“Shock to Hindus, there was hope of getting evidence of the temple but HC dismissed the petition.”
आतंकवादियों के लिए तो अदालत के दरवाजे रात को भी खुलते हैं।
सनातन🚩समाचार🌎हिंदुओं की आस्था पर विधर्मियों द्वारा कानून के अनुसार लगातार आक्रमण होते रहे हैं। परंतु अब जबकि हिंदू भी अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए कानून का सहारा लेने की ओर चल पड़ा है तो ऐसे में अब कानून ने ही हिंदुओं से मुख मोड़ लिया है।
आराध्य देवताओं की मूर्तियां
जी हां यह सही बात है क्योंकि इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 12 मई 2022 को ताजमहल के उन 20 कमरों को खोलने की याचिका खारिज कर दी है जिनके खुलने से हिंदुओं को आशा थी कि वहां पर अवश्य ही हमारे आराध्य देवताओं की मूर्तियां/ स्वरूप मिलेंगे। जस्टिस वीके उपाध्याय और जस्टिस सौरभ विद्यार्थी की बेंच ने हिंदुओं की आस्था की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि आप याचिका डालकर हम से कहेंगे कि हमें माननीय न्यायाधीशों के चेंबर में जाना है। कृपया जनहित याचिका का मजाक मत उड़ाओ।
ताजमहल पहले शिव मंदिर था
बता दें कि बीजेपी के यूथ मीडिया इंचार्ज रजनी सिंह ने कोर्ट में एक जनहित याचिका डाली थी जिसमें माननीय अदालत से अपील की गई थी कि वह भारतीय पुरातत्व विभाग को आदेश दें कि वह ताजमहल के बंद पड़े 20 कमरों में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियों की तलाश करें। याचिकाकर्ता रजनी सिंह ने कई इतिहासकारों और हिंदू संगठनों को आधार बनाकर कहा था की ताजमहल पहले एक शिव मंदिर हुआ करता था। इस याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया था कि इन तमाम दावों की जांच के लिए ए एस आई की एक टीम नियुक्त की जाए, जो इन दावों की सच्चाई के बारे में पता लगा कर अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंपे।
सच्चाई जानने का हक
इस पर कोर्ट ने कहा कि हम ड्राइंग रूम में इस विषय पर चर्चा के लिए आपका स्वागत करते हैं, परंतु कोर्ट रूम में इस मुद्दे पर बहस की कोई संभावना नहीं है। अपने निवेदन में याचिकाकर्ता ने कहा था कि अगर कई इतिहासकारों और हिंदू संगठनों के दावों में कोई सच्चाई है तो वह सच्चाई जानने का हक देश के प्रत्येक नागरिक को है। याचिका में कहा गया है कि उन्होंने सच जानने के लिए कई बार आरटीआई लगाई थी लेकिन उन्हें हमेशा लिखित में यही जवाब दिया गया है कि ताजमहल के भीतर मौजूद कई दरवाजों को सुरक्षा की दृष्टि से कभी नहीं खोला गया है।
नाराज हो गए
इस याचिका पर नाराजगी जताते हुए अदालत ने कहा है कि क्या ऐसे मुद्दे कोर्ट में चर्चा का विषय बन सकते हैं ? क्या हम जज इस तरह के मामलों पर सुनवाई के लिए तैयार हैं ? और क्या हमारे पास ऐसे संसाधन हैं जो इस तरह की सच्चाई को बाहर ला सकें ?
बता दे की देश के दुश्मन और मानवता के हत्यारे आतंकवादी के लिए अदालत के दरवाजे रात के समय भी खुल सकते हैं परंतु हिंदुओं के मन की व्यथा की यह याचिका माननीय अदालत को बुरी लगी है। कोई बात नहीं जज साहब तो जज साहब ही हैं। उनके आगे कौन बोल सकता है ?
इसी संदर्भ में एक बात और बहुत ध्यान देने वाली है कि सुनवाई से पहले भाजपा सांसद दिया कुमारी ने 11 मई 2022 को एक दावा किया था कि जिस जमीन पर ताजमहल खड़ा हुआ है वह जयपुर के शासक जयसिंह की है जिसे शाहजहां ने छीन लिया था। पूर्व जयपुर शाही परिवार की सदस्य दीया कुमारी ने कहा है कि लोगों को यह जानने का पूरा अधिकार है कि ताजमहल के 20 कमरों में ताला क्यों लगा रहता है ? तथा वर्तमान के ताजमहल से पहले वहां पर क्या था ? यह देश की जनता को पता लगना ही चाहिए।