"50,000 crore land, dargah, waqf board, Supreme Court showed mirror"
बहुत बड़ा ये षड्यंत्र आपके साथ भी हो सकता है।
सनातन🚩समाचार🌎 जमीनों पर कब्जा करने का काम तो प्राचीन काल से और नवाबों के समय से चला आ रहा है परंतु देश के आजाद होने पर भी यह अभी तक रुका नहीं है। और अब तो बकायदा कानूनी रूप से आम लोगों की या सरकारी अथवा धार्मिक जमीनों पर भी कब्जे किए जा रहे हैं। इस कड़ी में अगर वक्फ बोर्ड का नाम लिया जाए तो कुछ अनुचित ना होगा। क्योंकि वक्फ बोर्ड के द्वारा सारे देश में कहीं ना कहीं निरंतर जमीन पर कब्जे करने का अभियान जारी रहता ही है।
वास्तव में सरकार द्वारा बनाए गए वक्फ बोर्ड में एक धारा ऐसी है जो जिसमें यह प्रावधान है कि वक्फ बोर्ड किसी भी जमीन के बारे में यह कह दे कि यह जमीन वक्फ बोर्ड की है तो वह जमीन लगभग वक्फ बोर्ड की होना तय ही है।
क्योंकि उस धारा के अंतर्गत जमीन के असल मालिक को यह सिद्ध करना बहुत कठिन हो जाता है कि यह जमीन उसकी या उसके पिता दादा परदादा की ही है। इसी कड़ी में एक और मामला जुड़ गया है जिसमें वक्फ बोर्ड के द्वारा 50 करोड रुपयों की जमीन को दरगाह के नाम पर अपना बताने का दावा ठोका गया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने झटका देते हुए खारिज कर दिया है। बहुत बड़ी रकम की यह जमीन वक्फ बोर्ड द्वारा अपनी बताई जा रही थी। गत मंगलवार 8 जनवरी 2022 को मानिकोंडा जागीर की जमीन के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने यह बड़ा फैसला दिया है।अदालत में ये मामला पिछले लगभग 33 सालों से लंबित चल रहा था।
अपने निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह सारी जमीन राज्य सरकार की ही संपत्ति हैं। दरअसल आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड ने यह दावा किया था कि मनी कुंडा गांव की 1654. 32 एकड़ जमीन हजरत हुसैन शाह वली की दरगाह की है जिसे सुप्रीम कोर्ट ने नकार दिया है। इस दरगाह और राज्य सरकार के बीच चल रहे विवाद को निपटाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह सारी जमीन तेलंगाना सरकार की है।
पहले सरकार ने ई ऑक्शन के जरिए बहुत सारे लोगों को यह जमीन कुछ हिस्सों में बेची थी। इस जमीन के खरीदारों में कुछ कंपनियां हैं और कुछ संस्थाएं भी हैं। खरीदारों में लैंको हिल्स, जन चैतन्य हाउसिंग प्राइवेट लिमिटेड, हैदराबाद पब्लिक सर्विस को ऑपरेटिव सोसाइटी, टी एन जी ओ एस हाउसिंग सोसायटी, आईएसबी स्कूल, उर्दू विश्वविद्यालय, और विप्रो भी हैं।
इस जमीन के बारे में वक्फ बोर्ड ने एक अधिसूचना जारी करके इस जमीन पर अपना मालिकाना हक जताया था। तभी से यह मामला आरंभ हो गया था, परंतु अब सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्ड के मालिकाना हक को नकार दिया है। दरअसल दरगाह के एक व्यक्ति ने सरकार द्वारा संस्थानों को जमीन बिक्री किए जाने को अवैध बताते हुए हाई कोर्ट में याचिका डाली थी, जिस पर राज्य सरकार ने भी अपील दायर की थी तथा तब अदालत ने इस सारी जमीन पर स्टे लगा दिया था। वक्फ बोर्ड द्वारा डाली गई याचिका में कहा गया था कि मनी कुंडा गांव की 1654.32 एकड़ जमीन हजरत हुसैन शाह वली की दरगाह की है।
जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस बी रामासुब्रह्मण्यम की खंडपीठ ने इस बारे में अंतिम फैसला सुनाया है। इस फैसले से कई प्राइवेट संस्थानों के साथ-साथ सार्वजनिक और जमीन का मालिकाना हक रखने वाले कई आम नागरिकों को भी बड़ी राहत मिली है। बता दें कि जिस जमीन को लेकर यह सारा विवाद था वह जमीन मानिकोंडा जागीर नामक गांव में है। यह सारा इलाका तेलंगाना के रंगा रेड्डी जिले के गांडीपेट मंडल के अंतर्गत आता है। आज की मार्केट वैल्यू के हिसाब से इस जमीन की कीमत लगभग 50000 करोड रुपए बताई जा रही है।
सनातन समाचार ऐसे मामलों की कई खबरें पहले भी आपको बता चुका है।
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