“Is it a crime to say “Jai Shri Ram”? In India, the whole class was suspended.”
सर दे दिए किंतु धर्म का त्याग नहीं किया हिंदुओं के पुरखों ने। क्या अब फिर से वही समय लौट आया है ?
सनातन 🚩समाचार🌎 ऐसा लगने लगा है कि “जय श्री राम” बोलना अब हिंदुओं के लिए बहुत बड़ा अपराध बन चुका है। क्योंकि जहां एक तरफ जय श्री राम का उद्घोष करने पर सनातनियों पर हमले हो जाते हैं वहीं दूसरी ओर जय श्री राम बोलने के अपराध में स्कूलों के मासूम बच्चों को भी दंडित किया जा रहा है।
इसी कड़ी में अब यह घटना घटी है झारखंड के एक स्कूल में जहां पर जय श्री राम बोलने पर एक पूरी कक्षा को ही 2 दिन के लिए सस्पेंड कर दिया गया। विश्व हिंदू परिषद ने शिक्षा विभाग से इस मामले में कार्रवाई करने की मांग की है।
पता चला है कि यह एक मिशनरी स्कूल है, जो कि झारखंड के बोकारो जिले के गोमिया में है। लोयोला नाम के इस मिशनरी स्कूल की प्रिंसिपल पर आरोप है कि उसने जय श्री राम बोलने के कारण दसवीं कक्षा के बॉयस सेक्शन के सभी छात्रों को 2 दिन के लिए सस्पेंड कर दिया। यह मामला उस समय सामने आ गया जब स्कूल के द्वारा 11 अप्रैल 2023 को इन सभी छात्रों के अभिभावकों को सकूल में आने के लिए कहा गया। आरोप है की बच्चों के अभिभावकों को भी स्कूल प्रबंधन ने फटकार लगाई।
इस बारे में भारी विरोध करते हुए विश्व हिंदू परिषद धनबाद विभाग के मंत्री विनय कुमार ने इस स्कूल के प्रबंधन के खिलाफ जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र लिखकर मांग की है कि इस मामले की गहराई से जांच की जाए तथा धर्म का अपमान करने वाले इस स्कूल पर प्रभावी कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा है कि लोयला इंग्लिश स्कूल में 5 अप्रैल को दसवीं की कक्षा में एक बच्चे ने जय श्री राम बोल दिया जिससे चिढ़कर स्कूल प्रबंधन ने यह कठोर कार्रवाई की है।
स्कूल पर आरोप लगा है कि 5 अप्रैल को कक्षा के दौरान किसी बच्चे ने जय श्री राम बोल दिया जिससे गुस्साए स्कूल प्रबंधन ने सारी कक्षा को तुरंत अगले 4 पीरियड के लिए सस्पेंड कर दिया। इसके बाद बच्चों को और दंड देने के लिए कक्षा को 6 अप्रैल तक के लिए सस्पेंड कर दिया गया। विश्व हिंदू परिषद के अनुसार स्कूल प्रबंधन ने बच्चों की पढ़ाई की परवाह न करते हुए यह गलत दंड दिया है। उधर स्कूल की प्रिंसिपल अलीशा मंजूरी ने कहा है कि अनुशासनहीनता के कारण छात्रों को केवल 1 दिन के लिए सस्पेंड किया गया था और साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि यह कार्रवाई सभी बच्चों पर नहीं की गई थी।