Nag Panchami: Snakes are also worshiped in Sanatan Dharma, know in detail.”

सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले।
ये च हेलिमरीचिस्था ये न्तरे दिवि संस्थिता:।।
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।

सनातन🚩समाचार🌍 सावन मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लगभग प्रत्येक घर में नाग देवता की पूजा की जाती है। आईए जानते हैं कि आखिर क्यों मनाई जाती है नाग पंचमी !

नाग पंचमी के बारे में भविष्य पुराण के ब्रह्मा पर्व में नागपंचमी का विस्तृत वर्णन मिलता है। इसके साथ ही स्कंद पुराण के श्रावण महत्व पर्व में भी नाग पंचमी का विवरण है।

भविष्य पुराण के ब्रह्मा पर्व में दिए गए नाग पंचमी की कथा के बारे में बताते हैं। इस पुराण के अनुसार सुमंतु मुनि ने शतानीक राजा को नाग पंचमी की कथा के बारे में बताया है। श्रावण शुक्ल पक्ष के पंचमी के दिन नाग लोक में बहुत बड़ा उत्सव होता है। पंचमी तिथि को जो व्यक्ति नागों को गाय के दूध से स्नान कराता है उसके कुल को सभी नाग अभय दान देते हैं. उसके परिवार जनों को सर्प का भय नहीं रहता है। महाभारत में जन्मेजय के नाग यज्ञ की कहानी है। जिसके अनुसार जन्मेजय के नाग यज्ञ के दौरान बड़े-बड़े विकराल नाग अग्नि में आकर जलने लगे।

उस समय आस्तिक नामक ब्राह्मण सर्प यज्ञ रोककर नागों की रक्षा की थी यह पंचमी की तिथि थी। भविष्य पुराण में सांपों के लक्षण स्वरूप और जातियों के बारे में भी वृहद वर्णन भी है। जिससे पता चलता है कि हमारे महान ऋषि मनीषियों को सर्पों के बारे में भी बहुत ज्ञान था।

सनातन धर्म में नाग पंचमी के दिन नागों की रक्षण का व्रत लिया जाता है क्योंकि नागों की रक्षा से पर्यावरण संतुलित रहता है, सांप सामान्यतया किसानों के लिए हितकारी हैं। सांप फसलों को नष्ट करने वाले कीड़े पतंगों को खा जाते हैं जिससे फसलें अच्छी होती हैं। सांप फसलों को खाने वाले चूहों को भी खा जाते हैं। अतः अच्छे फसल चक्र के लिए सांप एक आवश्यक प्राणी है।

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बताने की आवश्यकता नहीं है की मणि धारी, इच्छा धारी, सात फन वाले आदि सांपों के बारे में कहानी किस्से हम सदियों से सुनते आ रहे हैं, मगर देखा किसी ने नहीं। जबकि प्राचीन समय में नाग एक जाति थी, वे लोग सर्प की पूजा करते थे। बता दें की सांप दूध नहीं पीता है। जब इन्हें जबरन दूध पिला दिया जाता है तो कुछ ही दिनों में सांप की मौत हो जाति है। इनकी पूजा एवं रक्षा करना हमारा कर्तव्य है।

पहले कई सपेरे सांपों के दांत तोड़ देते थे या उनके मुंह सील कर उनका प्रदर्शन कर पैसे कमाते थे। उस घोर अत्याचार को रोकने के लिए अब कानून बन चुका है और अब सपेरों से सांपों को मुक्त कराने हेतु बहुत सारे लोग भी आगे आ रहे हैं।

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By Ashwani Hindu

अशवनी हिन्दू (शर्मा) मुख्य सेवादार "सनातन धर्म रक्षा मंच" एवं ब्यूरो चीफ "सनातन समाचार"। जीवन का लक्ष्य: केवल और केवल सनातन/हिंदुत्व के लिए हर तरह से प्रयास करना और हिंदुत्व को समर्पित योद्धाओं को अपने अभियान से जोड़ना या उनसे जुड़ जाना🙏

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