महंत नरेंद्र गिरि की आत्महत्याके बाद कौन बनेगा अखाड़े का अध्यक्ष ?? खत्म हुआ ये प्रश्न।।
अखाड़े का अध्यक्ष कौन बनेगा इस बारे में काफी सस्पेंस बना हुआ था, और इस पद के लिए निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्रपुरी का नाम सबसे ऊपर था। बताया जा रहा है श्री प्रयागराज में सोमवार को दारागंज निरंजनी अखाड़े में हुई एक खास बैठक में महंत रवींद्र पुरी को मान्यता प्राप्त 13 में से सात अखाड़ों ने बहुमत से निर्णय लेते हुए नया अध्यक्ष चुना गया।
हिंदुओं की आदरणीय
महंत नरेंद्र गिरि द्वारा आत्महत्या किये जाने के बाद अब किसको अखाड़े का अध्यक्ष बनाया जाएगा ये एक बहुत बड़ा मुद्दा बन गया था। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरि की आत्महत्या के बाद हिंदुओं की आदरणीय और साधु संतों की सबसे बड़ी संस्था अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष का पद रिक्त चल रहा था। इसके लिए कई दिनों से काफी जोड़तोड़ चल रही थी, और इस बारे में अखाड़ों को अपने पक्ष में करने की जोर आजमाइश भी चल रही थी। बता दें कि अखाड़े की परंपरा के अनुसार जिस अखाड़े के संत का निधन होता है, और वह परिषद में पदाधिकारी होता है तो उस अखाड़े से जो नाम दिया जाता है उसे ही उस पद पर कार्यकाल पूरा होने तक बैठाया जाता है।
अखाड़ा परिषद के संरक्ष
इसके अनुसार ही अध्यक्ष पद पर निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्रपुरी का नाम सबसे ऊपर था। बताया जा रहा है प्रयागराज में सोमवार को दारागंज निरंजनी अखाड़े में हुई बैठक में महंत रवींद्र पुरी को मान्यता प्राप्त 13 अखाड़ों में से सात ने बहुमत से फैसला लेते हुए नया अध्यक्ष चुना गया। अखाड़ा परिषद के संरक्षक महंत हरि गिरि की ओर से निर्मल अखाड़ा प्रयागराज में परिषद की बैठक बुलाई गई थी जिसमें रवींद्र पुरी महाराज को अखाड़े का नया अध्यक्ष चुना गया है।
एक करोड़ रुपए की राशि
रविंद्र पुरी 1998 के कुंभ मेले के बाद अखाड़े की कार्यकारिणी में शामिल हुए थे। 2007 में उन्हें अखाड़े का सचिव बनाया गया था। पता चला है कि महंत नरेन्द्र गिरि ने सभी अखाड़ों में व्यवस्था के लिए एक करोड़ रुपए अखाड़ों को दिलवाए थे परन्तु महंत रविन्द्र पुरी ने महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से सरकार के उस एक करोड़ रुपए की राशि को ठुकरा दिया था। जूना अखाड़े के सभापति महंत प्रेम गिरि भी जूना अखाड़े से अध्यक्ष बनाने की बात कह चुके थे। हालांकि उन्होंने यह उस स्थिति में कहा था जब पूरा परिषद भंग हो जाए।
श्री हरिद्वार में
पुरानी कार्यकारिणी के कार्य करते रहने की स्थिति में नहीं। महंत रविन्द्रपुरी श्री हरिद्वार के कनखल स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर के पीठाधीश्वर महंत रविंद्र पुरी महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव भी हैं। वे 35 वर्ष पहले संन्यास दीक्षा लेकर महानिर्वाणी अखाड़े में सम्मलित हुए थे। श्री हरिद्वार में संतों के एक धड़े द्वारा परिषद का चुनाव करवा कर नई कार्यकारिणी की घोषणा कर दी गयी है। जबकि परिषद के महामंत्री महंत हरिगिरि ने पहले ही प्रयागराज जी में 25 अक्तूबर को बैठक की घोषणा की थी। श्री हरिद्वार में हुई बैठक में सात अखाड़े एक साथ आए थे। इस समय 13 में से सात अखाड़े एक ओर हैं, जबकि अन्य छह अखाड़े एक साथ हैं।
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Ravindra Puri Maharaj became the new president of the akhada, 7 out of 13 akhadas elected him unanimously
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धन्यवाद आदरणीय जी। आपने हमारा उत्साह वर्धन किया है।