🚩🙏श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बहुत बहुत बधाईयां🙏🚩
आज ~ विक्रम संवत – 2078,अयन – दक्षिणायन,ऋतु – शरद, मास – भाद्रपद, पक्ष – कृष्ण,तिथि – अष्टमी 31अगस्त रात्रि 1:59 तक तत्पश्चात नवमी
🌹 🙏 🙏 कृष्णम वन्दे जगद्गुरुं 🙏 🙏 🌹
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार 101 साल बाद जयंती योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। जयंती योग में ही 30 अगस्त को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जायेगा। वर्षों बाद इस बार वैष्णव व गृहस्थ एक ही दिन जन्मोत्सव मनायेंगे। श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि, सोमवार रोहिणी नक्षत्र व वृष राशि में मध्य रात्रि में हुआ था।
कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव है जिसे हर साल भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल कृष्ण जन्माष्टमी 30 अगस्त को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म इसी तिथि को रोहिणी नक्षत्र और वृष लग्न में हुआ था। यह पर्व देशभर में मनाया जाता है। वहीं मथुरा-वृंदावन में इस त्योहार की अलग ही धूम होती है। मंदिरों और घरों में लोग बाल गोपाल जी के जन्मोत्सव का आयोजन करते हैं।
बाल गोपाल के लिए पालकी सजाई जाती है। उनका शृंगार किया जाता है। वहीं इस दिन नि:संतान दंपत्ति विशेष तौर पर जन्माष्टी का व्रत रखते हैं। वे बाल गोपाल कृष्ण जैसी संतान की कामना से यह व्रत रखते हैं और सुदर्शन चक्रधारी को उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाते हैं। ज्योतिषीय मान्यता है कि इस दिन राशि के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण को शृंगार और भोग लगाने से जातकों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उन्हें भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
सुदर्शन चक्रधारी
भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इसलिए प्रत्येक वर्ष भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि को श्रद्धालु जन्माष्टमी मनाते हैं। इस वर्ष जन्माष्टमी 30 अगस्त को है। इस बार जन्माष्टमी बहुत ही विशेष है। कई विशेष संयोग बन रहे हैं। 30 अगस्त का दिन सोमवार है। अष्टमी तिथि 29 अप्रैल की रात 10:10 बजे प्रवेश कर जायेगी जो सोमवार रात 12:24 तक रहेगी। रात में 12: 24 तक अष्टमी है।
तत्पश्चात नवमी तिथि प्रवेश कर जायेगी। इस दौरान चंद्रमा वृष राशि में मौजूद रहेगा। इन सभी संयोगों के साथ रोहिणी नक्षत्र भी 30 अगस्त को रहेगा। रोहिणी नक्षत्र का प्रवेश 30 अगस्त को प्रात: 6:49 में हो जायेगा। अर्धरात्रि को अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र का संयोग एक साथ मिल जाने से जयंती योग का निर्माण होता है। इसी योग में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जायेगा। – 101 साल के बाद जयंती योग का संयोग बना है। साथ ही अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र व सोमवार तीनों का एक साथ मिलना दुर्लभ है।
अर्धरात्रि को
पवित्र निर्णय सिंधु नामक ग्रंथ के अनुसार ऐसे संयोग जब जन्माष्टमी पर बनते हैं तो श्रद्धालुओं को इसे हाथ से जाने नहीं देना चाहिए। इस संयोग में जन्माष्टमी व्रत करने से तीन जन्मों के जाने-अनजाने में हुए पापों से मनुष्य को मुक्ति मिलती है।
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