बहुत कुछ पहली बार हो रहा है देश में। सुदर्शन न्यूज़ चैनल में इस्लाम पर खुली बहस के बाद अब यह बकरीद के दिन पशुओं की कुर्बानी का विरोध …….

कल एक तरफ जहां सारे हिन्दुस्थान में मुसलमानों द्वारा ईद उल अजहा का त्योहार यानि बकरीद को मनाया गया, वहीं उसी समय पश्चिम बंगाल के कोलकाता में रहने वाला एक मुस्लिम युवक बकरीद के दिन जानवरों की कुर्बानी का विरोध कर रहा था, और इसके विरोध में वह 72 घंटे के रोजे पर बैठा हुआ था।

यह खबर पढ़ते समय आपको आश्चर्य हो रहा होगा कि आखिर यह कैसे हो सकता है ? परंतु ऐसा हुआ है। जैसा कि सभी जानते हैं कि सारी दुनिया में इस्लाम को मानने वाले इस दिन बहुत भारी संख्या में जानवरों की कुर्बानी देते हैं। ऐसे में किसी मुसलमान के द्वारा ही इस परंपरा का विरोध करना अपने आप मे आश्चर्यजनक है ही। बता दें कि पश्चिम बंगाल के कोलकाता में रहने वाले अल्ताब हुसैन नामक युवक ने बकरीद के मौके पर जानवरों की कुर्बानी को गलत बताते हुए इसके खिलाफ आवाज उठाई है तथा वह इसके विरोध में 72 घंटे के रोजे पर है।

अल्ताफ हुसैन ने गत मंगलवार की रात को यह रोजा चालू किया था। इस बारे में हुसैन का कहना है कि जानवरों को लेकर क्रूरता बहुत बढ़ गई है, परंतु इसके खिलाफ कोई भी नहीं बोलता है जिससे मुझे बहुत दुख लगता है। आखिर किसी को क्या हक है कि वह खुदा के बनाए हुए जीव की हत्या कर दे। इसलिए मैं लोगों का इस मसले की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं और इसीलिए मैंने यह 72 घंटे का उपवास रखने का निर्णय किया है। यहां खास बात यह है कि हुसैन के भाई हर बार की तरह इस बार भी बकरी ईद के मौके पर काटने के लिए बकरा लेकर आए जिसे देखकर अल्ताब हुसैन के अनुसार वह बिल्कुल भी खुश नहीं है। अल्ताब हुसैन ने सन 2014 से ही मांसाहार का त्याग किया हुआ है, तथा वह पूर्णतयः शाकाहारी है।

सोशल मीडिया पर बहुत धमकियां मिलती रहीं।

अल्ताब हुसैन जब डेयरी के कारोबार से जुड़े थे तो उस समय उन्होंने एक वीडियो देखा था जिसमें पशुओं के साथ बहुत क्रूर व्यवहार किया गया था। इस वीडियो को देखने के बाद से ही अल्ताब हुसैन ने मांस खाना त्याग दिया था। इतना ही नहीं हुसैन ने चमड़े से बने किसी भी सामान का उसके बाद प्रयोग नहीं किया। हालांकि हुसैन का परिवार उसके इन विचारों से रत्ती भर भी सहमत नहीं है और उन्हें लगता है कि इस्लाम के अनुसार कुर्बानी देना लाजिम है। इस बारे में अल्ताब हुसैन ने बताया कि पशुओं के प्रति क्रूरता के विरोध में जब उसने आवाज उठाई तो मुझे सोशल मीडिया पर बहुत धमकियां मिलती रहीं। यहां तक की हिंदू समुदाय के भी कई लोग मेरे खिलाफ हो चुके हैं, क्योंकि मैं डेयरी उत्पादो का भी विरोध करता हूं। लेकिन इसके साथ ही बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं जो मेरा समर्थन कर रहे हैं।

घर वालों ने मुझे घर से ही निकाल दिया था।

अपने शाकाहारी जीवन के बारे में हुसैन बताते हैं कि मैं भी पहले परंपरा के अनुसार कुर्बानी करता था, लेकिन जब मैंने इसका वह दर्दनाक वीडियो देखा कि किस तरह जानवरों को पीटा जाता है उन्हें ज्यादा दूध देने के लिए इंजेक्शन घोम्पे जाते हैं, तो इस सबसे दुखी होकर मैंने मांस खाना पूरी तरह बंद कर दिया था। इस बारे में अल्ताब हुसैन ने आगे बताया कि जब मैंने अपने घर में हो रही गाय की कुर्बानी का विरोध किया था तो मेरे घर वालों ने मुझे घर से ही निकाल दिया था। उसके बाद लगभग 1 महीने के बाद मैंने अपने घर के सदस्यों से क्षमा मांगी तो मुझे वापस घर में घुसने की इजाजत दी गई थी।

फिर इसके बाद मैंने निर्णय लिया कि अब सीधे-सीधे इस अत्याचार का विरोध करने की बजाय सहज तरीके से कुर्बानी के विरोध में लोगों को इस बारे में जागरूक करूँगा ताकि लोग महसूस कर सकें की कुर्बानी देते समय किसी जानवर को कितनी पीड़ा होती है। अल्ताफ हुसैन के अनुसार एक बार उसने जब सोशल मीडिया पर कुर्बानी की तस्वीरों के साथ साथ अपने भाई की तस्वीर और भाई का नंबर भी शेयर कर दिया था, तब उसे बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा था

बहरहाल अल्ताब हुसैन के इस प्रयास की बहुत सारे लोग सराहना कर रहे हैं।

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By Ashwani Hindu

अशवनी हिन्दू (शर्मा) मुख्य सेवादार "सनातन धर्म रक्षा मंच" एवं ब्यूरो चीफ "सनातन समाचार"। जीवन का लक्ष्य: केवल और केवल सनातन/हिंदुत्व के लिए हर तरह से प्रयास करना और हिंदुत्व को समर्पित योद्धाओं को अपने अभियान से जोड़ना या उनसे जुड़ जाना🙏

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