“Shri Ram Navami” is a famous festival of Hindus, giving inspiration of power, knowing the puja mahurta and many more.”
विनय ना मानत जलध जड़ गए तीन दिन बीति। बोले राम सकोप तब भय बिनु होय ना प्रीति।
सनातन🚩समाचार🌎सनातन धर्म में यूं तो हर दिन एक त्योहार है। हर हफ्ते का प्रत्येक दिन किसी ना किसी देवता को समर्पित है इसके साथ ही ऐसे बहुत सारे त्योहार हैं जो सभी हिंदू मिलजुल कर मनाते हैं। इनमें से एक है श्री राम नवमी का त्योहार। यह त्यौहार अपने आप में एक विशेष महत्व रखता है। भगवान श्री राम जी का नाम लेने से निश्चित हीआध्यात्मिक लाभ तो होता ही है परंतु व्यावहारिक दृष्टि से भी अगर देखा जाए तो भगवान श्री राम जी का सारा जीवन ही एक प्रबल शक्ति का संदेश देता है। बाल्यकाल से ही भगवान श्री राम जी ने अनेक धर्मद्रोहियों का वध करना आरंभ कर दिया था और आखिर उस समय कि एक भयानक धर्म विरोधी रावण का भी समूल नाश कर दिया था। आइए जानते हैं और बहुत कुछ श्री राम नवमी के बारे में।
जन्म की खुशी में
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को श्री राम नवमी मनाई जाती है। हिंदू धर्म में राम नवमी का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन ही अयोध्या जी में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। यह उत्सव भगवान श्री राम जी के जन्म की खुशी में मनाया जाता है। आपके शासनकाल के दौरान भारतवर्ष में रामराज्य अर्थात अपार समृद्धि आयी थी। यह त्योहार नेपाल सहित दुनिया भर में हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है।
मंत्रों का उच्चारण करते हैं।
भारत के कुछ हिस्सों में, रामनवमी से नौ दिन पहले ही उत्सव आरंभ हो जाता है, आगे के कार्यक्रम को “वसंत उत्सव” के रूप में माना जाता है। यह उत्सव मनाने के लिए, भक्तगण पूरे दिन मंत्रों का उच्चारण करते हैं। वे भगवान राम को फल-फूल अर्पित करते हैं और उनकी पूजा करने के लिए दोपहर के समय मंदिरों या तीर्थ स्थलों में जाते हैं। साथ ही, उनकी प्रतिमाओं को सजाया जाता है, उनकी छोटी मूर्ति को झूले में झुलाया जाता है, चरणामृत पिया जाता है, और शाम तक उपवास रखकर, शाम के समय फलाहार ग्रहण किया जाता है। कुछ लोग भगवान राम की छोटी मूर्ति को नवजात शिशु के समान स्नान कराते हैं। दक्षिण भारत में, रामनवमी को भगवान राम जी और माता सीता जी के विवाह का दिन भी माना जाता है, और उनकी प्रतिमाओं की पूजा की जाती है।
“सैनिकों” की वेशभूषा में
इस दिन का सबसे बड़ा और सबसे प्रसिद्ध उत्सव तेलंगाना के भद्राचलम मंदिर में होता है। जिसमें रथ पर भगवान राम के साथ उनके भाई लक्ष्मण, माता सीता और परमभक्त हनुमान की शोभायात्रा निकाली जाती है। अच्छी तरह से सजे हुए रथ के साथ “सैनिकों” की वेशभूषा में तैयार कलाकार भी शामिल होते हैं। हर साल उत्तर में स्थित शहर अयोध्या जी में रथयात्रा देखने के लिए हज़ारों लोगों की भीड़ इकट्ठा होती है। दक्षिण भारत के कई मंदिरों में “राम! राम! राम!” की जय-जयकार के बीच राम जी और सीता जी के वैवाहिक समारोह का अभिनय किया जाता है।
सारे विश्व में हिंदू
तिरुमला शहर के वैष्णव तीर्थस्थल श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर जाएँ, जो भारत देश के आंध्र प्रदेश राज्य का पहाड़ी क्षेत्र है। यह भगवान विष्णु के एक अन्य अवतार “वेंकटेश्वर” भगवान का मंदिर है और चारों तरफ से सात पहाड़ों से घिरे होने के कारण इसे “सात पहाड़ों का मंदिर” कहते हैं। यह 300 ईसवी के आसपास निर्मित किया गया था और द्रविड़ वास्तुकला का सुंदर उदाहरण है। रामनवमी का त्योहार पूरे भारत वर्ष में हिंदुओं के द्वारा व्यापक रूप से मनाया जाने वाला धार्मिक हिन्दू उत्सव है। सारे विश्व में हिंदू कहीं भी रहते हो इस रामनवमी के इस उत्सव को बहुत उत्साह और चाव से मनाते हैं। इस बार तो हिंदुओं में इस उत्सव को लेकर एक विशेष उमंग भी है, वह है अयोध्या जी में भगवान श्री राम जी के जन्म स्थान पर बन रहा विशाल और भव्य मंदिर।
जानिए राम नवमी पर प्रभु श्रीराम की पूजा का मुहूर्त-
श्री राम नवमी इस साल 10 अप्रैल 2022, रविवार को मनाई जाएगी। नवमी तिथि की शुरुआत 10 अप्रैल को देर सुबह 01 बजकर 32 मिनट से होगी और 11 अप्रैल को प्रातः 03 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगी। भगवान श्रीराम की पूजा का शुभ मुहूर्त 10 अप्रैल 2022 को सुबह 11 बजकर 10 मिनट से 01 बजकर 32 मिनट तक रहेगा।
श्री राम नवमी पूजा विधि-
रामनवमी पर सबसे पहले प्रातः जल्दी उठकर स्नान कर साफ वस्त्र पहनें। इसके बाद भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी की प्रतिमाओं को रोली का तिलक करें, फिर चावल, फूल, घंटी और शंख भगवान श्री राम को अर्पित करने के बाद भगवान श्रीराम की विधिवत पूजा करें। श्रीराम के मंत्रों का जाप करें, रामायण पढ़ें और श्री रामचरितमानस का भी पाठ करें। अंत में सभी की आरती उतारें। इस दिन भगवान श्रीराम को झूला अवश्य झुलाएं और किसी निर्धन व्यक्ति या ब्राह्मण को गेहूं और बाजरा अवश्य दान में दें। इस दिन शस्त्र पूजन का भी विधान है।
अधर्मी परंतु विद्वान
भगवान राम ने अपने चौदह साल का वनवास किया था और इस दौरान उन्होंने अधर्मी परंतु विद्वान रावण का वध करके धर्म की स्थापना की थी। माना जाता है इस दिन उपवास रखने से जीवन में सभी प्रकार की सुख और समृद्धि आती है।
“विनय ना मानत जलध जड़ गए तीन दिन बीति। बोले राम सकोप तब भय बिनु होय ना प्रीति” आप सभी को श्री राम नवमी की बहुत-बहुत बधाइयां। सनातन🚩समाचार🌎 ये आशा करता है कि आप भी भगवान श्री राम जी की तरह धर्म की रक्षा करने वाले धर्मयोद्धा बनेंगे।
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