“Think ′′ dog ′′ and think, what has happened to us Hindus??”
हम अपने शास्त्रों की उपेक्षा करके अपने धर्म की उपेक्षा करके अपनी कौनसी शानोशौकत का दिखावा कर रहे हैं ??
सनातन 🚩समाचार🌎 ये हम सनातनियों का दुर्भाग्य है की हम बिना कुछ भी सोचे विचारे देखा देखी में वो सब कुछ करने लगते हैं जो उसका नासमझ पड़ोसी कर रहा होता है। आजकल एक नया और बहुत जबरदस्त प्रचलन चल पड़ा है “कुत्ता पालना”
आइए जानते हैं धर्म शास्त्र पर आधारित इस बारे में विवरण।
- जिसके घर में कुत्ता होता है उसके यहाँ देवता भोजन ग्रहण नहीं करते।
- यदि कुत्ता घर में हो और किसी का देहांत हो जाए तो देवताओं तक पहुँचने वाली वस्तुएं देवता स्वीकार नहीं करते, अत: यह मुक्ति में बाधा हो सकता है।
- कुत्ते के छू जाने पर द्विजों के
यज्ञोपवीत खंडित हो जाते हैं, अत: धर्मानुसार कुत्ता पालने वालों के यहाँ ब्राह्मणों को नहीं जाना चाहिए । - कुत्ते के सूंघने मात्र से प्रायश्चित्त का विधान है, कुत्ता यदि हमें सूंघ ले तो हम अपवित्र हो जाते हैं ।
- कुत्ता किसी भी वर्ण के यहाँ पालने का विधान नहीं है ।
- और तो और अन्य वर्ण यदि कुत्ता पालते हैं तो वे भी उसी गति को प्राप्त हो जाते हैं।
- कुत्ते की दृष्टि जिस भोजन पर पड़ जाती है वह भोजन खाने योग्य नहीं रह जाता।
और यही कारण है कि जहाँ कुत्ता पाला गया हो वहाँ जाना नहीं चाहिए।
उपरोक्त सभी बातें शास्त्रीय हैं अन्यथा ना लें, ये कपोल कल्पित बातें नहीं ।
इस विषय पर कुतर्क करने वाले बंधु यह भी स्मरण रखे कि…
कुत्ते के साथ व्यवहार के कारण ही तो युधिष्ठिर जी को भी स्वर्ग के बाहर ही रोक दिया गया था।
महाभारत में महाप्रस्थानिक/स्वर्गारोहण पर्व का अंतिम अध्याय इंद्र धर्मराज और युधिष्ठिर संवाद में इस बात का उल्लेख है।
जब युधिष्ठिर जी ने पूछा कि मेरे साथ साथ यंहा तक आने वाले इस कुत्ते को मैं अपने साथ स्वर्ग क्यो नही ले जा सकता हूं?
तब इंद्र ने कहा 👉 इंद्र उवाच :
हे राजन कुत्ता पालने वाले के लिए स्वर्ग में स्थान नही है ! ऐसे व्यक्तियों का स्वर्ग में प्रवेश वर्जित है।
कुत्ते से पालित घर मे किये गए यज्ञ,और पुण्य कर्म के फल को क्रोधवश नामक राक्षस उसका हरण कर लेते है और तो और उस घर के व्यक्ति जो कोई दान, पुण्य, स्वाध्याय, हवन और कुवा बावड़ी इत्यादि बनाने के जो भी पुण्य फल इकट्ठा होता है, वह सब घर में कुत्ते की उपस्थिति और उसकी दृष्टि पड़ने मात्र से निष्फल हो जाता है ।
इसलिए कुत्ते का घर मे पालना…निषिद्ध और वर्जित है।
कुत्ते का संरक्षण होना चाहिए ,उसे भोजन देना चाहिए, घर की रोज की एक रोटी पर कुत्ते का अधिकार है। इस पशु को कभी प्रताड़ित नही करना चाहिए और दूर से ही इसकी सेवा करनी चाहिए, किंतु घर के बाहर, घर के अंदर नही। यह शास्त्र मत है।
अतिथि और गाय, … घर के अंदर
कुत्ता, कौवा, चींटी… घर के बाहर, ही फलदाई होते है।
यह लेख पूर्णतया धर्म और शास्त्र सम्मत है। आधुनिक विचारधारा के लोग इस पर ध्यान अवश्य दें।
ये दुर्भाग्य है की गाय, बूढ़े माता पिता क्रमशः दिल, घर, शहर से निकलते हुए गौशालाओं व वृद्धाश्रम मे पहुंच गए हैं और कुत्ते घर के बाहर से घर, सोफे, बिस्तर से होते हुए हमारे दिल मे पहुंच गए हैं, … यही हमारा सांस्कृतिक पतन है
सनातन 🚩समाचार🌎 का निवेदन स्वीकार करके सनातन धर्म की रक्षा के लिए आगे आएं। शास्त्र वचनों पर ध्यान दें और सभी को प्रेरित भी करें।