“Heaps of Hindu corpses>No discussion>Now they are stopping the truth from coming out>Somewhere the voice mute>Nowhere allowed>Sudarshan news channel announced this.”
ये सब आज भी जारी है आपके आस पास
सनातन 🚩समाचार🌎सारी दुनियां में हिंदुओं का एक मात्र देश बचा है हिन्दुस्थान। यहां पर भी हिंदुओं को खत्म कर देने के षड्यंत्र/प्रयास लगातार चलते ही रहते हैं। इन्हीं प्रयासों में एक बहुत भयंकर प्रयास किया गया था 1990 के दशक में, जिसमे हिंदुओं का बहुत बड़े स्तर पर नरसंहार किया गया था और असंख्य हिंदू स्त्रियों के साथ सामूहिक बलात्कार करने के बाद उन्हें निर्दयता पूर्वक कत्ल कर दिया गया था।
“द काश्मीर फाइल्स”
जी हां हम बात कर रहे हैं काश्मीर में घटी दुर्भाग्यपूर्ण सच्ची घटनाओं पर आधारित द कश्मीर फाइल्स की। इस फिल्म में वह सच्चाई दिखा दी गई है जो आज तक सभी नेताओं ने, सारे मीडिया ने और खासकर भांड बॉलीवुड ने सारी दुनिया से छुपा कर रखी। और अब जबकि साहस करके किसी शूरवीर बॉलीवुड वाले ने यह फिल्म बना ही दी है तो इसे हर तरह से रुकवाने के प्रयास किए जा रहे हैं। यह फिल्म रुकवाने के लिए धमकियां दी गई, कई तरह के दबाव डाले गए और तो और कानून का भी सहारा लिया गया है।
https://youtube.com/shorts/94EGOx6eOqE?feature=share
लिंक टच करें साध्वी रितंभरा जी पीड़ा
आवाज म्यूट की जा रही है
अब जबकि फिल्म रिलीज हो ही गई है तो एक और कड़वी सच्चाई सामने आ रही है की जो लोग इस सच्चाई को छुपाए रखना चाहते थे आज वो इस फिल्म को बड़े पर्दे पर चलने से रोकने के भी भरसक प्रयास कर रहे हैं। कहीं पर इस फिल्म की कुछ दृश्यों में आवाज म्यूट की जा रही है तो कहीं पर सिनेमाघरों ने डर के कारण यह फिल्म अपने सिनेमा हॉल में चलाने से ही मना कर दिया है। बता दें कि एक वैश्या पर बनी फिल्म को देश के हर छोटे-बड़े सिनेमा में तो चला जा सकता है परंतु कश्मीर के हिंदुओं के भयंकर नरसंहार की सच्चाई की फिल्म को अब हिंदुओं के आजाद देश हिंदुस्तान में चलने से भी रोका जा रहा है।
भांड कपिल शर्मा
ऐसे में सुदर्शन न्यूज़ चैनल सामने आया है। इस चैनल के मालिक सुरेश चव्हाणके ने अपने चैनल पर घोषणा कर दी है कि हम इस फिल्म को बिना एक ही पैसा लिए अपने चैनल पर जितनी बार फिल्म बनाने वाले चलाना चाहे चला सकते हैं, और हम इस फिल्म का बिना कोई शुल्क लिए अपने चैनल पर प्रचार भी करेंगे। बता दें की एक भांड कपिल शर्मा ने अपने प्रोग्राम में इस फिल्म का प्रमोशन करने से मना कर दिया था। सोशल मीडिया पर यह चर्चा आम है कि यह शो सलमान खान के द्वारा चलाया जा रहा है इसलिए इस शो में हिंदुओं पर हुए अत्याचार की इस फिल्म का प्रमोशन नहीं किया गया, और अब लोग भांड कपिल शर्मा के शो का बहिष्कार करने की बातें भी जोर शोर से कर रहे हैं।
आइए जानते हैं कश्मीर के बारे में वह सब कुछ जो आपको जानना ही चाहिए …….
19 जनवरी 1990 की सर्द सुबह थी। कश्मीर की मस्जिदों से उस रोज अज़ान के साथ-साथ कुछ और नारे भी गूंजे। ‘यहां क्या चलेगा, निजाम-ए-मुस्तफा’, ‘कश्मीर में अगर रहना है, अल्लाहू अकबर कहना है’ और ‘असि गछि पाकिस्तान, बटव रोअस त बटनेव सान’ मतलब हमें पाकिस्तान चाहिए और हिंदू औरतें भी मगर अपने मर्दों के बिना। यह संदेश था कश्मीर में रहने वाले हिंदू पंडितों के लिए। ऐसी धमकियां उन्हें पिछले कुछ महीनों से मिल रही थीं।
सैकड़ों हिंदू घरों में उस दिन बेचैनी थी। सड़कों पर इस्लाम और पाकिस्तान की शान में तकरीरें हो रही थीं। हिंदुओं के खिलाफ जहर उगला जा रहा था। वो रात बड़ी भारी गुजरी, सामान बांधते-बांधते। पुश्तैनी घरों को छोड़कर कश्मीरी पंडितों ने घाटी से पलायन का फैसला किया।
उस रात घाटी से पंडितों का पहला जत्था निकला। मार्च और अप्रैल के दरम्यान हजारों परिवार घाटी से भागकर भारत के अन्य इलाकों में शरण लेने को मजबूर हुए। अगले कुछ महीनों में खाली पड़े घरों को जलाकर खाक कर दिया। जो घर मुस्लिम आबादी के पास थे, उन्हें बड़ी सावधानी से बर्बाद कर दिया गया। कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के अनुसार, जनवरी 1990 में घाटी के भीतर 75,343 परिवार थे। 1990 और 1992 के बीच 70,000 से ज्यादा परिवारों ने घाटी को छोड़ दिया। एक अनुमान है कि आतंकियों ने 1990 से 2011 के बीच 399 कश्मीरी पंडितों की हत्या की। पिछले 30 सालों के दौरान घाटी में मुश्किल से 800 हिंदू परिवार ही बचे हैं।
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 20वीं सदी की शुरुआत में लगभग 10 लाख कश्मीरी पंडित थे। आज की तारीख में 9,000 से ज्यादा नहीं हैं। 1941 में कश्मीरी हिंदुओं का आबादी में हिस्सा 15% था। 1991 तक उनकी हिस्सेदारी सिर्फ 0.1% रह गई थी। जब किसी समुदाय की आबादी 10 लाख से घटकर 10 हजार से भी कम रह जाए तो उसके लिए एक ही शब्द है : नरसंहार।
हिंदुओं की हत्या का सिलसिला 1989 से ही शुरू हो चुका था। सबसे पहले पंडित टीका लाल टपलू की हत्या की गई। श्रीनगर में सरेआम टपलू को गोलियों से भून दिया गया। वह कश्मीरी पंडितों के बड़े नेता थे। आरोप जम्मू-कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट के आतंकियों पर लगा मगर कभी किसी के खिलाफ मुकदमा नहीं हुआ। चार महीने बाद, 4 जनवरी 1990 को श्रीनगर से छपने वाले एक उर्दू अखबार में हिजबुल मुजाहिदीन का एक बयान छपा। हिंदुओं को घाटी छोड़ने के लिए कह दिया गया था। इस वक्त तक घाटी का माहौल बेहद खराब हो चुका था। हिंदुओं के खिलाफ भड़काऊ भाषणों की भरमार थी। उन्हें धमकियां दी जा रही थीं जो किसी खौफनाक सपने की तरह सच साबित हुईं।
हिंदुओं की बर्बादी की सच्ची घटनाओं पर आधारित यह फिल्म आप घर में नहीं बल्कि सिनेमा हॉल मे अवश्य ही देखने जाएं ऐसा सनातन 🚩समाचार🌎 का निवेदन है।
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