“Masjid – Mazar – 19 Mic – Azaan – 500 Complaint to Police – “Save High Court”
अजान इस्लाम का हिस्सा है किंतु लाउडस्पीकर पे अजान इस्लाम का हिस्सा नहीं: हाईकोर्ट
सनातन 🚩समाचार🌎 सोशल मीडिया पर तो लगातार मस्जिदों में लगे लौडस्पिकरों से होने वाली अजान के बारे में चर्चाएं होती ही रहती है, किंतु अब यह मामला फिर से अदालत में पहुंच गया है। दरअसल मुंबई में रहने वाले एक पूर्व सैनिक ने इसके बारे में पुलिस को लगभग 500 बार शिकायत दर्ज करवाई थी किंतु जब उनकी पुलिस ने नहीं सुनी तो उन्होंने अब मुंबई हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
विवरण ……….
मुंबई हाई कोर्ट का रुख करने वाले 75 वर्षीय पूर्व नौसैनिक का नाम है महेंद्र सप्रे। इनके अनुसार उनके घर के सामने बसी हुई झोपड़पट्टी मैं बनी मस्जिद और मजारों पर लगे बड़े-बड़े लाउडस्पीकरों से बहुत तेजआवाजें आती हैं। जिस कारण उनके सेहत बहुत खराब हो चुकी है, उन्हें दवाइयां लेनी पढ़ती हैं। मुंबई के वडाला क्षेत्र में पढ़ती फैकल्टी बिल्डिंग में रहने वाले नौसेना के रिटायर्ड 75 वर्षीय महेंद्र सप्रे अपनी पत्नी के साथ रहते हैं।
उनकी पत्नी भी इंडियन केमिकल टेक्नोलॉजी में प्रोफेसर हैं। उनका कहना है कि उनकी बिल्डिंग के सामने बंगालीपुरा स्लम एरिया है। तथा वहां पर मस्जिद मजारों पर 19 से भी अधिक बड़े-बड़े लाउडस्पीकर अवैध तरीके से लगाए गए हैं, जिन से होने वाले शोर से वह बेहद परेशान हैं। उनका कहना है कि मैं हृदय रोगी हूं मेरा इलाज चल रहा है। डॉक्टरों ने मुझे आराम करने के लिए और ज्यादा से ज्यादा नींद लेने के लिए हिदायत दी है, किंतु मस्जिदों के लाउडस्पीकरों से आने वाली कई आवाजें मुझे सोने नहीं दे रहीं हैं।
स्प्रे के अनुसार उन्होंने स्थानीय पुलिस को इसकी शिकायत लगभग 500 बार की है, किंतु पुलिस ने कभी उनकी तकलीफ दूर करने का प्रयास नहीं किया। और अब परेशान होकर उन्होंने मुंबई हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। इस बारे में पूर्व सैनिक महेंद्र सपरे के वकील प्रेरक चौधरी का कहना है कि ध्वनि प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उनके क्लाइंट के क्षेत्र में उल्लंघन हो रहा है। बतादें कि इस पूर्व सैनिक का कहना है की उसे किसी भी मजहब से दिक्कत नहीं है, किंतु लाउडस्पीकरों से निकलने वाली बेतहाशा आवाज उनका स्वास्थ्य खराब कर रही है।
दरअसल अदालत में दायर की गई याचिका पर गत 12 अप्रैल 2023 को हाई कोर्ट ने सुनवाई की थी, तथा अब अगली सुनवाई 12 जून को निश्चित की गई है। पूर्व सैनिक के अनुसार उन्होंने अपनी तकलीफ के बारे में गृह मंत्रालय और पीएमओ ऑफिस को भी अवगत करवाया है, किंतु किसी ने भी मेरी तकलीफ पर ध्यान नहीं दिया।
बता दें की सन 2020 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसले में माना था की लाउडस्पीकर से अजान पर प्रतिबंध लगाया जाना वैध है। हाईकोर्ट ने साथ ही यह भी कहा था कि अजान इस्लाम का हिस्सा है लेकिन लाउडस्पीकर पर अजान देना इस्लाम का हिस्सा नहीं हो सकता।