सत्य सनातन धर्म की जय थी जय है और जय रहेगी जिसका प्रमाण है सराभा गांव।

सत्य सनातन धर्म किसी ने नहीं बनाया है बल्कि तो यह सृष्टि की उत्पत्ति के साथ ही ये स्वनिर्मित हुआ धर्म है। आज भी हिंदुस्तान से लाखों किलोमीटर दूर सनातन धर्म के चिन्ह मिलते रहते हैं। कहीं पर अति प्राचीन मूर्तियां प्राप्त हो रही हैं तो कहीं पर अति प्राचीन शिवलिंग मिल रहे हैं, जिससे स्पष्ट पता चलता है कि यह धर्म जिसे वर्तमान मैं हिंदू धर्म भी कहते हैं यह कितना प्राचीन धर्म है। हालांकि सहनशीलता होने के कारण हिंदू सारी दुनिया में से खत्म को कर पृथ्वी के एक छोटे से भाग हिंदुस्तान में सिमट कर रह गए हैं परंतु फिर भी ये धर्म अपने आप में विलक्षण है।

इसका स्पष्ट उदाहरण देखने को मिला है पंजाब में।

प्रदेश के लुधियाना जिला के अंतर्गत पड़ते सराभा गांव में। यह वही सराभा गांव है जहां पर महान अमर बलिदानी करतार सिंह सराभा जी का जन्म हुआ था। करतार सिंह जी का नाम सभी देशभक्त जानते हैं। करतार सिंह सराभा जी के इसी पैतृक गांव में उनके घर के चंद कदमों की दूरी पर है स्थित है प्राचीन ठाकुरद्वारा।

इस ठाकुरद्वारा से गत 12 दिसंबर 2020 को एक विशाल और भव्य शोभायात्रा सुबह 9:00 बजे आरंभ हुई और सारे गांव की परिक्रमा करते हुए जगह जगह पर रुकते हुए सायें 5:00 बजे वापस ठाकुरद्वारा के प्रांगण में पहुंची। इस अवसर पर बहुत प्रसन्नता देने वाली बात यह रही कि जहां पंजाब में एक तरफ आतंकवाद और निरंतर मंदिरों को तोड़ने की घटनाएं हो रही हैं, वहीं इस सराभा गांव में निकलने वाली शोभा यात्रा की व्यवस्था इस गांव के लोग ही कर रहे थे। बता दें कि इस गांव में बहु संख्या सिख बंधुओं की है।

इस ठाकुरद्वारा से निकलने वाली शोभायात्रा के प्रति गांव वालों के मन का आदर प्रत्यक्ष देखने को मिल रहा था। जगह जगह पर लोग घरों से बाहर निकलकर पुष्प वर्षा कर रहे थे माथा टेक रहे थे और प्रसाद प्राप्त कर रहे थे। इसके साथ ही इस शोभा यात्रा की व्यवस्था करने वाले और उसके साथ साथ चलने वाले अधिकांश लोग सिख समाज के ही थे। सनातन समाचार ने गांव के कई लोगों से बात की तो सभी ने एक ही बात कही कि हम ठाकुरद्वारा जाते हैं हमारी इस मंदिर में बहुत आस्था है, यहां के महंत रामेश्वर दास त्यागी जी का हम सभी दिल से आदर भी करते हैं।

अक्सर इस तरह की खबरें मिलती रहती है कि पंजाब में हिंदू समुदाय के साथ भेदभाव होता है और अत्याचार भी होता है, परंतु महान बलिदानी करतार सिंह सराभा जी की पुण्य स्थली वाले इस गांव में ऐसा कुछ भी नहीं है इस शोभा यात्रा की व्यवस्था देख रहे और साथ चल रहे एक सिख बंधु ने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि मैं और मेरी पत्नी हर तरफ से निराश हो चुके थे, डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था कि तुम्हारे संतान नहीं हो सकती परंतु इस ठाकुरद्वारा में माथा टेकने के बाद हमें संतान की प्राप्ति हुई है।

यात्रा की झलक और सिख बन्धु का अनुभव

इसके साथ ही एक श्रद्धालु सिख भाई ने जो बताया वह भी कम आश्चर्यजनक नहीं था। इस भाई ने बताया कि अभी जो ठाकुर जी का स्वरूप शोभायात्रा में विराजमान है उसका वजन उठा कर देखिए कितना है। परंतु श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन इस स्वरूप को उठा कर देखेंगे तो ठाकुर जी के इस स्वरूप का भजन मुश्किल से 25-30 ग्राम ही होता है। उन्होंने अपनी बात को स्पष्ट करते हुए कहा की क्योंकि उस दिन ठाकुर जी का जन्म होता है तो जन्म के समय बच्चे का कितना वजन होता है उतना ही भजन ठाकुर जी के इस पवित्र स्वरूप का होता है।

इस स्वरूप के बारे में ठाकुर द्वारा के महंत श्री रामेश्वर दास त्यागी जी ने बताया कि दुनियाभर में ऐसे स्वरूप केवल दो ही हैं। एक तिरुपति बालाजी में है और ठीक हूबहू वैसा ही स्वरूप इस ठाकुरद्वारा जी में है। उन्होंने आगे बताया कि यह स्थान लगभग 800 सालों से भी अधिक प्राचीन है, जिसकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है।

बहरहाल सनातन🚩समाचार🌎इस शोभायात्रा में शामिल होकर उसके बारे में आपको बताते हुए अपने को सौभाग्यशाली समझ रहा है।

Jai Jai Kar of religion, grand procession in the village of sacrificer Kartar Singh Sarabha

By Ashwani Hindu

अशवनी हिन्दू (शर्मा) मुख्य सेवादार "सनातन धर्म रक्षा मंच" एवं ब्यूरो चीफ "सनातन समाचार"। जीवन का लक्ष्य: केवल और केवल सनातन/हिंदुत्व के लिए हर तरह से प्रयास करना और हिंदुत्व को समर्पित योद्धाओं को अपने अभियान से जोड़ना या उनसे जुड़ जाना🙏

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