क्या हाईकोर्ट के इस कथन से आरक्षण के वास्तविक हकदारों को उनका हक्क मिलेगा❓
सनातन🚩समाचार🌎 पिछले लंबे समय से हिंदुस्तान में एक बहस चली हुई है कि जो लोग आरक्षण के वास्तविक हकदार हैं उन्हें उनका हक क्यों नहीं मिलता ? इस बारे में पिछले दिनों सुदर्शन न्यूज़ चैनल पर भी सीरियल वाइज बिंदास बोल प्रोग्राम चलाया गया था, जिसमें पूरी तरह स्पष्ट किया गया था कि देश में बहुत सारे ऐसे लोग भी रह रहे हैं जो धर्मांतरण करके इसायि बन चुके हैं परंतु जब आरक्षण की और अन्य सरकारी सुविधाओं को लेने की बात होती है तो वह लोग अपने आपको हिंदू बताते हैं। जिस कारण हिंदुओं का एक ऐसा बहुत बड़ा तबका जिसे आरक्षण के लाभ मिलने चाहिए वह इस लाभ से वंचित रह जाता है, क्योंकि उनका बहुत बड़ा हिस्सा यह लोग खा जाते हैं। इन्हें “क्रिप्टो क्रिश्चियन” कहा जाता है।
इन सारी चर्चाओं पर अब माननीय अदालत की मुहर भी लग चुकी है। इस बारे में मद्रास हाई कोर्ट की बातों पर अवश्य ध्यान दिया जाना चाहिए। मद्रास हाई कोर्ट ने कहा है कि अनुसूचित जाति से आने वाले बहुत से ऐसे लोग हैं जो धर्म परिवर्तन करके ईसाई तो बन जाते हैं परंतु जब आरक्षण का लाभ लेना होता है तो यह लोग खुद को दस्तावेजों में हिंदू घोषित करते रहते हैं। कैथोलिक पादरी जॉर्ज पोन्नेया से जुड़े एक मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस जी आर स्वामीनाथन ने यह बात कही है। दरअसल इस पादरी ने भूमा देवी जी और भारत माता के बारे में बेहद आपत्तिजनक बातें की थी, जिसके विरोध में उस पर एफ आई आर दर्ज की गई थी, जिसे रद्द करवाने के लिए उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था परंतु हाई कोर्ट ने उसे राहत देने से इनकार कर दिया तथा अपने फैसले में कन्याकुमारी की जनसंख्या में बदलाव की भी बात की जो अपने आप में बहुत बड़ा संकेत देती है।
ईसाई बहुल हो चुका
बता दें कि पादरी जॉर्ज पोन्नेया ने कन्याकुमारी में ही हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने वाली बहुत गलत बातें कही थी। इस बारे में जस्टिस एस स्वामीनाथन ने अपने फैसले में संकेत किया कि वास्तव में कन्याकुमारी जिला ईसाई बहुल हो चुका है। उन्होंने कहा धार्मिक तौर पर कन्याकुमारी की जनसंख्या में भारी बदलाव हुआ है। 1980 के बाद से जिले में अब हिंदू बहुसंख्यक नहीं रहे हैं। हालांकि 2011 की जनगणना बताती है कि 48 पॉइंट 5% आबादी के साथ हिंदू सबसे बड़ा धार्मिक समूह है। परंतु यह वास्तविकता से अलग हो सकता है।
यहां इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि एक बड़ी संख्या में अनुसूचित जाति के लोग धर्म परिवर्तन करके यहां ईसाई बन चुके हैं। लेकिन यह लोग आरक्षण का लाभ लेने के लिए खुद को हिंदू बताते रहते हैं। हाईकोर्ट ने आगे कहा कि पादरी की बातों पर गौर करने के बाद उसकी मानसिकता स्पष्ट हो जाती है। इसका मकसद केवल हिंदुओं को निशाना बनाना है। इसने एक तरफ हिंदुओं और दूसरी तरफ उसई तथा मुसलमानों को खड़ा करके दोनों समूहों को आपस में लड़वाने की कोशिश की है। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार अदालत ने कहा कि “याचिकाकर्ता ने भाषण में बार-बार हिंदू समुदाय को नीचा दिखाया है इसके शब्द पूरी तरह से उत्तेजना फैलाने वाले हैं”
तमिलनाडु के कन्याकुमारी में रोमन कैथोलिक पादरी ने धार्मिक समूहों के बीच नफरत और दुश्मनी फैलाने के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, डीएमके नेता और अन्य के खिलाफ जहरीली टिप्पणी करने के आरोप हैं। उसने कहा था कि विधानसभा चुनाव में द्रमुक की जीत मुसलमानों और ईसाइयों के द्वारा दी गई भीख थी। उसने हिंदू धर्म, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी के बारे में भी बहुत अपमानजनक बातें कही थी। प्रधानमंत्री के बारे में उसने कहा था कि “नरेंद्र मोदी के आखिरी दिन सबसे दयनीय होंगे मैं लिख कर दे सकता हूं जिस भगवान को हम पूछते हैं वह अगर सच में जिंदा है इतिहास देखेगा कि मोदी और अमित शाह के सड़े हुए शरीर को कुत्ते और कीड़े खाएंगे”
इसी पादरी ने बीजेपी विधायक एम आर गांधी के बारे में भी आपत्तिजनक बातें कही थी। उसने कहा था कि वह इसलिए चप्पल नहीं पहना था क्योंकि वह भारत माता को दर्द नहीं देना चाहता, और हम इसलिए चप्पल पहनते हैं ताकि हमारे पैर गंदे ना हो और भारत माता के कारण हमें कोई बीमारी ना हो जाए। पादरी की इस बकवास के वायरल होने के बाद हिंदुओं में आक्रोश फैल गया तथा उसके बाद भाजपा सहित कई लोगों ने इस दुष्ट पादरी के खिलाफ पुलिस में शिकायतें दर्ज करवाई थीं। मिली इन शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए अरूमनई पुलिस ने उस पर 295a 506, 505 और 153 के सहित मामला दर्ज कर लिया था साथ ही इस पादरी पर धारा 143 और 269 के अंतर्गत भी मामला दर्ज किया गया था।
इसी हुई एफआईआर को खारिज करवाने के लिए यह पादरी हाईकोर्ट में गया था जहां पर इसकी f.i.r. तो कैंसिल नहीं हुई बल्कि हाई कोर्ट के द्वारा बहुत सारी ऐसी टिप्पणियां कर दी गई जीनसे स्पष्ट हो गया कि किस तरह से क्रिप्टो “क्रिश्चियन” लोग आरक्षण के वास्तविक हक़दारों का हक छीन रहे हैं।
Hindus are not the majority, cryptocurrencies take advantage of reservation – HC
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