“Rizwan Ahmed lashed out at the Hindus and told them – Jahiliya, if the Hindus remember the sorrow of 800 years, then ……..”
जो हिंदुओं के मठाधीशों को कहना चाहिए था वो खरी खरी कह दी इस मुसलमान ने। तो क्या मठाधीश कायर हैं ? ? ?
रिजवान अहमद
सनातन 🚩समाचार🌎 पिछले कई सालों से लगभग सारे देश में हिंदुओं के खिलाफ एक जबरदस्त अभियान छिड़ा हुआ है। जिसके चलते कई तरह के जिहाद की खबरें आती रहती हैं, और कभी जबरन इस्लाम कबूल करवाने की घटनाएं होती हैं। अभी हाल ही में तो हिंदुओं के गले काटने की घटनाएं भी घट रही हैं।इस विकट परिस्थिति में हिंदुओं को अपने मठाधीशों से बहुत ज्यादा आशा थी है कि वह कुछ उचित मार्गदर्शन देंगे। परंतु ऐसा नहीं हुआ सभी मठाधीश और बड़े-बड़े संत चुप्पी साध कर बैठे हुए हैं। परंतु ऐसे में डॉ रिजवान अहमद नाम के एक मुस्लिम स्कॉलर का द्वारा ऐसा बहुत कुछ कह दिया गया है जो हिंदुओं को झकझोर ने वाला तो है ही उसके साथ ही वह मुसलमानों के लिए भी बहुत बड़ा संदेश है।
तुझे हिंदुस्तान में छिपने की जगह नहीं मिलेगी
उन्होंने मुसलमानों से स्पष्ट कहा है कि अगर तुझे 800 साल की हुकूमत याद है और तू उसे फक्र से बोल रहा है तो जिस दिन इस देश के हिंदू को 800 साल के सारे गम, गुस्सा और जुल्म याद आ गए तो तुझे हिंदुस्तान में छिपने की जगह नहीं मिलेगी और तेरे साथ हम भी पीटेंगे। तू और तेरे बच्चे दौड़ा-दौड़ा कर मारे जाएंगे और तेरे साथ हम भी पीटेंगे और हमे भी दौड़ा-दौड़ा कर मारा जायेगा। उन्होंने आगे कहा है कि शुक्र कर हिंदू को वह पूरे 800 साल याद नहीं हैं। वह आज केवल मथुरा काशी की बात कर रहा है अगर हिंदू को 800 साल याद आ गए तो 30,000 मंदिरों की बात करेगा। एक भी मस्जिद नहीं बचेगी नमाज पढ़ने के लिए।
मुसलमान तो ऊंचे पजामे में बुरा नहीं लगता
उन्होंने हिंदुओं को भी लताड़ते हुए कहा है कि तुम लोग अमरनाथ जाते हो छोटे छोटे बच्चे और बूढ़े भी जाते हैं। वहां से वापस होने पर तुम लोग इतने कमजोर क्यों हो जाते हो कि तुम्हें हेल्पलाइन की जरूरत पड़ती है। और उस देश में जहां तुम खुद 100 करोड़ हो। उन्होंने हिंदुओं को झकझोर के हुए कहा है की टीका लगाने से शर्माओ मत, सिख 7 मीटर की पगड़ी बांधता है उसे प्रॉब्लम नहीं होती उसे गर्मी नहीं लगती परंतु आपने अपनी धोती छोड़ दी। आपने अपनी संस्कृति छोड़ दी। क्यों छोड़ दी ? बुरे लगोगे क्या ? सरदार तो पगड़ी में बुरा नहीं लगता। मुसलमान तो ऊंचे पजामे में बुरा नहीं लगता, पूरे कॉन्फिडेंस में रहता है लेकिन आपने अपनी संस्कृति छोड़ी, क्या तुम्हें शर्म आती है ? उस शर्म से बाहर आओ।
माथे पर तिलक लगाकर आप बैकवर्ड लगेंगे
आपकी महिलाएं मंगलसूत्र पहनती हैं मांग में सिंदूर भरती हैं तो आप तिलक क्यों नहीं लगाते हो ? धोती क्यों नहीं पहनते हो ? ऑफिस में जाओ मॉल में जाओ धोती पहन कर। मूंछ कटा कर मुसलमान सुंदर नहीं लगता, ऊंचा पजामा पहन कर मुस्लमान सुंदर नहीं लगता परंतु आपको लगता है कि माथे पर तिलक लगाकर आप बैकवर्ड लगेंगे इसके साथ ही उन्होंने हिंदुओं को भगवे की याद दिलाते हुए कहा कि आप केवल किसी खास मौके पर भगवा पहनते हो जो दूर से दिख जाते हैं कि अभी अभी निकाल कर नया नया पहना है। फिर 364 दिन तुम लोग उसे संभाल कर रख देते हो।
भगवे को अपने कल्चर को रूटीन में लाइए हर रोज भगवा पहनिए नहीं तो कभी-कभी तो जरूर पहनिए। धोती हर रोज नही पहनते तो कभी कभी अवश्य पहनिए। चोटी नहीं रख सकते तो कम से कम तिलक तो हर रोज लगाइए। इन सब बातों के बाद एक बात तो कहनी पड़ेगी कि जो कुछ रिजवान अहमद ने कहा है वही बातें आज तक किसी भी बड़े हिंदू संत अथवा मठाधीश ने नहीं कहीं हैं। तो कहना पड़ता है की क्या हमारे मठाधीश सच बोलने से डरते हैं ?