"Shri Manikarna Tirtha is the divine fruit and the one who surprises Jai Bholenath"
ॐ नमः शिवाय ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय
सनातन🚩समाचार🌎 यूं तो सृष्टि के कण-कण में भगवान भोलेनाथ का वास है परंतु कुछ ऐसे स्थान हैं जहां पर शंभर सदा शिव भगवान भोलेनाथ जी का प्रत्यक्ष प्रभाव और चमत्कार भी दिखता है पृथ्वी पर भगवान शिव जी के साथ जुड़े हुए अनेक तीर्थ स्थल हैं जो सभी अपने आप में दिव्य हैं उनमें से एक स्थान है हिमाचल प्रदेश का मणिकरण तीर्थ। भगवान भोलेनाथ को शांत स्वभाव का माना जाता है परंतु जब उन्हें गुस्सा आता है तो उनके प्रकोप से कोई बच नहीं पाता है। शिव जी का ऐसा ही विकराल रूप हिमाचल प्रदेश में किसी समय प्रकट हुआ था। जहां नीलकंठ ने क्रोध में आकर अपने त्रिनेत्र खोल दिए थे।
पवित्र ग्रंथों के अनुसार धरती पर आज भी ये जगह मौजूद हैं। जहां बेहद गर्म पानी एक स्त्रोत भी है। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार हिमााचल प्रदेश के मणिकर्ण नामक स्थान पर महादेव जी ने अपनी तीसरी आंख खोली थी। बताया जाता है कि एक बार मां पार्वती जी के कान का कुंडल पानी में गिर गया था। जो बहते हुए पाताल लोक पहुंच गया था। इसे ढूंढ़ने के लिए शिव जी ने अपने गणों को आदेश दिया था। मगर वह माता जी का कुंडल ढूंढ नहीं पाए जिस कारण भोलेनाथ की को उनका भयानक गुस्सा आया तब शिव जी की क्रोध में देख वहां नैना देवी जी प्रकट हुई थीं। उन्होंने पाताल लोक में जाकर शेषनाग से मणि लौटाने के लिए कहा और तब शेषनाग जी ने भगवान शिव जी को वह मणि उपहार स्वरुप दे दी।
तब से वहां शिव जी का एक मंदिर है। पास में ही एक गर्म पानी का स्त्रोत भी है। कहा जाता है कि जिन लोगों को त्वचा रोग या अन्य कोई समस्या होती है, उन्हें इस कुंड में स्नान करने से लाभ होता है। साथ ही इस दिव्य मंदिर में लोग माथा टेक कर मनवांछित फल भी प्राप्त करते हैं।
मणिकर्ण भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य में कुल्लू जिले के भुंतर से उत्तर पश्चिम में पार्वती घाटी में व्यास और पार्वती नदियों के मध्य बसा है। ये हिन्दुओं का एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। यह समुद्र तल से १७६० मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और कुल्लू से इसकी दूरी लगभग ४५ किमी है। भुंतर में छोटे विमानों के लिए हवाई अड्डा भी है। भुंतर-मणिकर्ण सडक एकल मार्गीय (सिंगल रूट) है, पर है हरा-भरा व बहुत सुंदर। इस सर्पीले रास्ते में तिब्बती बस्तियां हैं। देश-विदेश के लाखों प्रकृति प्रेमी पर्यटक यहाँ बार-बार आते है, विशेष रूप से ऐसे पर्यटक जो चर्म रोग या गठिया जैसे रोगों से परेशान हों यहां आकर स्वास्थ्य सुख पाते हैं।
ऐसा माना जाता है कि यहां उपलब्ध गंधकयुक्त गर्म पानी में कुछ दिन स्नान करने से ये बीमारियां ठीक हो जाती हैं। खौलते पानी के चश्मे मणिकर्ण का सबसे अचरज भरा और विशिष्ट आकर्षण हैं। प्रति वर्ष अनेक युवा स्कूटरों व मोटरसाइकिलों पर ही मणिकर्ण की यात्रा का रोमांचक अनुभव लेते हैं।
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