यह हिंदुओं का दुर्भाग्य है या हिंदुओं की उदासीनता ?
विषय बहुत गंभीर है चिंता जनक है
आज जबकि सनातन धर्मियों के ऊपर चहुँ ओर से हमले हो रहे हैं ऐसे समय में हिंदुओं के एक बहुत बड़े प्रतिष्ठित 86 वर्ष के बजुर्ग संत श्री आसाराम जी बापू जेल में हैं हालांकि उनके ऊपर कोई आरोप सिद्ध नहीं हो सका है परंतु फिर भी वह 8 सालों से निरंतर जेल में हैं। उनके साथ किसी भी प्रकार की कोई सहानुभूति नहीं दिखाई जा रही मानवाधिकार का कोई नियम उनके लिए नहीं सीनियर सिटीजन होने का उन्हें कोई लाभ नहीं और अब कोरोना वायरस के चलते सुप्रीम कोर्ट की नोटिफिकेशन के बाद भी उन्हें जमानत नहीं दी जा रही है जिससे स्पष्ट पता चलता है कि हिंदुओं के इस वृद्ध संत के साथ बहुत बड़ा षड्यंत्र हुआ है।
पक्ष में उठती रही हैं आवाजें ….
संत श्री आसाराम जी बापू के पक्ष में लगातार भिन्न-भिन्न श्रेष्ठ जनों और संतों द्वारा आवाज उठाई जाती रही हैं परंतु ना जाने इसमें अदालतें क्या सोच रही हैं या कानून ही ऐसा है या फिर उन लोगों का कोई बहुत बड़ा दबाव है जो नहीं चाहते कि संत आसाराम जी बापू कभी भी जेल से बाहर आए।
बता दें कि उन्हें कोरोना के साथ साथ बहुत सारी अन्य तकलीफें भी हो गई थी, ऑक्सीजन लेवल बहुत घट गया था,हालांकि उनकी उनकी इच्छा नहीं थी फिर भी उनका जबरन एलोपैथिक इलाज किया गया,वह निरंतर आयुर्वेदिक इलाज की मांग करते रहे।ऐसा माना जाता है कि एलोपैथी दवाओं के इंफेक्शन के कारण उनकी अंदर किसी आन्त में जख्म हो गया जिससे निरंतर ब्लीडिंग होती रही और उन्हें 8 बोतल खून भी चढ़ाना पड़ गया।
आखिर किसके इशारे पे सताया जा रहा है ?
यहां गौरतलब बात यह भी है कि हिंदुओं के ऐसे संत को किस हद तक सताया जा रहा है इसका प्रणाम यह भी है कि थोड़ा स्वस्थ होने के बाद आसाराम जी बापू को अस्पताल से जब वापिल जेल लाया गया तो उन्हें कैदियों को लाने लेजाने वाले वाहन में लाया गया जो उनके जीवन के लिए बहुत घातक था हालांकि बड़े-बड़े क्रूर अपराधियों की भी जब सेहत खराब होती है तो उन्हें एंबुलेंस दी जाती है परंतु क्या कारण है कि यह 86 साल के उस वृद्ध सन्त के साथ ऐसा क्रूर व्यवहार किया जा रहा है
बाहर हाल अब देखना यह होगा कि क्या वास्तव में न्याय प्रणाली अथवा किसी नेता या पार्टी विशेष की यही इच्छा है कि संत श्री आशारामजी बापू की जीवन लीला जेल में ही समाप्त हो जाए और उनके जो करोड़ों चाहने वाले हैं भक्त हैं वह अच्छी तरह तड़पे परंतु अगर ऐसा हुआ तो (जैसा कि लग रहा है) आने वाले समय में बापू के दुखी और खिन्न भक्त राजनेताओं को बहुत करारा सबक सिखाने वाले हैं।
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जुल्म का प्रतिकार करना बहुत जरूरी है इंसाफ की लड़ाई में अंतिम क्षण तक लगे रहना चाहिये
आपकी बात ही सही है परन्तु हिन्दू पता नहीं कब प्रतिकार करेंगे ????