“Babri Masjid is still alive, all idols will be removed, only Allah’s name will remain.”
बाबरी मस्जिद अभी जिंदा है। मस्जिद वहीं थी, वहीं है और इंशाअल्लाह आगे भी वहीं रहेगी।
श्री राम जन्मभूमि की जय हो, भगवान श्री राम की जय हो। क्या ये बातें हिंदू हमेेशा कह पाएंगे ?
सनातन 🚩समाचार🌎 यह एक प्रमाणिक तथ्य है कि हिंदुस्तान में संविधान का या कानून का शासन नहीं है यहां पर शासन है केवल वोट का जिनकी वोट ज्यादा उन्हीं की वैल्यू ज्यादा उन्हीं के पार्षद उन्हीं के मंत्री उन्हीं के मुख्यमंत्री बनते हैं जिससे स्पष्ट हैं की वोटों का ही राज है देश में और उसके साथ यह भी एक सच्चाई है कि हिंदुस्तान में हिंदुओं की जनसंख्या यानी वोटों की संख्या लगातार घट रही है।
बहुत लंबे संघर्ष के बाद आखिर अदालत के आदेश से हिंदुओं ने अपने आराध्य भगवान श्री राम जी की जन्म स्थली पर भव्य मंदिर बना तो लिया है परंतु यह एक विचारणीय प्रश्न है की यह भव्य मंदिर कब तक टिका रह पाएगा ? क्योंकि मंदिरों के श्रद्धालुओं की गिनती लगातार घट रही है और उधर वह लोग भी हैं जो अब भी कह रहे हैं।
‘यह जमीन अल्लाह की… यहाँ से सभी बुत (मूर्तियाँ) उठवा दी जाएँगी’:
यह ऐसी खबर है जो हिमाचल और गुजरात के चुनावों के मोहल्ले में दब कर रह गई हटाने की आवश्यकता नहीं है की 6 दिसंबर को हिंदुओं के द्वारा शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। वहीं दूसरी ओर बाबरी मस्जिद को चाहने वालों की ओर से इस दिन को काला दिवस मनाया जाता है। उनके अनुसार इस दिन बाबरी मस्जिद को शहीद किया गया था इसी को सामने रखकर उत्तर प्रदेश में स्थित अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU, Aligarh) में मुस्लिम छात्रों ने 6 दिसंबर बाबरी ढाँचे के गिराने की बरसी को काला दिवस के रूप में मनाया और आपत्तिजनक नारे लगाए।
इस दौरान छात्रों ने ‘जब अरजे खुदा के काब से, सब बुत उतरवाए जाएँगे’ की तख्तियाँ पकड़ी हुई थीं और ‘मस्जिद वहीं थी, वहीं है और आगे भी वहीं रहेगी’ के नारे भी लगाए। AMU के छात्रों द्वारा किए गए इस प्रदर्शन के बारे में अलीगढ़ के भाजपा के जिला उपाध्यक्ष गौरव शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 6 दिसंबर को काला दिवस मनाने पर रोक लगाई हुई है। इसके बाद भी AMU में इसे काला दिवस के रूप में मनाया गया। उन्होंने इस मामले की जाँच की माँग की है।
विश्वविद्यालय के छात्र नेता मोहम्मद फरीद के नेतृत्व में मंगलवार (6 दिसंबर 2022) को बड़ी संख्या में मुस्लिम छात्र कैंटीन में एकजुट हुए और वहाँ से डक प्वाइंट तक जलूस की शक्ल में पहुँचे। इस दौरान छात्रों ने नारे लगाए “बाबरी मस्जिद अभी जिंदा है। मस्जिद वहीं थी, वहीं है और इंशाअल्लाह आगे भी वहीं रहेगी।” इस प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने हाथों में पोस्टर ले रखे थे, जिसमें लिखा था, “जब अरजे खुदा के काब से, सब बुत उतरवाए जाएँगे।” उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद कभी खत्म नहीं हो सकती है और हमेशा वहीं रहेगी।
वे अपनी आने वाली नस्लों को बताकर जाएँगे कि बाबरी मस्जिद वहीं है। इन छात्रों ने नारे लगाए, ‘तेरा-मेरा रिश्ता क्या, ला इलाहा इलल्लाह’। बता दें की ये वही नारे हैं, जो कश्मीर में कभी आतंकी लगाया करते थे। इस प्रदर्शन में लगा नारा ‘जब अरजे खुदा के काबे से, सब बुत उतरवाए जाएँगे’ का अर्थ है कि ‘एक दिन अल्लाह की इस ज़मीन से सभी बुत/मूर्तियाँ उठवा दी जाएँगी और सिर्फ अल्लाह का ही नाम रहेगा। दूसरी ओर हिंदू धर्म में मूर्ति पूजा का विशेष स्थान है।
मूर्तियां तोड़े जाने के बाद कोई काल्पनिक बात नहीं है हिंदुस्तान में हिंदू मंदिरों और मूर्तियों को तोड़े जाना तो अब इतिहास की बात हो चुकी है परंतु वर्तमान में भी सारी दुनिया ने देखा है कि अफगानिस्तान में जब मजहबी लोगों का कब्जा हुआ तो पहाड़ों पर बनी हुई भगवान बुद्ध जी की बहुत विशाल मूर्तियों को तोपों के गोलों से उड़ा दिया गया था और अब जबकि हिंदू जानबूझकर अपनी जनसंख्या घटा रहे हैं तो इन नारों “अरजे खुदा के काबे से, सब बुत उतरवाए जाएँगे” में भविष्य की का दृश्य साफ दिखाई दे रहा है।
हो सकता है ये खबर आपको परेशान कर रही हो परंतु यह सच है कि जिस तरह से हिंदू जानबूझकर अपनी आबादी घटा रहे हैं उससे आने वाले समय में बहुत तरह के दुष्परिणाम सामने आने की प्रबल संभावनाएं हैं।
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