“Majare hi mazars” are sung in the forests, but the government does not hear the qawwalis because they are deaf?”

हिंदुओं का पलायन और जनसांख्यिकीय बदलाव यानी डेमोग्राफिक चेंज जहां जहां होता है वहीं देश का विभाजन हो जाता है।

सनातन 🚩समाचार🌎 श्री हरिद्वार से लेकर सुदूर सीमावर्ती जिले पिथौरागढ़ तक जनसांख्यिकीय अनुपात में भारी बदलाव हो चुका है। यहां पर मुसलमानों की आबादी बढ़ रही है, जिससे राजनीतिक गलियारों में खासी हलचल है। वैसे ये तो स्वाभाविक ही है क्योंकि जो कौम बच्चे पैदा नहीं करेगी उसकी आबादी तो घटेगी ही, और जो कौम बच्चे पैदा करती रहेगी उसकी आबादी अवश्य बढ़ेगी, फिर उसे चाहे डेमोग्राफिक चेंज कहें या कुछ और।

लोग इसे लैंड जिहाद कहते हैं

इस बीच बेहद चिंता बढ़ाने वाली एक खबर कुमाऊं क्षेत्र से मिल रही है। यहां बाजपुर से लेकर कालाढूंगी तक 20 किलोमीटर जंगल मार्ग में तीन-तीन दरगाह शरीफ के बोर्ड टांग दिए गए हैं। बतादें की राज्य के रिजर्व फॉरेस्ट एरिया में वन कर्मचारी किसी को नहीं जाने देते, ऐसे में यहां सैकड़ों की संख्या में मजारें कैसे बन गईं ? इस बात से हर कोई हैरान है। आम जनमानस की माने तो ये बहुत बड़े स्तर का लैंड जिहाद है, और हिंदू संगठन इन मजारों को अपने स्तर पर हटाते भी रहते हैं। (जिसके बारे में आपको कई खबरें बताई भी जा चुकी हैं)

नशेड़ियों के अड्डे बन चुके

परंतु सत्य तो ये है की जब तक वन अधिकारी ही अपना कार्य ईमानदारी से नहीं करेंगे तो तो इस तरह के अतिक्रमण होते रहेंगे। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के अलावा राजाजी टाइगर रिजर्व में भी दर्जनों की संख्या में मजारें बनी हुई हैं। जहां पर मुस्लिम समुदाय के लोग रह रहे हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार ये दरगाहें संदिग्ध किस्म के लोगों की शरणस्थली और नशाखोरी के अड्डे बन चुकी हैं। इसके साथ ही अब हिंदुओं ने इन इलाकों से पलायन भी आरंभ कर दिया है। अब उत्तराखंड के कई जिलों से शासन ने इस बारे में जिला प्रशासन और पुलिस से खुफिया रिपोर्ट मांगी है।

लोग तो प्रयास कर रहे हैं।

मजारें , उर्स, कव्वालियां

हल्द्वानी में गौला, टनकपुर में शारदा, रामनगर में कोसी नदी के किनारे वन विभाग की जमीन पर हजारों की संख्या में मुस्लिमों ने अपनी झोपड़ियां बना ली हैं। यहां पर भी कई दरगाह और मजारें बना कर सरकारी भूमि पे कब्जा किया जा चुका है। बताने की आवश्यकता नहीं है की उत्तराखंड राज्य बनने तक यहां नाममात्र की मुस्लिम आबादी हुआ करती थी, लेकिन वर्ष 2010 और 2020 के दौरान यहां जंगलों में अचानक मजारों की बाड़ आ गई। अब यहां उर्स मनाए जाते हैं, लाउडस्पीकर पे जोर शोर से कव्वालियां गाई जाती हैं, परंतु वनकर्मी शायद रिश्वतें खा कर सो जाते हैं इसलिए उन्हें कुछ सुनाई नहीं देता है।

श्री हरिद्वार भी सुरक्षित नहीं

बतादें की श्री हरिद्वार के मोतीचूर, श्यामपुर, कॉर्बेट, कालागढ़ ,बिजरानी, नंधौर, सुरई फोरेस्ट डिवीजन और यहां तक कि टिहरी झील के किनारे भी मजारें उग आई हैं। इस सारे घालमेल के बारे में मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक डॉ. पराग मधुकर धकाते का कहना है कि हमने सभी डिवीजनो से रिपोर्ट तलब की है कि उनके क्षेत्र में कौन-कौन से धार्मिक स्थल हैं और ये कब स्थापित हुए हैं ? इस बारे में रिपोर्ट मिलने के बाद आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

By Ashwani Hindu

अशवनी हिन्दू (शर्मा) मुख्य सेवादार "सनातन धर्म रक्षा मंच" एवं ब्यूरो चीफ "सनातन समाचार"। जीवन का लक्ष्य: केवल और केवल सनातन/हिंदुत्व के लिए हर तरह से प्रयास करना और हिंदुत्व को समर्पित योद्धाओं को अपने अभियान से जोड़ना या उनसे जुड़ जाना🙏

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