“7 wonders? What is called a wonder? Do you know about those wonders which.”
अजूबा उसे कहते हैं जिसके जैसा निर्माण दोबारा कोई कर ही ना सके।
सनातन🚩समाचार🌎 कहा जाता हैं कि इस दुनियां में सात अजूबे हैं और वे सातों अजूबे मुगल, क्रिश्चियन, और बौद्धों द्वारा बनाए गए हैं। वो हैं ,,,,,,
1 चीन की दीवार
2 चिचेन इत्ज़ा
3 पेट्रा
4 ताजमहल
5 कोलोसियम
6 माचू पिच्चु
7 क्राइस्ट रिडीमर
लेकिन इन सात विख्यात अजूबों में ऐसी कोई खास बात नहीं है जिसकी वजह से इन्हें अजूबा कहा जाए, या इन्हें दोबारा ना बनाया जा सके। क्योंकि वह हर चीज़ हो बहू वैसी ही बनाई जा सकती है जिसके निर्माण के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध हो।
अजूबा तो उसे कहा जाता है जिसका निर्माण असंभव हो, जैसे भारत के महान सात अजूबे जो विख्यात तो नहीं है लेकिन इनका निर्माण असम्भव है….
जैसे :—
1 पहला अजूबा….. “श्री केदारनाथ धाम” जिसका निर्माण 5154 वर्ष पूर्व पांडवों ने करवाया, श्री केदारनाथ भवन में लगी भारी भरकम शिलाएं एक विशेष प्रकार के पत्थर की हैं, जिनकी कोई ( एक्सपायरी) डेट नहीं है, सभी पत्थरों को बिना किसी मसाले से जोड़े बिना किसी गुप्त विधि से चिपकाया गया है, आज तक वैज्ञानिक इस मंदिर के निर्माण में प्रयोग किए गए पत्थरों की जांच (resurche) ही कर रहे हैं।
आश्चर्य की बात ये है की सन 1000 से लेकर 1300 तक अर्थात् 300 साल यह मंदिर बर्फ मे दबा रहा लेकिन इसका कुछ नहीं बिगड़ा। आँधी तूफान, भूकंप का भी इस पर कोई प्रभाव नहीं हुआ। 2013 की प्रलयंकारी बाढ़ में भी इस मंदिर में किंचित भर भी नुकसान नहीं हुआ।
2. दूसरा अजूबा….. “श्री तिरुपति बाला जी” जहां वराह अवतार वैंकटेश भगवान जी की मूर्ति स्थापित है। इस मूर्ति का तापमान 43 डिग्री सेल्सियस रहता है जिसकी वजह से मूर्ति से लगातार पसीना निकलता रहता है। और वहीँ इस मंदिर का तापमान इससे काफी कम है, अचंभित करने वाली बात ये है कीआप मंदिर में स्थापित बाला जी महाराज के कानों के समीप जाकर सुनने का प्रयास करेंगे तो वहां समुन्दर की तेज लहरों का स्वर सुनाई देगा, वैज्ञानिक आज तक इस मंदिर के इन दोनों रहस्यों पर रिसर्च ही कर रहे हैं।
3. तीसरा अजूबा…. “श्री अमरनाथ” की गुफा जहां स्वतः ही बर्फ से शिवलिंग बन जाता है और यहां एक कबूतर का जोड़ा हज़ारों साल से यहां रहता है जो अमर है।
4. चौथा अजूबा…. “श्री रामसेतु” भी अपने आप में गजब अजूबा है जहां लाखों वर्षों से समुन्दर में आज भी पत्थर तैर रहे हैं।
5. पांचवां अजूबा….”मां ज्वाला जी” जहां हज़ारों वर्षों से बिना तेल के दीपक प्रज्वलित हैं।
6. छठा अजूबा है (त्रिवेणी) प्रयागराज जी मे स्थित गंगा यमुना और सरस्वती के संगम का मनोरम दृश्य।