“In this country of tombs, the tomb was also made a symbol of Emperor Ashoka and now.”
“मजारें ही मजारें” सारे देश में सरकारी भूमि पर कब्जा करके अब तक लाखों मजारें बनाई जा चुकी हैं।
सनातन 🚩समाचार🌎 इसमें कोई संदेह नहीं है की बीते कई सालों से सारे देश में मजारों का जाल बिछाया जा रहा है जिसके चलते हिंदुस्तान के बहुत बड़े भूभाग पर अवैध कब्जा किया जा चुका है। मजा ने बनाकर कब्जा करने वाले यह लोग बिल्कुल भी नहीं देखते हैं कि यह जगह किसकी है यह कोई ऐतिहासिक जगह है अथवा हिंदुओं का मंदिर या फिर जंगलात विभाग के जंगल।
यह लोग किसी भी भूमि पर लंबाई में 20-25 ईंटें जोड़कर ऊपर हरा कपड़ा बिछा देते हैं, और उग जाता है एक नया पीर। परंतु अबे बेहद चौंकाने वाली खबर आई है की मजारी लोगों ने हिंदुस्तान का गौरव सम्राट अशोक जी के लगभग 2309 साल पुराने शिलालेख पर ही कब्जा करके उसे मजार बना दिया गया था।
विवरण ……….
बिहार के सासाराम में भू माफिया गैंग द्वारा सम्राट अशोक जी के लगभग 2300 साल पुराने एक शिलालेख पर कब्जा करके उस पर चुने की पुताई करके उसपर हरा कपड़ा डाल कर उस ऐतिहासिक स्थान को मजार में प्रवर्तित कर दिया गया था।
मरकजी कमेटी ने सूफी संत घोषित कर दिया
यहां रोहतास की चंदन पहाड़ी में स्थित हिंदुस्तान का गौरव महान मौर्य सम्राट अशोक जी का प्राचीन शिलालेख है। बता दें कि सारे देश में सम्राट अशोक जी के ऐसे आठ शिलालेख हैं, जिनमें एक बिहार में रोहतास की चंदन पहाड़ी पर है। इसी शिलालेख को घेर कर उस पर चूने से पोताई करवाकर उसके ऊपर हरी चादर डाल कर मरकजी कमेटी ने उसे सूफी संत की मजार घोषित कर रहा था। इतना ही नहीं इन लोगों ने इस शिला लेख को घेर कर उसपे अपना ताला भी जड़ दिया था।
संरक्षित स्मारक का बोर्ड भी लगा था
साथ ही आस पास हरे रंग के पेंट भी कर दिए थे। ये भू माफिया गैंग के लोग यहां पर हर साल किसी उर्स का भी आयोजन किया करते थे। देश की स्वतंत्रता के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने इस शिलालेख को वर्ष 2008 में संरक्षित स्मारक घोषित किया था। सासाराम शहर की पुरानी ग्रैंड ट्रंक रोड (GT Road) और नए बाइपास के मध्य कैमूर पहाड़ी श्रृंखला में आशिकपुर पहाड़ी की चोटी से लगभग 20 फीट नीचे स्थित कंदरा में स्थापित इस शिलालेख के पास ASI ने संरक्षित स्मारक का बोर्ड भी लगा दिया था।
परंतु बोर्ड उखड़ दिया गया
किंतु लैंड जिहादियों ने इसे वर्ष 2010 में उखाड़कर कर फेंक दिया था। पता चला है कि सासाराम (232 या 231 ईसा पूर्व) के सम्राट अशोक से संबंधित शिलालेख में ब्राह्मी लिपि में आठ पंक्तियाँ लिखी हुई हैं। कालांतर में शिलालेख का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो चुका है। इस दुर्लभ शिलालेख को ब्रिटिश राज में खोजा गया था और साल 1917 में इसे संरक्षित किया था। आजादी के बाद वर्षों तक इस ऐतिहासिक स्थान पर अतिक्रमण करने वालों का कब्जा रहा परंतु साल 2008, 2012 और 2018 में ASI ने सम्राट अशोक शिलालेख पर हुए अतिक्रमण हटाने के लिए तत्कालीन जिलाधिकारी (DM) से कहा था।
अवैध बड़ी इमारत बना दी गई
इसके बाद जिलाधिकारी ने सासाराम के एसडीएम को कार्रवाई का आदेश दिया था। जिसके बाद एसडीएम ने शिलालेख पर अवैध कब्जा करने वाले मरकजी मोहर्रम कमेटी से मजार की चाबी तत्काल प्रशासन को सौंपने के कहा था, लेकिन मरकजी कमिटी ने आदेश को अनसुना कर दिया था। धीरे-धीरे यहाँ पर एक बड़ी इमारत अवैध रूप से बना दी गई थी। ये राष्ट्रीय धरोहर होने के कारण मरकजी लोग निरंतर चल रही सरकारी कार्रवाई के चलते आखिर इसकी चाबी ASI के अधिकारियों को सौंपने के लिए विवश हो गए और ये बहुत महत्व का राष्ट्रीय स्मारक मरकाजी लोगों की पकड़ से आजाद हो गया है।
बेशक मरकजीयों से कब्जा छुड़ा लिया गया है, परंतु सनातन 🚩समाचार का यह मानना है कि अधिकृत तौर पर तो इन लोगों ने इस स्मारक की चाबी ASI को सौंप दी है। परंतु अनाधिकृत रूप से यह लोग हर वर्ष यहां पर उर्स का आयोजन तो किया ही करेंगे। जैसा कि हर जगह होता आया है।