Not a single mosque was built by demolishing temples, today is the time of dogs, keeping idols…”

ज्ञानवापी पे कोर्ट के निर्णय के बाद भड़के मुस्लिम नेता और बोले  – मुस्लिम शासक चाहते तो एक भी मंदिर नहीं बचता

सनातन🚩समाचार🌎 श्री राम लाल जी का मंदिर बनने के बाद अब ज्ञानवापी में पूजा आरती शुरू किए जाने से मुस्लिम समाज में गुस्सा अपने पूरे उफान पर है, और इससे संबंधित पक्ष और बड़े मुस्लिम नेताओं के द्वारा तरह-तरह के जोशीले बयान सामने आ रहे हैं।

इस सिलसिले में सलमान अजहरी नाम के एक मुफ्ती का भाषण बहुत सुर्खियां बटोर रहा है। यह भाषण जूनागढ़ के एक कार्यक्रम का है जिसमें अजारी ने कहा है कि “अभी तो कर्बला का आखिरी मैदान बाकी है”  कुछ देर की खामोशी है फिर किनारा आएगा “आज कुत्तों का वक्त है कल हमारा दौर आएगा” इसके बाद इकट्ठा हुए मुस्लिम समाज के लोगों में बहुत जोश भर गया और वह नारे लगाने लगे बता दें कि मुफ्ती का सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियो 22 सेकंड का है।

उधर दूसरी ओर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बयान दिया है कि अगर मुसलमानों की सोच सभी मंदिरों को तोड़ने की होती तो एक भी मंदिर नहीं बचता। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के इस बयान से संतों में काफी नाराजगी है। जिसके चलते लगभग 300 संतों की बैठक बुलाई गई है। ज्ञानवापी के मामले में AIMPLB ने तहखाना में पूजा शुरू किए जाने पर नाराजगी जताई है।

इस बारे में बोर्ड के प्रवक्ता मलिक मोहसिन ने कहा है की कोर्ट ने इस वक्त  जल्दबाजी में फैसला किया और उसमें पूजा की इजाजत दी। उसमें दूसरे पक्ष को बहस का मौका ही नहीं दिया गया। इसकी वजह से अदालतों और इंसाफ देने वाली संस्थाओं के भरोसे को चोट पहुंची है। इस मौके पर यह भी कहा गया की मुसलमानों के सब्र की परीक्षा न ली जाए। इस अवसर पर कहा गया कि माइनॉरिटी महसूस कर रही है कि अदालतों ने बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक के लिए अलग-अलग पैमाने बना लिए हैं।

https://twitter.com/BrijeshShelad16/status/1753083050232271302?t=cqi4pVIXPbHAY6a6m5adcw&s=19

इसकी मिसाल बाबरी मस्जिद का फैसला है। कोर्ट का काम आस्था पर नहीं बल्कि दलील की बुनियाद पर फैसला करना है। अदालत ने माना है की बाबरी मस्जिद मंदिर तोड़कर नहीं बनाई गई। उसके नीचे मंदिर नहीं था। हमारी अदालतें ऐसे रास्ते पर चल पड़ी हैं जिससे लोगों का भरोसा टूट रहा है। मोहसिन ने मीडिया से बात करते हुए आगे कहा कि वर्ष 1991 के वरशिप एक्ट में कहा गया है कि 1947 में जो धार्मिक स्थल जिस तरह से थे वह उसी रूप में रहेंगे।

उसके बावजूद देश का माहौल बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है। हम देश की अदालतों से यह रिक्वेस्ट करते हैं कि कानून को सख्ती से लागू करने की कोशिश करें। उन्होंने कहा कि हिंदुओं और मुसलमान मुसलमानों के दरमियान नफरत पैदा करने के लिए एक अफसाना गढ़ा गया है।  हिंदुस्तान में जितने पुराने मंदिर हैं वह हजारों सालों से हैं। कई मुसलमान खानदानो की हकूमत आई और गई लेकिन किसी ने उनकी एक ईंट खुरचने की कोशिश नहीं कि।

उन्होंने आगे कहा कि अगर मुसलमान की यह सोच होती कि हम दूसरों की इबादत गाह पर जबरदस्ती कब्जा करके उसे मस्जिद बना लें तो क्या यह मंदिर मौजूद होते ? यह ऐसा इतिहास है जिसे लोगों ने गढ़ा है। अखिल भारतीय संत समिति के तत्वाधान में हुई संतों की बैठक में संतों ने आरोप लगाया है कि ज्ञान वापी परिसर में बाहर से नमाजियों को बुलाकर नमाज पढ़ने की कोशिश की गई है।

संत समिति ने मांग की है कि पूरे ज्ञानवापी परिसर को हिंदुओं को सौंपा जाए। अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्र आनंद सरस्वती ने कहा है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने गैर जिम्मेदार की तरह बयान दिया है। यह देश संविधान से चलेगा। हमने राम जन्मभूमि संविधान के जरिए ली है और ज्ञानवापी भी ऐसे ही लेंगे।

बहरहाल आशा की जानी चाहिए कि मुस्लिम पक्ष और हिंदू पक्ष दोनों कानून का सम्मान और पालन करते हुए आगे बढ़ेंगे, ताकि देश का वातावरण खराब न होने पाए और अदालतें कानून के अनुसार न्याय कर सकें।

हिंदू द्रोही मीडिया के लिए बहुत फंडिंग है, किंतु हिंदुत्ववादी मीडिया को अपना खर्चा चलाना भी मुश्किल है। हिंदुत्व/धर्म के इस अभियान को जारी रखने के लिए कृपया हमे DONATE करें। Donate Now या 7837213007 पर Paytm करें या Goole Pay करें।

By Ashwani Hindu

अशवनी हिन्दू (शर्मा) मुख्य सेवादार "सनातन धर्म रक्षा मंच" एवं ब्यूरो चीफ "सनातन समाचार"। जीवन का लक्ष्य: केवल और केवल सनातन/हिंदुत्व के लिए हर तरह से प्रयास करना और हिंदुत्व को समर्पित योद्धाओं को अपने अभियान से जोड़ना या उनसे जुड़ जाना🙏

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *