बंगाल: दुर्गा पूजा से पहले पश्चिम बंगाल में इसको लेकर राजनीतिक और मजहबी प्रोपेगेंडा चालू हो गया है। इसी कड़ी में एक नीच कलाकार की एक पेंटिंग के कारण बड़ा बवाल खड़ा हो गया है।
माँ आशेन
ऐसा क्या कारण है जो हर रोज लगातार हिंदुओं की आस्थाओं का अपमान किया जा रहा है ? कभी कहीं मंदिर तोड़ जाते हैं कभी मूर्तियां तोड़ दी जाती है कभी संतों की हत्या कर दी जाती हैं और कहीं हिंदू देवी देवताओं पर भद्र चुटकुले और गाने बनाए जाते हैं। सोशल मीडिया पर लोग अक्सर यह कहते हुए देखे जाते हैं कि यह सब हिंदुओं के खिलाफ एक बहुत बड़ा षड्यंत्र चल रहा है जिसका लक्ष्य हिंदुत्व को समाप्त कर देना है। उनकी बातें कितनी सत्य हैं यह तो वही जाने परंतु यह तो प्रमाणित सत्य है कि हिंदू मान्यताओं के अपमान और उपहास की घटनाएं तो हर रोज देश में बढ़ती ही जा रही हैं।
इसी कड़ी में एक नया मामला आया है पश्चिम बंगाल में। पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा अपने आप में विश्व प्रसिद्ध रही है। परंतु बीते कई सालों से अब बंगाल में होने वाली दुर्गा पूजा पर बहुत भारी आघात हो रहे हैं। क्योंकि कहीं ना कहीं दुर्गा पूजा के पंडालों पर हिंदू द्रोही द्वारा अक्सर हमले किए जाते हैं, और तो और हिंदू द्रोहियों ने दुर्गा पूजा पर रोक लगाने के लिए अदालत में भी अर्जी लगा चुके हैं। यह अलग बात है कि वहां उन्हें मुंह की खानी पड़ी है। अगर इसका कारण देखा जाए तो इसका सीधा कारण है हिंदुओं की घटती हुई जनसंख्या। और हिंदुओं की इसी घटती हुई जनसंख्या के चलते हिंदू द्रोहियों के हौसले इन दिनों अपने चरम पर हैं।
माँ दुर्गा को हिजाब में दिखाया गया है
ऐसे में एक भयंकर हिंदू द्रोही पेंटिंग बनाने वाले व्यक्ति ने हिंदुओं की आराध्य मां दुर्गा का एक ऐसा चित्र बनाया है जिससे सारे हिंदू समाज में रोष व्याप्त हो गया है। इस नीच व्यक्ति ने भगवती मां दुर्गा को इस्लामी पोशाक हिजाब में दर्शाया है, जो पूरी तरह से हिंदू मान्यताओं और परंपराओं के विरुद्ध है। बतादें की इस दुष्ट व्यक्ति का नाम है “सनातन डिंडा” इसमें माँ दुर्गा को हिजाब में दिखाया गया है। प्रसिद्ध बंगाली कलाकार सनातन डिंडा ने 2 सितंबर को फेसबुक पर एक महिला की तस्वीर पोस्ट की। महिला का सिर हिजाब और मुँह नकाब से ढका था।
इस भयंकर ड्राइंग को चारकोल ड्राई पेस्टल का इस्तेमाल कर स्केच किया गया था। इसके साथ कैप्शन में ‘माँ आशेन’ (Ma aschen) लिखा हुआ था। बंगाली में ‘माँ आशेन’ का अर्थ देवी दुर्गा की अपने मायके घर वापसी से है। इसका उपयोग हिंदू त्योहार को मनाने और इस दौरान हर्षोल्लास का वर्णन करने के लिए किया जाता है। इस चित्र के प्रकाशन के बाद सोशल मीडिया पर तो इसके खिलाफ बहुत बवाल मचा हुआ है। परंतु देखने वाली बात यह है कि इस बारे में कोई भी छोटा या बड़ा हिंदू संगठन, कोई हिंदू नेता कोई मठाधीश अखाड़ा धर्मगुरु इत्यादि इस बारे में नहीं बोला है। मानों सभी को सांप ही सूख गया है।
ऐसे में एक बड़ा सवाल तो बनता ही है कि क्या यह धर्माधिकारी और हिंदू संगठन वाले केवल हिंदुओं की कमाई से मलाई मारने के लिए ही बने हुए हैं ? बता दें कि कुछ ही दिन पहले हिंदुओं के विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल अयोध्या जी में एक पूरा का पूरा मोहल्ला जो कि हिंदुओं का था वह धर्म परिवर्तन करके स्थाई बन चुका है। ऐसे में लोग यह पूछ रहे हैं की अयोध्या धाम में बने हुए अखाड़े वहां का संत समाज, छावनीया क्या वहां झक मार रहे हैं ? क्या उन्हें अपने सनातन धर्म की जरा भी चिंता नहीं है ?
बहरहाल अब यह तो स्पष्ट हो ही गया है कि सारे देश में हिंदुओं के खिलाफ/हिंदुत्व के खिलाफ एक भयंकर षड्यंत्र चल रहा है। जिसके चलते निरंतर मंदिरों को तोड़ना मूर्तियों को तोड़ना हिंदू लड़कियों को लव जिहाद में फंसाना उनका धर्मपरिवर्तन करवाना और उनके देवी देवताओं का अपमान करना अब आम हो चुका है।
hijab in Nagpur, then after order to wear burqa in Bhagalpur, now a “picture of wearing hijab” of Hindu mother Durga ji has been made