कितना घातक, कितना सफल और दीर्घकालिक है ये षड्यन्त्र।
समझिए दीपावली पर पटाखे बैन के षड्यंत्र की कहानी…😌

हिन्दू द्रोही पंच मक्कार किस तरह से सुनियोजित कार्य करते है। आप इस लेख के माध्यम से जान पाएंगे की किस तरह इकोसिस्टम बड़ा लक्ष्य लेकर चलता है वो आप जान पाएंगे। वे किस तरह 10, 20 साल की योजना बनाकर स्टेप बाई स्टेप नरेटिव सेट कर शनैः शनैः वार कर किले को ध्वस्त कर देते हैं, ये आप जानेंगे. जिसमें वे आपको ही अपनी सेना बनाकर अपना कार्य कर जाते हैं और आपको पता भी नही चलता।

स्कूलों में बच्चों को बताया

पटाखो पर बैन की कहानी 2001 से शुरू होती है। जब एक याचिका में SC ने सुझाव दिया कि पटाखे केवल शाम 6 से 10 बजे तक मात्र चार घण्टे के लिए फोड़े जाए। साथ ही इसको लेकर जागरूकता फैलाने के लिए स्कूलों में बच्चों को बताया जाए। ये केवल एक सुझाव वाला निर्णय था ना कि पटाखे फोड़ने पर आपराधिक निर्णय। ध्यान रहे की ये सुझाव केवल हिंदुओं के त्योहार दीपावली पर ही था क्रिसमस और हैप्पी न्यू एयर पर नहीं था। ये एक प्रकार से लिटमस टेस्ट था।

लिटमस टेस्ट सफल रहा क्योंकि हिंदुओ ने इसका कोई विरोध नही किया। हालांकि सुझाव किसी ने नही माना लेकिन उसका विरोध भी नही किया गया। इससे इकोसिस्टम को बल मिला और 2005 में एक और याचिका लगा दी गयी। जिसमें कोर्ट ने इसबार पटाखो को ध्वनि प्रदूषण से जोड़कर आपराधिक कृत्य बना दिया अर्थात रात 10 बजे के बाद पटाखे फोड़ना आपराधिक कृत्य हो गया।

तब भी हिंदुओ ने कोई विरोध नही किया। उधर स्कूलों के माध्यम से लगातार बच्चों के अंदर दीपावली के पटाखों से प्रदूषण ज्ञान दिया जाने लगा। बच्चे भी एक नरेटिव है। दीपावली पर पटाखे बच्चों का ही आकर्षण है। अतः उन्हें ही टार्गेट किया गया। आपको याद हो तो 2005 से स्कूलों में अचानक से पटाखा ज्ञान शुरू हो गया था। तब बच्चे खुद ही बोलने लगे पटाखे मत फोड़िये।

2010 में NGT की स्थापना हुई. जिसे प्रदूषण पर्यावरण ग्रीनरी के नाम पर केवल हिन्दू त्यौहार दिखाई दिए दीपावली, होली, श्री अमरनाथ पर ज्ञान और फैसले देने वाला ngt क्रिसमस नए साल पर सदैव मौन रहा।

असली खेल 2016 से शुरू हुआ. अब इस खेल में हर प्रकार के हिन्दू द्रोही गैंग शामिल हो गए थे। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन जी ने तत्कालीन दिल्ली उपराज्यपाल नजीबजंग को चिट्ठी लिखकर दीपावली पर पटाखे बैन की अपील की लेकिन LG ने ठुकरा दी। तब 2017 में तीन NGO एक साथ SC पहुंचे जिसमें से एक ngo “आवाज” था जिसकी कर्ताधर्ता “sumaira abdulali थी. जहां तीनो ngo ने दीपावली के पटाखो को ध्वनि और वायु प्रदूषण के लिए खतरनाक बताते हुए तत्काल प्रभाव से बैन करने की मांग की। जिसमे तीनो ngo की “आवाज” से आवाज मिलाई “केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड” ने।

दीपावली के पटाखे

ध्यान रहे केंद्र और राज्य सरकार दोनो ने SC में पटाखे बैन याचिका का विरोध नही किया। परिणामस्वरूप SC ने पहला बड़ा निर्णय देते हुए दिल्ली में पटाखो की बिक्री पर रोक लगा दी। लेकिन हिंदुओ ने तब भी कोई विरोध नही किया बल्कि प्रदूषण के नाम पर समर्थन किया. क्योंकि तब हिन्दू “जागरूक” हो चुके थे। उन्हें लगने लगा था कि दिल्ली के प्रदूषण का एकमात्र कारण दीपावली के पटाखे ही हैं।

लिटमस टेस्ट में सफल होने के बाद हिंदूद्रोही 2018 में पुनः कोर्ट पहुंच गए। इसबार पटाखे फोड़ने पर ही बैन लगा दिया गया। लेकिन झुन झुने के रूप में ग्रीन पटाखे पकड़ा दिए। ये एक दूसरा लिटमस टेस्ट था।

इसबार छिटपुट विरोध हुआ लेकिन तथाकथित जागरूक हिन्दू जो आप ही थे आप ही इकोसिस्टम की सेना बनकर पटाखे बैन करने के समर्थन पर उतर गए और विरोध करने वालो को कट्टर, गंवार, अनपढ़, जाहिल, पिछड़ी सोच ना जाने क्या क्या कहकर आपने ही उनकी आवाज को दबा दिया और आपको पता ही नही चला।

ब्रेनवॉश किया गया

धीरे धीरे ये खेल मीडिया से लेकर सेलिब्रिटी तक पहुंच गया। जहां दीपावली के एनवक्त पहले अचानक से प्रकट होकर क्रिकेटर/बॉलीबुड क्रेकर ज्ञान देने लगे। मीडिया में लम्बी लम्बी डिबेट्स कर ब्रेनवॉश किया गया कि दिल्ली गैस चेम्बर बन गई है जिसका एकमात्र कारण दीपावली पर जलने वाले पटाखे हैं, जिन्हें यदि बैन नही किया गया तो दीपावली के अगले दिन सब सांस से घुटकर मर जायेंगे।

2020 में तीसरा लिटमस टेस्ट किया गया और पटाखे बैन दिल्ली से बाहर निकलकर पूरे देश मे लागू किये गए। जिसमें एक और ngo जुड़ा. जिसने नवम्बर 2020 में याचिका लगाई पटाखे बैन पर. उस ngo का नाम था indian social responsibility network…😔

जब आप और गहराई में जाएंगे तो पाएंगे ये एक राष्ट्रवादी ngo है। जिसमे नारंगी सांसद विनय सहस्त्रबुद्धे, 2019 चुनाव के नारंगी it cell वाले सदस्य और वर्तमान में नारंगी अध्यक्ष नड्डा जी की श्रीमती भी है। नतीजा ये रहा कि दिल्ली सहित पूरे देश मे पटाखे 2 घण्टे के अतिरिक्त बैन हो गए और उल्लंघन करने पर पूरे देश मे जगह जगह कार्रवाइयां हुई। इस बैन में सभी ने बराबर की भूमिका निभाई।

सदियों से

लेकिन चूंकि उद्देश्य प्रदूषण या पर्यावरण कम बल्कि दीपावली की परंपरा को पूर्णतः खत्म करना था अतः अब 2 घण्टे की ग्रीन पटाखो की छूट भी चुभ रही थी। इस बार उसे भी खत्म कर दिया गया। कुतर्क दिया गया कि भगवान राम के समय पटाखे नही थे। जबकि जरूरी नही कि परम्पराए मूल से निकले. परम्पराए बाद में जुड़कर सदियों से चलकर त्योहार का मूल हिस्सा बन जाती हैं, जैसे क्रिसमस में क्रिसमस ट्री और अजान में लाउडस्पीकर जो मूल समय मे नही थे। लेकिन वहां कोई कुतर्क नही करता।

यही है वामपंथ की वो ताकत जो आपका ब्रेनबाश कर आपको जाम्बी बना देती है। जहां आप जिस डाली पर बैठे हों उसे ही काटकर (अपने ही मूल्यों को समाप्त कर) गर्व महसूस करते हैं।

यही है नरेटिव की ताकत जहां दीपावली का प्रदूषण चुनावी मुद्दा बन गया। जबकि पटाखे प्रदूषण के मुख्य कारकों में top 10 में भी नही हैं (IIT रिसर्च)। लेकिन हर पार्टी चुनाव जीतने के लिए दीपावली पटाखे बैन के समर्थन में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने लगी। ध्यान रहे मुद्दा केवल दीपावली के पटाखे ही बने क्रिसमस और नए साल के नही।

यही हिन्दुद्रोहियों की ताकत है। हालत ये है कि अब राजस्थान/दिल्ली जैसे राज्य बिना कोर्ट के आदेश के बिना मंथन बिना बैठक दीपावली पर खुद ही पटाखे बैन करने लगे हैं, जैसे कोई धारा 144 जैसा रूटीन आदेश हो लेकिन ये राज्य क्रिसमस न्यूएर पर चुप रहते हैं। ये हालत तब है जब राजस्थान में प्रदूषण मुद्दा नही है और हिन्दू 90% हैं। अब दीपावली पटाखे बैन के लिए हर साल कोर्ट जाने की भी जरूरत नही है। राज्य खुद ये करने लगे क्योंकि आपने उन्हें बल दिया।

निश्चित रूप से प्रदूषण चिंता का विषय है लेकिन उसका कारण पटाखे नहीं हैं और जो मुख्य कारण हैं उनको अनदेखा करके पटाखे बैन कर कर्तव्यों की इतिश्री कर ली जाती है। यदि सच मे दिल्ली बचानी है तो पटाखे बैन की नौटंकी छोड़कर ngo सरकारें, विपक्ष और कोर्ट को प्रदूषण के मुख्य कारकों को बैन करना होगा।

पूर्वांचली बधाई के पात्र है जिन्होंने छठ पूजा नरेटिव बनने से पहले भारी विरोध कर इसे बचा लिया वरना अगला टार्गेट हिंदुओं का छठ पूजा ही था। ध्यान रहे कोई आपके साथ नही खड़ा होगा जबतक आप स्वयं अपने साथ नही खड़े हैं।

दीपावली से उसका मुख्य आकर्षण पटाखा खत्म करने के लिए, बच्चों के हाथों से फुलझड़ी छिनने के लिए सब जिम्मेदार हैं, हिन्दुद्रोहियों से लेकर नारंगी भी और आप स्वयं भी क्योंकि आप मौन रहे। हिन्दुद्रोहियों के नरेटिव ने होली से रंग, दीपावली से पटाखे, दशहरे से रामलीला, जन्माष्टमी से दही हांडी छीन ली है या छिनने के कगार पर है।

जय सत्य सनातन धर्म

If you want to end a culture, take away its festivals, and if you want to end any festival, then make the children’s excitement disappear from it.

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By Ashwani Hindu

अशवनी हिन्दू (शर्मा) मुख्य सेवादार "सनातन धर्म रक्षा मंच" एवं ब्यूरो चीफ "सनातन समाचार"। जीवन का लक्ष्य: केवल और केवल सनातन/हिंदुत्व के लिए हर तरह से प्रयास करना और हिंदुत्व को समर्पित योद्धाओं को अपने अभियान से जोड़ना या उनसे जुड़ जाना🙏

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