जय भीम जय मीम मौन, सेकुलर गायब, मोमबत्ती गैंग चुप्प, तालिबान फैन क्लब बहुत खुश।
मृतक नाबालिग योगेश जाटव
शायद आप पहलू खान को अभी भूले नहीं होंगे। अप्रैल 2017 में गौरक्षकों पर उसकी मॉब लिंचिंग का आरोप लगाया गया था। तब सभी राजनीतिक पार्टियां और सेकुलर मीडिया खूब छाती पीट पीट कर रोया था। उस घटना को हिंदूद्रोही मीडिया ने अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बना दिया था तथा तब उन्होंने जी भर के हिन्दुओं को हिन्दू धर्म को पानी पी पी के कोस था। परन्तु अब जबकि अलवर में योगेश जाटव नाम के एक दलित युवक की सरेआम मॉब लिंचिंग कर दी गई है। तो अब इन सभी को सांप सूँघ गया है। क्योंकि इस दलित के हत्यारे मुस्लिम समुदाय के हैं।
घटना विस्तार से
घटनाक्रम कुछ यूँ था कि बड़ौदामेव के मीना का बांस इलाके में बुधवार (15 सितम्बर, 2021) को भटपुरा निवासी योगेश जाटव बाइक से गाँव की तरफ जा रहे थे। रास्ते में एक गड्ढा था, ऐसे में दुर्घटना हो गई और उनकी बाइक एक महिला से टकरा गई। बस इसके बाद से शुरू हुआ मुस्लिम भीड़ का भयानक हमला। दलित युवक की इतनी पिटाई की गई कि वो कोमा में चला गया।
शव का अंतिम संस्कार
घायल योगेश जाटव का 3 दिन इलाज चला, परन्तु उसके स्वास्थ्य बिगड़ता गया और आखिर जयपुर में शनिवार को उसकी की मौत हो गई। इसके अगले ही दिन आक्रोशित ग्रामीणों ने बडौदामेव में अलवर-भरतपुर रोड पर दोपहर करीब 3 बजे से शाम 6 बजे तक शव रखकर विरोध प्रदर्शन किया। प्रशासन ने किसी तरह लोगों को समझा कर प्रदर्शन खत्म करवाया जिसके बाद शव का अंतिम संस्कार करने को परिजन राजी हुए। आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार कर के जेल भेजे जाने की माँग के साथ-साथ ग्रामीणों ने पीड़ित परिजनों को 50 लाख रुपए की सहायता देने के लिए सरकार से माँग की है।
मृतक की आयु मात्र 17 वर्ष
इस घटना के अगले ही दिन परिजनों ने FIR दर्ज करवा दी थी, जिसमें 6 लोगों को आरोपि बनाया गया था। रशीद , साजेत पठान, मुबीना तथा अन्य चार लोगों के नाम FIR में शामिल थे। ग्रामीणों के आक्रोश के कारण अलवर-भरतपुर मार्ग घंटों जाम रहा। योगेश जाटव की आयु मात्र 17 वर्ष बताई जा रही है। मरने वाला चार बहनों का इकलौता भाई था। कहना गलत ना होगा कि पुलिस-प्रशासन की निष्क्रियता के कारण ही ग्रामीणों को विरोध प्रदर्शन करना पड़ा। 5 घंटे तक हुए प्रदर्शन से पहले पुलिस ने IPC की धारा-336, 143, 323, 379, 341 जे अंतर्गत मामला दर्ज किया था।
यहां आश्चर्यजनज ये भी रहा कि पुलिस ने उलटा विरोध प्रदर्शन में शामिल एक व्यक्ति को ही गिरफ्तार कर लिया क्योंकि वो मृतक के परिजनों की तरफ से बोल रहा था। हालाँकि बाद में उसे छोड़ दिया गया। इस हए बवाल के बाद SC/ST एक्ट के अलावा अब हत्या की धारा भी लगा दी गई हैं। अब प्रशासन दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई का आश्वासन देते हुए सरकार तक पीड़ित परिजनों की बात पहुँचाने का वादा भी कर रहा है।
क्योंकि मृतक का नाम ‘योगेश जाटव’ है
एक दुखद पहलू ये भी है कि हजारों लोगों के सड़क पर उतरने के बावजूद इन पीड़ितों की आवाज़ अब तक मीडिया के कान में नहीं पहुँची है, क्योंकि मृतक का नाम ‘योगेश जाटव’ है, पहलू खान, अखलाक या तबरेज अंसारी नहीं है। किसी चोर को रंगे हाथों पकड़े जाने और उसकी पिटाई के बाद मौत होने पर उसके यहाँ राजनीतिक टूर करने वाले नेता इस बार संवेदना तक नहीं जताएँगे, क्योंकि इससे उनसे सेक्युलर होने का तमगा छिन जाएगा। मुस्लिम वोटों के तुष्टिकरण के लिए ऐसी घटनाओं पर उन्हें आँख मूँदे रहने की आदत है।
बतादें की इस मामले में पुलिस ने मॉब लिंचिंग वाली धारा भी नहीं लगाई थी। ईस बारे में राजस्थान भाजपा के पूर्व प्रवक्ता लक्ष्मीकांत भारद्वाज ने इस घटना पर टिप्पणी करते हुए कहा, “राजस्थान के अलवर में शांतिदूतों की भीड़ ने मासूम युवक योगेश को पीट पीट कर मार डाला। सेक्यूलर बिछुओं के कानों तक आवाज़ नहीं पहुँचेगी। क्योंकि मरने वाला है योगेश जाटव और मारने वाले हैं रशिद, साजेत पठान, मूबिना और उसके साथी।
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Not Akhlaq or Pehlu Khan but now “Hindu Dalit Yogesh Jatav” is dead, that’s why everyone has sniffed the snake