“Geeta Jayanti Shrimadbhagwad Geeta ji’s manifestation took place on this day Have we understood Geeta ji or are we limited to “Yada Yada Hi Dharmasya”?
श्रीमद्भगवद्गीता जी से हमे वो सर्वश्रेष्ठ ज्ञान मिलता है जो हर काल में प्रत्येक व्यक्ति के लिए उपयोगी है।
सनातन 🚩समाचार🌎 मान्यता है कि जिस दिन भगवान श्रीकृष्ण जी ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था, उस दिन मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी थी। इसलिए इस दिन गीता जयंती मनाई जाती है। अर्थात मोक्षदा एकादशी के दिन ही श्रीमद्भगवद्गीता गीता जी का महाज्ञानी श्री कृष्ण जी के श्रीमुख से प्राकट्य हुआ था।
जब रणभूमि में अर्जुन अपनों को देखकर विचलित हो गए थे, तब श्रीकृष्ण भगवान जी ने उसे गीता का उपदेश देकर पूरी शक्ति के साथ धर्मरक्षा के लिए युद्ध लड़ने को कहा था। जी गीता के उपदेश को ह्रदय में धारण करने के बाद ही अर्जुन कौरवों को हराकर युद्ध पर विजय कर पाए थे।
🚩श्रीमद्भगवद्गीतागीता जी में ऐसा दिव्य और श्रेष्ठ ज्ञान है जो अन्य कहीं पर भी उपलब्ध नहीं है। श्री गीता जी में प्राणी मात्र के लिए वह ज्ञान है जिसका अवलंबन लेकर मनुष्य अपने जीवन की सभी समस्याओं से पार पा सकता है। श्रीमद्भगवद्गीता जी हमें सिखाती हैं की मनुष्य किस प्रकार से निश्चिंत रहकर अपना जीवन यापन कर सकता है। इससे हमें यह ज्ञान भी मिलता है कि किन किन परिस्थितियों में किसी व्यक्ति के कैसे कैसे कर्म होने चाहिए और उसका तत्कालीन स्थिति के अनुसार क्या धर्म है ?
श्री गीता जी हमें केवल इस जीवन के बारे में ही ज्ञान नहीं देती हैं बल्कि इस जीवन के पार भी होने वाली संभावनाओं के बारे में ज्ञान देती है। इससे हमें पता चलता है की मनुष्य को किस प्रकार निष्काम कर्म करते हुए अपना भविष्य संवारना चाहिए। श्रीमद्भगवद्गीता जी की अन्य कहीं भी कोई तुलना नहीं है। श्री गीता जी हमें बताती हैं की हमें अपने धर्म की रक्षा किस प्रकार करनी चाहिए ? ये हमें बताती हैं की अच्छे कर्म कौन से हैं और बुरे कर्म कौन से हैं ? हमें बताती हैं कि सांसारिक बंधनों में रहते हुए भी हम निर्बंध कैसे हो सकते हैं ?
🚩इसके साथ ही अध्यात्मिक लोगों के लिए भी इस दिव्य ग्रंथ में बहुत सहज में वह बातें भगवान श्री कृष्ण जी ने स्वयं अपने मुख से कहते हुए समझा दी हैं की किस प्रकार से मनुष्य को भक्ति करनी चाहिए ताकि साधक को शीघ्र ही मोक्ष पद प्राप्त हो जाए। श्री गीता जयंती के दिन आज हम सनातनीयों को इस पर भी विचार कर लेना चाहिए कि क्या हम अपने पास रखी हुई गीता को पढ़ते भी हैं या नहीं ? अगर पढ़ते हैं तो समझते भी है या नहीं ?
अगर हम विचार करें तो पाएंगे कि लगभग 75% लोग श्रीमद्भगवद्गीता जी को भली प्रकार समझ ही नहीं पाए हैं। क्योंकि हम हिंदू लोग अपनी मन मुखता के कारण तरह-तरह के आडंबरों में फस कर केवल भगवान श्री कृष्ण जी के नाम पर मनोरंजन करने में ही लगे हुए हैं। जबकि श्री गीता जी में महायोगी श्री कृष्ण भगवान जी ने सर्वश्रेष्ठ योग का ज्ञान दिया है। हमारे सामने हर रोज धर्म का अपमान होता है, गौमाता काटी जा रही हैं, हमारी बहन बेटियों की इज्जत तार-तार हो रही है। जबकि श्री गीता जी में शस्त्र धारी श्री कृष्ण भगवान जी ने स्पष्ट कहा है की अधर्मी का वध कर देना ही धर्म है।
🚩आज जिधर देखो उधर ही सनातन धर्म का अपमान किया जा रहा है जबकि श्री गीता जी में महान नीति कार श्री कृष्ण भगवान जी ने स्पष्ट किया है कि धर्म का अपमान कभी भी सहन नहीं किया जाना चाहिए, और यह सब बातें उन्होंने अपने श्री मुख से कहीं ही नहीं है बल्कि अपने कर्मों के द्वारा भी महाबली श्री कृष्ण भगवान जी ने अपने वचनों को अपने कर्मों के द्वारा सिद्ध भी किया है। परंतु दुर्भाग्य से आज हम जय श्री कृष्ण तो बोलते हैं परंतु महा ज्ञानी श्री कृष्ण भगवान जी के द्वारा प्रदत्त श्रेष्ठ ज्ञान पर कभी भी ध्यान नहीं देते।
सनातन 🚩समाचार🌎 का निवेदन है की आज श्री गीता जयंती के दिन हर हिंदू को यह संकल्प करना चाहिए की अब मैं प्रतिदिन श्री गीता जी का पाठ किया करूंगा और श्रीमद्भगवद्गीता जी में बताए गए मार्ग पर चलूंगा। विश्वास कीजिए अगर आप ऐसा कर पाए तो आपका यह लोक तो संवरेगा ही साथ ही आपके परलोक को भी संवार देने की गारंटी श्रीमद्भगवद्गीता जी में भगवान श्री कृष्ण जी के द्वारा दी गई है।