All the media smelled the snake because now POCSO has been imposed on 3 priests, as soon as allegations are made against Hindu saints, they repent day and night.
पादरियों पर पॉक्सो केसर गंभीर धाराएं लगना कोई नई बात नहीं है परंतु इस मामले में 1 साल बाद FIR हुई है।
सनातन 🚩समाचार🌎 हिंदुस्तान का कानून भी बहुत विचित्र है जहां एक और किसी हिंदू संत पर मात्र आरोप लगते ही सारा मीडिया हो हल्ला करने लगता है, और तुरंत हिंदू संत को पकड़कर जेल में ठूंस दिया जाता है वहीं दूसरी ओर जब किसी पादरी पर कोई आरोप लगता है तो पीड़ित को अपनी फरियाद सुनाने के लिए ही धक्के खाने पढ़ते हैं और सालों लग जाते हैं FIR करवाने में।
पादरी ने लड़के के साथ ……
इसका जीता जाता जागता प्रमाण मिला है महाराष्ट्र के पुणे में। यहां पर रहने वाले एक लड़के का सितंबर 2021 को विसेंट परेरा नाम के पादरी ने यौन शोषण किया था। आरोप लगाया गया है कि यह पादरी पीड़ित लड़के के घर गया और उसने लड़के के घर में ही उसका यौन शोषण किया, जिसके बारे में पीड़ित परिवार ने तुरंत इस घटना के बारे में पुणे के पादरी थामस डाबरे और मुंबई के आर्चबिशप कार्डिनल ओसवाल्ड ग्रेसियस को बताया था। परंतु इन दोनों ने परेरा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
इंसाफ के लिए धक्के खाए
पीड़ित परिवार के अनुसार अपने बेटे को इंसाफ दिलवाने के लिए वह लोग अलग-अलग 5 थानों में इंसाफ की गुहार लगाने गए लेकिन उनकी कहीं भी सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद अगस्त में पुणे के दो समाजसेवियों ने उनकी सहायता की, जिससे अब आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है। पता चला है कि समाजसेवी मारुती भापकर और डोमिनिक लोबो ने इस मामले के बारे में पुणे के पुलिस कमिश्नर से बात की। उसके बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उन्होंने सितंबर महीने में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में जाकर पीड़ित लड़के के ब्यान दर्ज करवाए, और पुलिस को नोटिस जारी करवाया।
फादर विसेंट परेरा पे पोक्सो
समाजसेवी भापकर की शिकायत के बाद 30 सितंबर को हडपसर थाने में आखिर आरोपियों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कर ली गई, तथा बाद में इस मामले को कोंडवा थाने में ट्रांसफर कर दिया गया है। इस मामले में फादर विसेंट परेरा पर बच्चों के साथ किए गए यौन शोषण की बहुत गंभीर धरा पॉक्सो के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया है। जिसके बाद से यह पादरी फरार हो गया है। इस पादरी के इलावा दो अन्य पादरियों पर भी धारा पोक्सो लगाई गई है क्योंकि उन्होंने लड़के के साथ हुए यौन उत्पीड़न को दबाया था।
जबरन अश्लील वीडियो दिखाए
बता दें की इस 15 वर्षीय लड़के के साथ यौन शोषण का आरोपी पादरी विसेंटर फरेरा पहले भी यौन शोषण के एक मामले में जेल में 18 महीने बिता चुका है। पहले जब वो सन 2018 में पैट्रिक हाई स्कूल में प्रिंसिपल था तब उसने आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले 1 छात्र के साथ मारपीट की थी और उसे जबरन अश्लील वीडियो दिखाए थे। उस मामले में 18 महीने जेल में बिताने के बाद अब वह जमानत पर बाहर आया हुआ था, परंतु कुकर्म करने की आदत से विवश होकर इसने फिर से एक 15 साल के नाबालिग लड़के को अपनी वासना का शिकार बना लिया।
समाजसेवियों ने की सहायता
पीड़ित लड़के के परिजनों का आरोप है कि उन्होंने पुणे के 5 पुलिस स्टेशनों – हडपसर, कोंडवा, बाना बाड़ी, बुंद गार्डन और पुणे रेलवे स्टेशनों पर दिसंबर जनवरी और फरवरी महीनों में बारी बारी शिकायतें की थी लेकिन कहीं भी उनकी सुनवाई नहीं हुई। इस सारे घटनाक्रम में पीड़ित परिवार की सहायता करने वाले समाजसेवी मारुति भास्कर का कहना है कि मुख्य पादरी के अलावा अन्य दो पादरियों आर्चबिशप और कार्डिनल ग्रेसियस को इस मामले की पूरी जानकारी थी, परंतु उन दोनों ने मुख्य आरोपी को बचाने के सभी प्रयास किए थे।
हाई प्रोफाइल लोग शामिल लड़के के यौन शौषण में
इस प्रकरण के बारे में पुलिस कमिश्नर पुणे का कहना है कि मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और अन्य दो आरोपियों के बारे में जांच की जा रही है। उधर कोंडवा थाने के इंस्पेक्टर सरदार पाटिल का कहना है की मुख्य आरोपी परेरा अभी फरार है, परंतु उसे जल्दी ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इस मामले में आरोपी बनाए गए थॉमस डाबरे ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि यह सारी बात पूरी तरह मनगढ़ंत है। मैं केवल चर्च कानून के अनुसार ही कार्य करता हूं। पीड़ित परिवार की सहायता करने वाले अन्य समाजसेवी डोमिनिक लोबो का कहना है की यौन शोषण के इस मामले में पुलिस बहुत दबाव में है। क्योंकि इस मामले में हाई प्रोफाइल लोग शामिल हैं।
कानून रंग बदलता है
बताने की आवश्यकता नहीं है की जहां इस मामले में पुलिस फूंक-फूंक कर कदम रख रही है वहीं दूसरी ओर हिंदुओं के प्रसिद्ध संत आसाराम जी बापू पर आरोप लगते ही उन्हें पुलिस के द्वारा तुरत फुरत में गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया था। और आज उन्हें जेल में 10 साल से भी ऊपर हो चुके हैं परंतु उन्हें 1 सेकंड की भी जमानत नहीं दी गई है। हालांकि उनकी आयु 87 वर्ष की है। कोरोना महामारी में सभी जेलें खाली कर दी गई थीं, परंतु आसाराम जी बापू को कोरोना हो जाने के बावजूद भी जेल में ही रखा गया था। शायद इसी कारण लोग अब यह कहने लगे हैं कि हिंदुस्तान का कानून भी विचित्र है जो व्यक्तियों को देखकर अपना रंग बदल लेता है।
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