“Now criminals will not be saved from the new law, data will be safe from feet to retina.”
लगता है अब अपराधियों को जल्दी पकड़ा करेगी पुलिस।
सनातन🚩समाचार🌎भारत सरकार के द्वारा लोकसभा में दंड प्रक्रिया (पहचान विधेयक) 2022 पेश किया गया है। इसमें किसी भी अपराध के मामले में गिरफ्तार और दोष सिद्ध हुए अपराधियों का रिकॉर्ड रखने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करने की अनुमति देने का प्रस्ताव किया गया है। संसद के निचले सदन में 58 के मुकाबले 120 मतों से इस विधेयक को पेश करने की मंजूरी दे दी गई है। इस विधेयक को हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी। विधायक पेश करते हुए गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने कहा कि मौजूदा अधिनियम को बने 102 साल बीत चुके हैं।
ब्रिटिश काल के कानून
उन्होंने कहा कि उसमें सिर्फ फिंगरप्रिंट और फुटप्रिंट लेने की अनुमति है। जबकि अब नई तकनीक उपलब्ध होने से इसमें संशोधन की आवश्यकता अनुभव की गई है। मत विभाजन में विधेयक पेश करने की अनुमति दिए जाने के पक्ष में 120 वोट पड़े तथा 58 मत विरोध में पड़े। इस विधेयक के माध्यम से वर्ष 1920 के कैदियों की पहचान संबंधी कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। ब्रिटिश काल के वर्तमान कानून में उन दोष सिद्ध अपराधियों और अपराध के मामले में पकड़े गए लोगों के शरीर के सीमित स्तर पर माप की अनुमति दी गई है, जिसमें 1 वर्ष या उससे अधिक सश्रम कारावास का प्रावधान होता है।
सरकार का मानना है
इस विधेयक में दोषियों और अपराध के मामले में गिरफ्तार लोगों का विभिन्न प्रकार का ब्यौरा एकत्र करने की अनुमति देने की बात कही गई है। इसमें उंगली, हथेली की छाप, पैरों की छाप, फोटो, आंखों के पुतली, रेटीना और लिखावट के नमूने आदि शामिल हैं। सरकार का मानना है कि अधिक से अधिक विवरण मिलने से दोष सिद्धि दर में वृद्धि होगी और जांचकर्ताओं को अपराधियों को पकड़ने में बहुत आसानी होगी।