“Fraud: Out of 25.5 lakh applications, 26% are fake, CBI will investigate in Minority Scholarship Scheme.”
मजे की बात – देश में अल्पसंख्यक स्कॉलरशिप स्कीम तो है लेकिन बहुसंख्यक स्कॉलरशिप स्कीम नहीं है।
सनातन🚩समाचार🌎 यह विडंबना ही है कि देश में बहुसंख्यक समाज के लिए कोई विशेष स्कॉलरशिप स्कीम नहीं है किंतु वहीं दूसरी ओर अल्पसंख्यक समाज के लिए अल्पसंख्यक स्कॉलरशिप स्कीम सरकार की कृपा से बहुत अच्छे तरीके से चल रही है।
अब इस अल्पसंख्यक स्कॉलरशिप स्कीम के बारे में भारत सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के द्वारा चलाई जा रही अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना 2022-23 के बारे में एक जांच के बाद एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। दरअसल राज्यों से इस स्कीम के लिए 25.5 लाख आवेदन आए थे किंतु जब प्रशासन ने इन आवेदन करने वालों का सत्यापन किया तो उनमें से 26 प्रतिशत आवेदन करने वाले फर्जी पाए गए है।
पता चला है कि इस फर्जीवाड़े का उसे समय खुलासा हुआ जब जांच पड़ताल करते हुए अधिकारियों ने आवेदन कर्ताओं के आधार कार्ड के जरिए उनका बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण मिलाया तो 6.7 लाख से अधिक आवेदक कहीं पर नजर ही नहीं आए, जिसका सीधा अर्थ है कि अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति स्कीम का लाभ देने के लिए बहुत सारे नकली आवेदक बनाए गए थे, जो वास्तव में कहीं थे ही नहीं।
दरअसल ऐसे फर्जीवाड़े के संकेत मिलने पर जब केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय ने छात्रवृत्ति योजना से संबंधित लोगों की वेरिफिकेशन करने का अभियान चलाया तब फर्जी आवेदकों के मामले सामने आने के बाद मंत्रालय ने 18. 8 लाख आवेदनों का सत्यापन किया। इस प्रक्रिया में 6.2 लाख वह आवेदक भी शामिल थे जिन्होंने छात्रवृत्ति का नवीनीकरण के लिए आवेदन दिया था। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के अनुसार की गई जांच में पता चला है कि वर्ष 2022-23 में अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति स्कीम नवीनीकरण के अंतर्गत 30 प्रतिशत आवेदक फर्जी थे।
विभाग द्वारा की गई जांच से यह भी पता चला है की इन आवेदनों के सत्यापन के लिए जिम्मेदार 100000 से अधिक नोडल अधिकारी और इतनी संख्या में संस्थाओं के प्रमुख आवेदकों के बायोमेट्रिक सत्यापन के दौरान गायब पाए गए। प्राप्त हुए सूत्रों की माने तो अब इस सारे फर्जीवाड़े को अल्पसंख्यक मंत्रालय सीबीआई के साथ साझा करेगा। वर्ष 2017-18 से 2021-22 के बीच अल्पसंख्यक संस्थान ने लगभग 145 करोड रुपए रजिस्टर्ड लाभार्थियों को दिए थे।
नेशनल कौंसिल ऑफ़ एप्लाइड इकोनामिक रिसर्च की जांच के अनुसार इस बहु राज्य छात्रवृत्ति योजना में भारी फर्जीवाड़ा हुआ था। बता दें कि अल्पसंख्यक समाज को स्कॉलरशिप देने के लिए मदरसों से लेकर उच्च सरकारी शैक्षिक संस्थानों तक 1.8 लाख संस्थान हैं जो अल्पसंख्यक छात्रों के लिए पोर्टल पर रजिस्टर्ड हैं। इस प्रक्रिया में अल्पसंख्यक मंत्रालय छात्रवृत्ति के लिए 2000 करोड रुपए वार्षिक देता है।