Those who have converted will also get the benefit of SC quota? Commission constituted under the chairmanship of former CJI.”

SC, धर्मपरिवर्तन, आरक्षण, हिंदू, सिख, बौद्ध, लंबे समय से मांग उठ रही थी, अब होगा मंथन उचित अनुचित का।

सनातन 🚩समाचार🌎 पिछले कई वर्षों से जहां हिंदुस्तान में बहुत बड़े स्तर पर हिंदुओं के धर्मांतरण की घटनाएं हो रही हैं उनसे सामाजिक जीवन का ताना-बाना बहुत बुरी तरह बिगड़ा है जिसके चलते हैं आपसी द्वेष मतभेद और झगड़े तो बड़े ही हैं।

धोखे से लाभ

परंतु साथ ही इससे दलित समाज के उन लोगों के साथ बहुत भारी धोखा हो रहा था क्योंकि एसएससी के अंतर्गत आने वाले लोग बहुत सारे लोग अपना धर्म बदलने के बाद भी उनका हिस्सा खा रहे थे यानी संविधान के अनुसार जिन लोगों को आरक्षण नहीं मिलना चाहिए वह लोग भी धोखे से आरक्षण का लाभ ले रहे थे बल्कि अब भी ले रहे हैं इस सबके चलते हिंदुओं के दलित एसएससी वर्ग का बहुत बुरी तरह से शोषण हो रहा था क्योंकि लोग धर्म तो बदल लेते थे परंतु नौकरी इत्यादि लेते समय अपना एसएससी होने का प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर देते थे।

उन लोगों को अनुसूचित जाति (SC) का दर्जा देने पर विचार करेगा

लगता है की उनके द्वारा किए जा रहे इस अवैध कार्य को वैध करने के लिए सरकार ने अब पूर्व सीजेआई केजी बालकृष्णन की अध्यक्षता में एक आयोग गठित कर दिया गया है जो अब एसएससी दर्जे पर पुनर्विचार करेगा। केंद्र सरकार ने पूर्व चीफ जस्टिस केजी बालकृष्णन की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया है। यह आयोग उन लोगों को अनुसूचित जाति (SC) का दर्जा देने पर विचार करेगा, जिनका ऐतिहासिक रूप से अनुसूचित जाति से तो संबंध है परंतु उन्होंने अपना धर्म बदल लिया है।

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय

बतादें की संविधान के अनुसार हिंदू, सिख, या बौद्ध के अलावा किसी अन्य धर्म को मानने वाले व्यक्ति को अनुसूचित जाति का सदस्य नहीं माना जा सकता है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से गुरुवार को जारी एक अधिसूचना के अनुसार, तीन सदस्यीय आयोग में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी डॉ. रविंदर कुमार जैन और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की सदस्य प्रोफेसर सुषमा यादव भी शामिल होंगी। ये आयोग तय करेगा की अगर धर्मांतरित लोगों को भी SC का दर्जा दिया जाता है तो मौजूदा अनुसूचित जातियों के अधिकारों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा ?

सुप्रीम कोर्ट के पहले दलित चीफ जस्टिस

इसके साथ ही इस बात पर भी ध्यान दिया जाएगा की इन लोगों के अन्य धर्मों में परिवर्तित होने के बाद उनके रीति-रिवाजों, परंपराओं और सामाजिक भेदभाव और अभाव की स्थिति में कैसा बदलाव आया ? आयोग इस विषय से जुड़े किसी भी अन्य संबंधित प्रश्नों पर भी मंथन करने को स्वतंत्र होगा। इस नवगठित आयोग के अध्यक्ष केजी बालकृष्णन सुप्रीम कोर्ट के पहले दलित चीफ जस्टिस थे। वह मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। जारी अधिसूचना में कहा गया है कि यह मुद्दा मौलिक और ऐतिहासिक रूप से जटिल सामाजिक और संवैधानिक है।

निश्चित रूप से यह सार्वजनिक महत्व का एक मामला है। इसकी संवेदनशीलता और प्रभाव को देखते हुए इसका विस्तृत अध्ययन किया जाना आवश्यक है।

By Ashwani Hindu

अशवनी हिन्दू (शर्मा) मुख्य सेवादार "सनातन धर्म रक्षा मंच" एवं ब्यूरो चीफ "सनातन समाचार"। जीवन का लक्ष्य: केवल और केवल सनातन/हिंदुत्व के लिए हर तरह से प्रयास करना और हिंदुत्व को समर्पित योद्धाओं को अपने अभियान से जोड़ना या उनसे जुड़ जाना🙏

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *