।
इस संत सम्मेलन के आयोजक आनंद स्वरूप जी ने आगे कहा की प्रशासन ने हमें धर्म संसद का नाम बदलने को नहीं कहा। नीचे आयोजक में धर्म संसद संचालक समिति लिखा हुआ है। इस देश को धर्माचार्य दिशा देते रहे हैं और वही चलाएँगे। धर्म संसद के माध्यम से हमने नई दिशा देने का काम किया है। निश्चित रूप से जिनके लिए खतरे की घंटी है कि कहीं हमारी दुकान न बंद हो जाए वो लोग धर्म संसद को फेल करने के षड्यंत्र में शामिल हैं। फिर भी यह अब तक का सबसे बड़ा संत सम्मेलन है। मंच पर तमाम वरिष्ठ संत मौजूद थे। उनके ही नेतृत्व में यह सभा की गई है। कल रात से ही प्रशासन के लोग संतों को प्रताड़ित किए हैं।
आनंद स्वरूप जी ने ये भी कहा की जेल में बंद जो हमारे 2 धर्म योद्धा हैं – उनको 1 सप्ताह के अंदर अगर रिहा नहीं किया गया तो यह आंदोलन बहुत उग्र होगा। उग्र ही नहीं, यह परिणाम बहुत भयानक होगा। हो सकता है कि जैसा भगत सिंह का एसेम्ब्ली कांड हुआ वैसा ही न हो जाए। यहाँ आज 3 प्रस्ताव पारित किए गए हैं। इनसे सरकार को भी अवगत कराया जाएगा। मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से भी संदेश जा रहा है। अभी गाँव – गाँव में धर्मसंसद होगी।” बता दें किस समय हिंदुओं की बुलंद आवाज उठाने वाले दो व्यक्ति जेल में हैं एक हैं यति नरसिंहानंद गिरी जी और दूसरे हैं वसीम रिजवी से हिंदू बने जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी।
इस सम्मेलन में एक संत जी ने कहा की चाहे देश का प्रधानमंत्री हो या उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री हो, हिन्दू राष्ट्र को कोई रोक नहीं सकता। यह मेरी भविष्यवाणी है कि आने वाले 2023 तक भारत हिन्दू राष्ट्र होगा। और जो इस पर राजनीति करेगा वही अखंड भारत का अगला प्रधानमंत्री होगा। इसी के साथ जय श्रीराम और जय हिन्दू राष्ट्र के नारे लगते हैं।
वर्तमान समय में श्री प्रयागराज में माघ मेला चल रहा है। वहाँ देश विदेश से साधु – संत और श्रद्धालु जन आए हुए हैं। ये सम्मेलन ब्रह्मर्षि आश्रम ट्रस्ट शिविर परिसर में आयोजित हुआ था। इस सम्मेलन में संतों द्वारा देश की सवा सौ करोड़ जनता से स्वयं ही देश को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की अपील की गई है।
If our 2 Dharma Warriors are not released, the consequences will be dire: Sant Sammelan warns
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