"Women and obeisances 🙏 What is appropriate and what is inappropriate? Must have information."

महान पुरखों द्वारा बनाई बनाई महान परंपराएं पूर्णतया वैज्ञानिक कसौटी पे खरी उतरती हैं आज भी।

सनातन 🚩समाचार🌎 भारतीय महिलाएं दंडवत प्रणाम क्यों नहीं करती हैं ? ये है भगवान जी को प्रणाम करने का सही तरीका ………

आपने अक्सर देखा है कि कई लोग मूर्ति अथवा अपने गुरुदेव के सामने लेट कर माथा टेकते है। इसी को साष्टांग दंडवत प्रणाम कहा जाता है।

इस प्रणाम में व्यक्ति का हर एक अंग जमीन को स्पर्श करता है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि व्यक्ति अपना अहंकार त्याग कर इस प्रकार प्रणाम करता है। इस क्रिया के द्वारवआप ईश्वर को यह बताते हैं कि आप उसे मदद के लिए पुकार रहे हैं। यह प्रणाम आपको ईश्वर की शरण में ले जाता है। लेकिन आपने यह कभी ध्यान दिया है कि महिलाएं इस प्रणाम को क्यों नहीं करती है ? इस बारें में शास्त्र में क्या बताया गया है ?

शास्त्रों के अनुसार स्त्री का गर्भ और उसके वक्ष कभी जमीन से स्पर्श नहीं होने चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि उसका गर्भ एक जीवन को सहेजकर रखता है और वक्ष उस जीवन को पोषण देते हैं। इसलिए यह प्रणाम को स्त्रियां नहीं कर सकती है। जो करती भी है उन्हें यह प्रणाम नहीं करना चाहिए। शास्त्रों में दंडवत प्रणाम विधि को सबसे श्रेष्ठ माना गया है। हालांकि स्त्रियों के लिए दंडवत प्रणाम करना वर्जित होता है। लेकिन छठ पूजा के दौरान महिलाओं को भगवान भास्कर को दंडवत प्रणाम करने की बात कही गई है।

सनातन हिन्दू धर्म में भगवान जी के समक्ष प्रणाम करने और उनकी उपासना करने के लिए अलग-अलग समय पर अलग-अलग विधियां और नियम बताए गए हैं। इन्हीं में से एक है दंडवत प्रणाम या साष्टांग प्रणाम की विधि। धार्मिक शास्त्रों में भगवान जी के समक्ष दंडवत प्रणाम करने की विधि को सबसे श्रेष्ठ माना गया है। हालांकि स्त्रियों के लिए दंडवत प्रणाम करना वर्जित बताया गया है। इसके कई कारण है, जानते हैं उनके बारे में …………

हिंदू परंपराओं में स्त्रियों को पूजनीय माना गया है। धार्मिक ग्रंथों में भी स्पष्ट किया गया है कि महिलाओं को किसी के सामने दंडवत नहीं होना चाहिए। धर्मसिंधु नाम के ग्रंथ में महिलाओं को दंडवत प्रणाम क्यों नहीं करना चाहिए इसके बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया है। धर्मसिंधु में एक श्लोक है “ब्राह्मणस्य गुदं शंखं शालिग्रामं च पुस्तकम् , वसुन्धरा न सहते कामिनी कुच मर्दनं” अर्थात ब्राह्मणों का पिछला हिस्सा शंख, शालिग्राम, धार्मिक पुस्तकें और स्त्रियों का वक्षस्थल यानी स्तन अगर सीधे धरती से स्पर्श करता है तो धरती इस भार को सहन नहीं कर पाती है।

हिंदू परंपराओं में स्त्रियों को देवी और पूजनीय माना गया है। शास्त्रों में स्पष्ट है कि स्त्रियों को किसी के सामने दंडवत प्रणाम नहीं करना चाहिए। ग्रंथों के अनुसार, ऐसी मान्यता है कि स्त्रियों का गर्भ और वक्षस्थल यानी स्तन जमीन में टच नहीं होना चाहिए। धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि स्त्रियों का गर्भ एक जीवन को अपने भीतर सहेजे रखता है और और वक्ष उस जीवन को पोषण प्रदान करता है। अर्थात स्त्रियां जीवनदायिनी है इसलिए पूजनीय है। इसलिए स्त्रियों का दंडवत प्रणाम करना शास्त्रों में वर्जित बताया गया है।

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ये ज्ञान सनातन 🚩समाचार🌎 का नहीं है बल्कि ये शास्त्रों से और इंटरनेट से प्राप्त किया है। इसे मानना या ना मानना आपके विवेक पर निर्भर है।


छठ पूजा अर्थात भगवान भास्कर की आराधना हिंदू धर्म में काफी महत्वपूर्ण माना गया है। इस दौरान व्रती भगवान भास्कर के सम्मुख साष्टांग या दंडवत प्रणाम करती हैं। इस दौरान बड़ी संख्या में स्त्रियां भी भगवान सूर्य नारायण को पूजा कर दंडवत प्रणाम करती हैं। यह परंपरा बहुत प्राचीन काल से चली आ रही है।

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By Ashwani Hindu

अशवनी हिन्दू (शर्मा) मुख्य सेवादार "सनातन धर्म रक्षा मंच" एवं ब्यूरो चीफ "सनातन समाचार"। जीवन का लक्ष्य: केवल और केवल सनातन/हिंदुत्व के लिए हर तरह से प्रयास करना और हिंदुत्व को समर्पित योद्धाओं को अपने अभियान से जोड़ना या उनसे जुड़ जाना🙏

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