“We worship and you do filth, you have broken lakhs of temples, we are asking for 3 with folded hands.”
सारी दुनियां के स्नातनियों में खुशी की लहर के साथ साथ दुख भी
सनातन🚩समाचार🌎कल जब से काशी विश्वनाथ परिसर में स्थित ज्ञानवापी विवादित ढांचे में हुए सर्वे का परिणाम सामने आया है, तब से सारी दुनिया के सनातनियों में एक बहुत जबरदस्त खुशी की लहर है। प्रत्येक हिंदू इस बात पर संतुष्टि अनुभव कर रहा है कि वर्षों से नंदी महाराज अपने बाबा की प्रतीक्षा में बैठे हुए थे आखिर उन्हें अपने बाबा मिल गए हैं, और हिंदुओं को भी बहुत शांति मिली है की उनके मंदिर के ऊपर विदेशी आक्रांता के द्वारा जो एक ढांचा जबरन बना दिया गया था अब उसकी भी सच्चाई सारी दुनिया के सामने आ गई है। हालांकि वाराणसी के लोग तो हमेशा से यही जानते आए हैं और मानते भी आए हैं कि यह स्थान भगवान भोलेनाथ के मंदिर का ही है, और यहीं पर मुख्य शिवलिंग भी स्थापित है।
बता दें की इसी पवित्र प्रांगण में महिलाओं के द्वारा श्रृंगार गौरी जी की पूजा भी की जाती है। इस सर्वे में जहां एक ओर इस विवादित ढांचे में कमल के पुष्पों की चित्रकारी, घंटियां, स्वास्तिक के चिन्ह, दीवारों पर खुदी हुई गणेश जी की प्रतिमा है, और इसके साथ-साथ हिंदुओं के अन्य धार्मिक चिन्ह सामने आए हैं वहीं पर एक चिर प्रतिक्षित शिवलिंग भी प्रकट हुआ है। इस शिवलिंग के दर्शन होने पर निसंदेह सारी दुनिया में रह रहे हिंदुओं में बहुत ज्यादा खुशी की लहर है, परंतु साथ ही एक बहुत भारी दुख भी आज प्रत्येक सनातनी के मन में हैं कि हम अपने आराध्य भोलेनाथ के शिवलिंग पर जहां एक और गंगाजल पुष्प सुगंधित द्रव्य इत्यादि चढ़ाते हैं उनकी पूजा आरती करते हैं…….
वजू खाने में से
उसी पवित्र शिवलिंग की ऐसी भयानक दुर्दशा इस विवादित ढांचे में विधर्मीयों के द्वारा की जा रही थी जिसकी कल्पना मात्र से ही किसी भी धर्म प्रेमी की आत्मा का रो देना स्वभाविक ही है। क्योंकि यह जो शिवलिंग मिला है यह वजू खाने में से मिला है। आपको बता दें कि वजू खाना वह होता है जहां पर मुसलमान लोग नमाज पढ़ने से पहले अपने हाथ पैर धोते हैं, कुल्ला करते हैं। उसी वजू खाने के तालाब के अंदर यह शिवलिंग प्राप्त हुआ है यानी के उस तालाब में हाथ पैर धोकर कुल्ला करके पवित्र शिवलिंग को लगभग 500 वर्षों से दिन में 5 बार अपवित्र किया जाता रहा है।
बहरहाल अब तो ऐसा नहीं होगा क्योंकि इस पवित्र स्वरूप के मिलने के बाद अदालत ने तुरंत सीआरपी को निर्देश दिया है कि इसकी पूरी तरह से सुरक्षा की जाए और वहां पर किसी भी प्रकार की कोई क्रिया नहीं की जाए, यानी अब वहां पर वजू इत्यादि नहीं होगा। इस पवित्र शिवलिंग के मिलने के बाद अब सारे देश में क्रियाओं और प्रतिक्रियाओं का दौर भी आरंभ हो चुका है। एक तरफ जहां सारा हिंदू समाज इस पर संतोष व्यक्त कर रहा है वहीं पर दूसरी और मुस्लिम समाज में इस बारे में मिली जुली प्रतिक्रिया दी जा रही है। मुस्लिम समाज के अधिकतर लोग इस हुए सर्वे के खिलाफ ही बोल रहे हैं, परंतु सबसे अधिक उत्पात मचा रखा है हैदराबाद के असदुद्दीन ओवैसी ने।
कानून की धज्जियां उड़ाता है
यह वही ओवैसी है जिसका भाई 15 मिनट में ही देश के सारे हिंदुओं को खत्म कर देने की चाहत मन में रखता है, इसका भाई हिंदुओं की मां जगत जननी माता सीता जी के बारे में भयानक गंदा बकता है, इसका भाई हिंदुओं की आस्था गौ माता को खा जाने की बात खुले मंच पर से कहता है। मजे की बात यह है कि जहां इस मामले में असदुद्दीन ओवैसी किसी कानून की बात बार-बार कर रहा है वहीं दूसरी ओर जब कोई और मसला होता है तो यही व्यक्ति कानून की धज्जियां उड़ाता है, और मजहब मजहब करता है। खैर कोई बात नहीं हिंदुस्तान पाकिस्तान की तरह मजहबी देश नहीं है और ना ही यह हिंदू राष्ट्र है। दुर्भाग्य से यह देश एक सर्कुलर देश है।
इस देश में सभी को अपनी बात कहने का हक है और देश के कानून के अनुसार असदुद्दीन ओवैसी कुछ गलत भी नहीं बोल रहा है। इसके साथ ही हिंदू समाज के लोगों की भी कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। इस बारे में वाराणसी की ही एक समाज सेविका प्रीति पांडे जी ने बेबाक होकर इस विषय पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने खुलकर सारी परिस्थितियों को स्वीकारा भी है और कई बातों को नकारा भी है।
और अंत में उन्होंने हाथ जोड़कर यह भी कह दिया है कि तुम लोगों ने हमारे लाखों मंदिर तोड़ दिए हम वो सभी नहीं मांग रहे हम तो केवल हाथ जोड़कर तीन मंदिर ही मांग रहे हैं। उसमें भी तुम लोगों को आपत्ति है। हमें भाई कहते हो तो भाईचारा निभाओ भी।।