क्या कानून सबके लिए समान है ? क्या सिस्टम में दोगलापन है ?? हिन्दू सन्त को दंड नहीं मिलेगा तो और किसे मिलेगा ???
यह हिंदुओं का दुर्भाग्य है या मौन रहने की आदत का दुष्परिणाम ? की जो बात कोई हिंदू बोल देता है या कोई हिंदु सन्त तो बोल देता है तो तुरंत उसे देशद्रोही घोषित कर दिया जाता है म, और ठीक वही बात कोई और बोल दे तो उसकी और कोई देखता भी नहीं है, क्योंकि वह हिंदू संत नहीं है। काफी लंबे समय से हिंदुओं के साथ यही होता चला आ रहा है जिस कारण अब लगभग प्रत्येक हिंदू की जुबान पर एक ही लाइन आती है कि क्या कानून सबके लिए एक समान है ? क्या सिस्टम में ही दोगलापन है ? क्योंकि लगातार यह देखा जा रहा है कि हिंदुओं के किसी भी संत के ऊपर जरा सा भी आरोप लगता है तो तुरंत हिंदू द्रोही मीडिया उस संत के खिलाफ दिन-रात मीडिया ट्रायल चलाने चालू कर देता है और तरह तरह के शब्दों से उस हिंदू संत का अपमान करता रहता है।
मीडिया ने दिन रात कोसा।
और फिर उनके खिलाफ बड़ी कानूनी कार्रवाई हो जाती है। बेशक कार्रवाई करने वालों की पता भी होता है की यह संत निर्दोष है। ऐसे बहुत सारे प्रमाण अब तो सामने आ चुके हैं। शंकराचार्य जी हों, असीमानंद जी हों, साध्वी प्रज्ञा जी हों, संत श्री आसाराम जी बापू हों या फिर अब महाराज कालीचरण जी। इन सभी के ऊपर आरोप लगे और मीडिया ने इन्हें दिन रात कोसा। यह बात अलग है कि अब हिंदुओं द्वारा सोशल मीडिया के ऊपर की जा रही प्रतिक्रियाओं के चलते कुछ न्यूज़ चैनल अब अपना रुख बदलने को मजबूर हुए हैं।
अब हाल ही में एक हुई धर्म संसद में प्रसिद्ध हिंदू संत कालीचरण जी महाराज ने जो शब्द बोले वह कानून की दृष्टि में सही है या गलत उनके बारे में अब कुछ भी कहना गलत होगा क्योंकि अब वह मामला अदालत में है, परंतु यह अकाट्य सत्य है कि जो भी उन्होंने कहा है वह तथ्यों के आधार पर तो सत्य ही लगता है। उन्होंने अपनी बातों को बहुत सारे प्रमाण देकर स्पष्ट भी किया है। उन्होंने बताया है कि मैंने जो भी महात्मा गांधी के बारे में कहा है मुझे उसका कोई पश्चाताप नहीं है। उन्होंने कहा है कि गांधी ने आखिर हिंदुओं के लिए किया क्या है ? (सही बात है गांधीजी ने हिंदुओं के लिए कुछ भी नहीं किया)
वह आगे कहते हैं कि जब देश के प्रथम प्रधानमंत्री का चुनाव होना था तो सभी लोग सरदार वल्लभ भाई पटेल के पक्ष में वोट कर रहे थे, उन्हें ही प्रधानमंत्री बनाना चाहते थे परंतु महात्मा गांधी ने किसी की नहीं चलने दी और जबरन जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बना दिया। इसके साथ ही उन्होंने बहुत सारी तर्कपूर्ण बातें भी कहीं हैं।
अब तस्वीर का दूसरा रुख भी देख लेते हैं सोशल मीडिया पर एक और वीडियो भी वायरल हो गई है जिसमें कोई बन्धु मूलनिवासी नाम से अपनी बात रख रहा है। वह अपनी जगह पर सही है या गलत है यह तो वह जाने, परंतु वह अपनी बात को बहुत विभत्स ढंग से कह रहा है। वह कह रहा है कि हमारा राज आएगा तो हम महात्मा गांधी की समाधि को जेसीबी मशीन लगाकर उखाड़ देंगे। वह कह रहा है कि महात्मा गांधी की समाधि यमुना के किनारे बनी हुई है, हम उसको उखाड़ के उसकी हड्डियां वड्डियाँ जो भी है उसे यमुना में गिरा देंगे। और भी कई बातें वह बंधु अपनी वीडियो में बोल रहा है।
अब यहां मजे की बात यह है कि यह वीडियो काफी पुरानी है जो कि एक बार पहले भी बहुत वायरल हो चुकी है, परंतु आज तक उसके खिलाफ कोई भी कानूनी एक्शन नहीं लिया गया और ना ही कभी किसी न्यूज़ चैनल ने उसकी इन बातों को उठाया है। परंतु प्रश्न यह खड़ा होता है कि आखिर हिंदुओं के संत कालीचरण जी महाराज पर ही मीडिया के द्वारा उंगली क्यों उठाई जा रही है ? क्यों उन्हें बदनाम किया जा रहा है ? और उससे भी बड़ी बात यह कि आखिर क्या सोच कर उनके ऊपर बहुत गंभीर धाराओं में केस दर्ज करके उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया ? संत कालीचरण जी महाराज पर देशद्रोह और 295a के साथ ही कई अन्य धाराओं के अनुसार मामला दर्ज किया गया।
कानून को तोड़ा मोड़ा जाता है
यह बात अलग है कि उनकी तुरंत जमानत भी हो गई, क्योंकि जो धाराएं उनके ऊपर ताबड़तोड़ लगाई गई थीं वह उनके ऊपर लागू होती ही नहीं थी। जिस कारण माननीय अदालत ने उन्हें जमानत दे दी है। बहरहाल बहुत बड़ा सवाल यह है कि हिंदुस्तान में लागू कानून क्या सभी के लिए एक जैसा है ? या व्यक्ति को देखकर कानून को तोड़ा मोड़ा जाता है ? एक तरफ जहां कोई पापी व्यक्ति भगवान श्री राम जी की पत्नी हिंदुओं की आराध्य माता सीता जी का घोर अपमान कर देता है, गौमाता को खाने की वकालत कर देता है, हिंदुओं को 15 मिनट में खत्म करने की बात भी मंच से बोलता है, उसको आजाद घूमने की इजाजत दे दी जाती है। उसके ऊपर कभी देशद्रोह का मुकदमा दर्ज नहीं किया गया।
उधर मुनव्वर फारूकी जैसा भांड जो अपने कमेटी प्रोग्रामों में केवल एक ही काम करता है वह है हिंदुओं के आराध्य देवी देवताओं का अपमान करना। उसके ऊपर आज तक किसी ने भी कोई गंभीर मुकदमा दर्ज करने की आवश्यकता नहीं समझी है। इन सब बातों को देखकर लगता तो यही है कि हिंदुस्तान का कानून सभी के लिए एक समान नहीं है।
If a Hindu saint speaks, then a traitor, if someone else says the same thing, then he is a hypocrite.