“Obscene dance on BHU Chokra Jawan song in front of Kashi Vishwanath temple.”
संस्कार हीनता अपने चरम पर है आज की युवा पीढ़ी में जिस कारण अब सनातन ही खतरे में है।
सनातन 🚩समाचार🌎 एक तरफ जहां दिनों दिन बढ़ रहे धर्मांतरण के मामलों और लव जिहाद के कारण पीड़ित परिवारों के हाथ पांव फूले हुए हैं, तो वहीं दूसरी ओर आज की युवा पीढ़ी का एक बड़ा वर्ग अपने परिवारों से संस्कार ना मिलने के कारण पूरी तरह से संस्कार हीन हो चला है।
इस बात का ताजा प्रमाण मिला है वाराणसी में, जहां काशी विश्वनाथ मंदिर के सामने छोकरा जवां गाना चला कर अश्लील डांस किए गए हैं। बता दें की कई युवा वहां पर इस प्रकार के गाने बजा कर रील्स बना रहे थे। हालाकी वह स्थान पूजा पाठ का है। बीएचयू स्थित विश्वनाथ मंदिर में हर वर्ष नए सत्र के आरंभ से पहले यहां पर रुद्राभिषेक किया जाता है। इस मंदिर में हर रोज हजारों श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ जी के दर्शन करने आते हैं।
पता चला है कि धर्म मर्यादा को तार तार करने वाला यह पाप किया गया है बीएचयू के सामाजिक विज्ञान संकाय के वार्षिकोत्सव के दौरान। जिस समय छोकरा जवां गाने पर भद्दा डांस किया जा रहा था, उस समय आस पास बहुत सारे छात्र और छात्राएं तालियां पीट रहे थे। इस डांस की वायरल हुई वीडियो में रील्स बनाने के दौरान पीछे मंदिर के शिखर भी दिखाई दे रहे हैं। यहां एक संतोषजनक बात यह भी है कि मंदिर के सामने इस प्रकार के गाने और डांस करने के खिलाफ यूनिवर्सिटी के ही कई छात्र इस कुकृत्य का विरोध भी कर रहे हैं।
बीएचयू के कई छात्रों ने कहा है कि कैंपस में रील्स शूट करना आपत्तिजनक नहीं है, किंतु काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास इस तरह के कार्य करने बहुत गलत हैं। विरोध करने वाले छात्रों के अनुसार यह मंदिर उनकी आस्था का प्रतीक है। अगर ऐसे लोगों को ना रोका गया तो आगे चलकर इस तरह की घटनाएं बढ़ भी सकती हैं अतः इन पर लगाम लगाई जानी चाहिए।
इस डांस वाली रील बनाने वालों को चेतावनी देते हुए छात्रों ने कहा है कि बीएचयू सांस्कृतिक आयोजनों के लिए जाना जाता है ना कि इस तरह की ओछी हरकतों के लिए।
क्या है बीएचयू का काशी विश्वनाथ मंदिर ??
कई मुगल राजाओं ने कई बार श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का विध्वंस किया है। (जिसे फिर से हिंदुओं के द्वारा पुनर्निमाण करके बना दिया गया) जिसके चलते पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय परिसर में इस मंदिर की प्रतिकृति बनाने का निर्णय लिया। 1931 में बिरला परिवार कृतज्ञता पूर्वक विशाल मंदिर की नकल बनाने के चुनौतीपूर्ण कार्य को करने के लिए सहमत हो गया था। तब 1966 में इस परियोजना को पूर्ण करने में 35 वर्ष लग गए थे। हालांकि यह मंदिर मुख्य रूप से भगवान शिव जी को समर्पित है किंतु इसके अंदर 9 अन्य भव्य मंदिर भी स्थापित हैं।