हिन्दुस्थान ने अरबों रुपये लगा दिए, चीन और अमेरिका के भी हाथ खड़े। दुनियां देख रही है दहला देने वाली वीडियो और तस्वीरें।
पिछले 2 दिनों से अफगानिस्तान से जो दहला देने वाली जो वीडियो और तस्वीरें आ रहे हैं वह किसी भी सभ्य मनुष्य को शर्मसार कर देने वाली हैं। परंतु यह जो भी कुछ हो रहा है यह नया भी नहीं है यह सब तो कई 100 साल पहले भी इन लोगों ने किया था। और उसके बाद यही लोग बार-बार इस तरह के कुकृत्य को दोहराते जा रहे हैं। हां यह अवश्य है कि अब इनका नाम तालिबान है। परंतु कहीं इनका नाम कुछ और है, और कभी इनका नाम कुछ और था। बता दें की वर्तमान का जो अफगानिस्तान है वह कभी पूरी तरह हिन्दू साम्राज्य था।
अफगानिस्तान और पाकिस्तान को छोड़कर भारत के इतिहास की कल्पना नहीं की जा सकती। कहना चाहिए की वह 7वीं सदी तक अखंड भारत का एक हिस्सा था। अफगान पहले एक हिन्दू राष्ट्र था। बाद में यह बौद्ध राष्ट्र बना और अब वह एक इस्लामिक राष्ट्र है। 26 मई 1739 को दिल्ली के बादशाह मुहम्मद शाह अकबर ने ईरान के नादिर शाह से संधि करके अफगानिस्तान उसे सौंप दिया था। 17वीं सदी तक अफगानिस्तान नाम का कोई राष्ट्र नहीं था। अफगानिस्तान नाम का विशेष-प्रचलन अहमद शाह दुर्रानी के शासन-काल (1747-1773) में ही हुआ। इसके पूर्व अफगानिस्तान को आर्याना, आर्यानुम्र आदि नामों से पुकारा जाता था जिसमें गांधार, कम्बोज, कुंभा, वर्णु, सुवास्तु आदि क्षेत्र थे।
यहां हिन्दूकुश नाम का एक पहाड़ी क्षेत्र है जिसके नाम से ही पता चलता है कि ये हिंदुओं का ही राज्य था। ईसा के 700 साल पूर्व तक यह स्थान आर्यों/हिंदुओं का था। ईसा पूर्व 700 साल पहले तक इसके उत्तरी क्षेत्र में गांधार महाजनपद था जिसके बारे में भारत के पवित्र महाभारत तथा अन्य ग्रंथों में वर्णन मिलता है। अफगानिस्तान की सबसे बड़ी होटलों की श्रृंखला का नाम ‘आर्याना’ था और हवाई कंपनी भी ‘आर्याना’ के नाम से जानी जाती थी। आज के अफगानिस्तान को देख कर कल्पना की जा सकती है कि उस समय के तालिबानी मानसिकता वाले लोगों ने उस समय क्या-क्या किया होगा जो आज अफगानिस्तान में कोई भी हिंदू नहीं बचा है।
अफगानिस्तान से जो दृश्य आ रहे हैं वाह बहुत भयभीत कर देने वाले भी हैं। कहीं गोलियों की आवाजें आ रही हैं तो कहीं पर बम चल रहे हैं, और जब से तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया है तब से तो हालात और भी बद से बदतर हो चुके हैं। अफगानिस्तान में रहने वाले लोग तालिबानी कहर के भय से किसी भी तरह अफगानिस्तान को छोड़कर भाग जाना चाहते हैं ताकि उनकी जिंदगी या बची रह सके। एक वीडियो में जो दिख रहा है वह आज तक कभी भी नहीं देखा गया। इस वीडियो में एक जहाज उड़ने को तैयार खड़ा है, उसमे ठूंस ठूंस कर लोग भरे जा चुके हैं, परंतु उसमें अभी भी लोग घुसने को बेचैन हैं।
हिंदुओं का नरसंहार किया गया तब की स्थितियां क्या रही होंगी ?
हवाई जहाज ने रनवे पर दौड़ना चालू कर दिया परंतु बेबस लोग इसी आस में उस दौड़ रहे जहाज के साथ-साथ दौड़ रहे हैं कि शायद इसी में किसी तरह अब भी चढ़ जाएंगे और मौत से बच जाएंगे। हद तो तब हो गई जब कई लोग जहाज के ऊपर चढ़ गए। वीडियो में स्पष्ट दिख रहा है कि उड़ते हुए जहाज से लोग नीचे गिर गए क्योंकि ऊपर कोई खंभा खूंटी नहीं है जिसको पकड़कर वह जहाज के ऊपर टिके रह सकें। इस कारण आसमान में जाते ही ज्यों ही हवा का धक्का लगा तो यह अभागे आसमान से नीचे गिर कर मर गए। कल्पना की जा सकती है कि जिस समय कभी अफगानिस्तान में हिंदुओं का नरसंहार किया गया था तब की स्थितियां क्या रही होंगी ?
अवश्य ही वह भी इसी प्रकार के दृश्य रहे होंगे। आजकल तो फिर भी भागने के लिए बहुत सारे साधन उपलब्ध हैं, परंतु उस समय तो आज के आधुनिक वाहन नहीं थे। आज तो एक गोली मार दी जा रही है और मौत हो जाती है। उस समय तो केवल भाले और तलवारें थीं, जिन से कटने के बाद कितनी पीड़ा हुई होगी कटने वालों को। और वह कैसे तड़प कर मरे होंगे सोच कर ही मन भारी हो जाता है।
खैर दृश्य तो आज के भी बहुत भयानक ही हैं। जो किसी भी सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं हैं। यहां बहुत खास बात यह है कि कश्मीर में बोली जानी बोले बोली जाने वाली भाषा पश्तो में तालिब का अर्थ है विद्यार्थी और तालिबान का अर्थ विद्यार्थियों का एक बड़ा समूह। तो सवाल उठना स्वभाविक है कि यह किस प्रकार के विद्यार्थी हैं जो सभ्यता को मानवता को नष्ट करने पर तुले हुए हैं ? यहां ध्यान देने वाली बात यह भी है कि इस अफगानिस्तान में हिंदुस्तान की तरह ना तो भारतीय जनता पार्टी है ना ही वहां विश्व हिंदू परिषद है ना ही वहां बजरंग दल है ना कोई शिवसेना है फिर भी वहां ऐसा क्या जुनून है जो यह लोग अपनों को ही बहुत बेरहमी से खत्म कर रहे हैं, कत्ल कर रहे हैं।
सारी दुनिया ने देखा की तालिबान का अफगानिस्तान पर कब्जा होते ही पाकिस्तान और चाइना ने तुरंत तालिबान को समर्थन दे दिया। सारी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान ही तालिबानियों का जन्मदाता है और चाइना पूरी तरह इन तालिबानियों को हर प्रकार की सहायता देता है। मजे की बात यह है कि खुद चीन में इस्लाम पूरी तरह बैन है। वहां कोई भी नमाज नहीं पढ़ सकता, इस्लामिक टोपी नहीं लगा सकता, कोई भी मुस्लिम बुर्का पहन कर घर से बाहर नहीं जा सकती, और ना ही कहीं पर अजान की आवाज सुनाई देनी चाहिए। इतना सब कुछ होने के बावजूद भी ना जाने क्या कारण है कि पूरी तरह इस्लामिक शरिया के अनुसार चलने वाले तालिबान इस्लाम के दुश्मन चाइना से जबरदस्त मोहब्बत करते हैं।
खैर होगा कोई कारण इस पर तो चर्चा करनी भी नहीं चाहिए परंतु यह चर्चा तो अब दुनिया के हर शांति प्रिय व्यक्ति को कर ही लेनी चाहिए कि क्या अब विश्व के बाकी देशों में यह तालिबानी कहर तो नहीं बरसेगा ? अगर भविष्य में ऐसा हुआ तब क्या होगा ? हालांकि अक्सर तालिबानी कहर दुनिया में हर जगह देखा भी जा रहा है।
बहरहाल ये सब कुछ हिंदुस्तान के लिए बहुत बड़ा खतरा है, क्योंकि तालिबान पाकिस्तान के बच्चे हैं और हिंदुस्तान में पाकिस्तान के अनगिनत चाहने वाले/बाप रहते हैं।