अगर आप हिंदू हैं, अगर आपको अपने धर्म से प्रेम है, अगर आपको अपने राष्ट्र से प्रेम है तो निश्चय ही यह तस्वीरें आपको बहुत बेचैन करने वाली हैं।
यह बहुत दुखद है कि वर्तमान में जहां एक ओर सारा विश्व हिंदुस्तान की सनातनी परंपराओं को अपना रहा है हिंदू बन रहा है तो वहीं दूसरी ओर वह हिंदुस्थानी जो युगों युगों से इस धरा पर रहते आए हैं जो इस भारत भूमि के महान पूर्वजों की संताने हैं वह अपने संस्कार अपना धर्म पूरी तरह भूलते जा रहे हैं।
आखिर इसके पीछे क्या कारण हो सकता है ?
यह बहुत बड़ी चिंता का और चिंतन का विषय है। देखा जा रहा है कि सारी दुनिया में इस समय हिंदू धर्म के प्रति लोगों का रुझान बढ़ रहा है और विदेशी लोग हिंदू धर्म अपना रहे हैं हिंदू संस्कार अपना रहे हैं अक्सर ऐसे किस्से सुनने को मिल जाते हैं की किन-किन बड़ी-बड़ी हस्तियों ने हिंदू धर्म को अपना लिया है परन्तु हिंदुस्तान में हिंदू लोग ही अपना धर्म त्याग कर ईसाई बन रहे हैं।
अनुचित तर्क ……
इसके बारे में अक्सर यह तर्क दिया जाता है कि उन्हें धन का लालच देकर धर्म परिवर्तन किया जाता है यह सही भी हो सकता है परंतु क्या कारण है कि हिंदू अपनी जड़ों से इतना कमजोर क्यों हो गया है ? जो चंद रुपयों की खातिर अपना धर्म बदल लेता है, हालांकि परंपरा से हिंदुस्तान में बड़े-बड़े संत महर्षि रहे हैं और आज भी हैं बड़े-बड़े कथावाचक हैं और गली गली में मंदिरों में पंडित जी भी हैं इन सभी का कार्य धर्म प्रचार करना और धर्म के प्रति लोगों में दृढ़ता कायम रखना ही होता है परंतु धर्म की वर्तमान दयनीय स्थिति को देखते हुए क्या यह मान देना चाहिए कि हमारे सभी धर्म प्रचारक अपना कर्तव्य पालन में असफल हुए हैं ?
कड़वा किन्तु स्तय , , , , , ,
हालांकि ये बहुत कड़वी बात है परंतु दुर्भाग्य से ये स्तय है क्योंकि मुसलमान तो कभी भी धन के लोभ में पड़ कर इस्लाम का त्याग नहीं करते जबकि बहुत सारे हिन्दू सहज में ही अपना हिंदुत्व त्याग रहे हैं। ये कहीं ना कहीं हमारे धर्मपचारकों की ही कमी रही है जो वे लोग अपने समाज को अपने धर्म मे दृढ़ नहीं रख पाए और सही बातबतो ये है कि आज 99 % धर्मप्रचारक धन के मोह में पड़ कर केवल और केवल हिंदुओं का मनोरंजन ही कर रहे हैं जिस कारण जड़ों से कमजोर हिन्दू धर्मपरिवर्तन कर रहे हैं और निरन्तर पाश्चात्य संस्कृति में डूब कर अपने संस्कार खो रहे हैं।
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जी जी समस्सया बहुत विकराल है।