सनातन धर्म में पूजा पाठ की अनेक विधियां हैं परंतु प्रत्येक पूजा अथवा यज्ञ के बाद आवश्यक है आरती।

जैसा कि सभी जानते हैं की आरती प्रत्येक पूजा कर्म के बाद की जाती है जिसमें अपने इष्ट आराध्य की स्तुति वंदना होती है परंतु कई लोग आरती को सही ढंग से करने की विधि नहीं जानते हालांकि श्रद्धा से की गई पूजा आरती कभी निष्फल नहीं होती तथापि अगर विधि विधान से कोई भी कार्य किया जाए तो वहां शत-प्रतिशत फलीभूत होता ही है।

आइए जानते हैं आरती के पवित्र नियम

शास्त्रों के नियम अनुसार देवी-देवताओं का पूजन दिन में 5 बार करना चाहिए।

सुबह 4 से 5 बजे तक मे ब्रह्म मुहूर्त में पूजन और आरती करनी चाहिए।

इसके उपरांत प्रात: 9 से 10 बजे तक दूसरी बार का पूजन एवं दोपहर में तीसरी बार पूजन करना चाहिए।

इस पूजन के बाद भगवान जी को शयन करवाना चाहिए।

सन्ध्या के समय चार-पांच बजे पुन: पूजन और आरती।

रात्रि को 8-9 बजे शयन आरती करनी चाहिए।

जिन घरों में नियमित रूप से पांच बार पूजन किया जाता है, वहां सभी देवी-देवताओं का वास होता है और ऐसे घरों में धन-धान्य की कोई कमी नहीं होती है।

आरती करने की सही विधी

आरती हमेशा देवी देवता के सन्मुख यानी बिलकुल सामने खडा होकर ही करना चाहिए कई लोग देव के दायें या बायें खडे रहकर आरती करते है जो सही नहीं है। हमे सदैव स्वरूप के सामने ही खडे होकर आरती पूजा करनी चाहिए, ओर भगवान जी कि मुर्ति या तस्वीर हो तो उनसे दो या तीन फुट की दुर से ही आरती करनी चाहिए। कई लोग तो मुर्ति के मुख या बहुत नजदीक से आरती करते हैं, ऐसा करना गलत है। आरती कितनी बार घुमाना चाहिए इसका रहस्य यह है कि आप जिस देव की आरती कर रहें देखें की कितनी संख्या है, उतनी ही बार घुमाना चाहिए।

गणेश जी के इसमें चतुर्थ तिथि के अधिष्ठाता हैं, इसलिए 4 बार घुमानी चाहिए ।

विष्णु की तिथि भी द्वादशी है और महामंत्र भी द्वादशाक्षर है, अतः वैष्णो की आरती में 12 बार घुमानी चाहिए ।

सूर्य सात रंग की विभिन्न सात किरणों वाले, सात घोड़ो से युक्त रथ में बैठे हैं, सप्तमी तिथि का अधिष्ठाता है, अतः सूर्य जी की आरती में 7 बार घुमानी चाहिए ।

माँ दुर्गा जी की नव संख्या प्रसिद्ध है, नवमी तिथि है, अतः 9 बार बार घुमानी चाहिए ।

रुद्र एकादश हैं, चतुर्दशी तिथि के अधिष्ठाता हैं, अंत: 11 या 14 बार घुमानी चाहिए ।

आरती कैसे उतारें ?

भगवान जी की प्रतिमा के चरणों में चार बार।

नाभि देश में दो बार।

मुखमण्डल पर एक बार ।

समस्त अंगों पर सात बार। सभी मंदिरों में इसी नियम का पालन होता है, लेकिन कई लोग अपनी सुविधानुसार अपनी मनमर्जी की आरती पूजा करते हैं, परन्तु ये धर में तो चल सकता है परन्तु। मन्दिर में नहीं।

🚩🚩 हर हर महादेव 🚩🚩

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By Ashwani Hindu

अशवनी हिन्दू (शर्मा) मुख्य सेवादार "सनातन धर्म रक्षा मंच" एवं ब्यूरो चीफ "सनातन समाचार"। जीवन का लक्ष्य: केवल और केवल सनातन/हिंदुत्व के लिए हर तरह से प्रयास करना और हिंदुत्व को समर्पित योद्धाओं को अपने अभियान से जोड़ना या उनसे जुड़ जाना🙏

4 thoughts on “सनातन धर्म मे प्रत्येक पूजा के बाद आवश्यक है आरती, क्या आप जानते हैं कि आरती कैसे करनी चाहिए❓नहीं जानते तो अब जानियें🌹”

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