“If you want to escape and also want to save your religion or there is a desire to escape then this is for you.”
उदयपुर, करोली, पश्चिमी बंगाल, लव जिहाद, धर्मांतरण, मंदिरों का टूटना और गौहत्या इत्यादि सब कुछ आप बंद कर सकते हो।
🚩“जय श्री कृष्ण”🚩
सनातन 🚩समाचार🌎प्यारे सनातनी भाइयों और बहनों अगर आपको लगता है कि भगवान श्री कृष्ण जी चोर हैं, नचईय हैं, रणछोड़ यानी भगोड़े हैं, बांसुरी वादक हैं तो विश्वास कीजिए आप बहुत भारी भ्रम में जी रहे हैं। आपको गलत इतिहास और धार्मिक पुस्तकें पढ़ा पढ़ा कर भ्रमित कर दिया गया है। जबकि वास्तव में श्री कृष्ण भगवान जी तो महा योद्धा हैं, महा ज्ञानी हैं,महावीर हैं, शस्त्र धारी हैं, महाराजा हैं और महान नीति कार हैं। हम सनातनी उनके वास्तविक स्वरूप को पहचान कर धर्म के सही अर्थों को ना जान पाएं, इसीलिए सनातन धर्म का विनाश करने के षड्यंत्र के अंतर्गत हमें श्री कृष्ण जी के बारे में बहुत सारी गलत बातें बताई जा रही हैं, और गलत पुस्तकों को पढ़ पढ़ कर ही शायद हमारे बहुत सारे कथावाचक भी ठाकुर जी के बारे में अनर्गल बातें बोलते रहते हैं, जोकि बहुत बड़ा पाप है।
हिंदुओं को अपने ठाकुर महाबली श्री कृष्ण भगवान जी के उन वचनों को याद करना होगा
भगवान श्री कृष्ण जी ने कैसी कैसी लीलाएं की ? अब उन पर चर्चा करने का समय खत्म हो चुका है। यह स्पष्ट दिखने लगा है कि हिंदुओं का अस्तित्व अब पूरी तरह खतरे में है। इसलिए वर्तमान की परिस्थितियों को देखते हुए हम हिंदुओं को अपने ठाकुर महाबली श्री कृष्ण भगवान जी के उन वचनों को याद करना होगा और उन्हें आत्मसात भी करना होगा जिससे हम अपनी और अपने धर्म की रक्षा कर सकें तो आइए जानते हैं भगवान श्री कृष्ण जी के उन सरेष्ठ और दिव्य वचनों के बारे में …….
सुदर्शन चक्र धारी श्री कृष्ण भगवान जी
🚩कुरुक्षेत्र में युद्ध के मैदान में जब कौरवों और पांडवों की सेनाएं आमने सामने एक दूसरे से लड़ने के लिए तैयार खड़ी हुई थी जब अर्जुन ने भगवान श्री कृष्ण जी से निवेदन किया कि हे मधुसूदन मेरे रथ को इन दोनों सेनाओं के मध्य भाग में ले चलिए, ताकि मैं देख सकूं कि हम से कौन-कौन लोग युद्ध करने के लिए आए हैं। इसके बाद जब श्री कृष्ण भगवान जी अर्जुन के रथ को दोनों सेनाओं के मध्य में ले गए तब अर्जुन कौरवों की सेना में उनसे युद्ध करने के लिए आए हुए स्वजनों को देखकर बहुत दुखी हो गए उनका हृदय शौक से भर गया। तब उन्होंने भगवान श्री कृष्ण जी से स्पष्ट कह दिया कि “मैं युद्ध नहीं करूंगा” अर्जुन के द्वारा इस प्रकार कहे जाने के बाद श्री कृष्ण जी ने अर्जुन को युद्ध के लिए धर्मानुसार जो जो श्रेष्ठ वचन कहे वह सभी वचन शायद आज की हिंदुओं की परिस्थितियों को देखकर ही सुदर्शन चक्र धारी श्री कृष्ण भगवान जी ने उस समय कहे होंगे ।।
🚩1 – क्लेब्यं मा स्मा गमं पार्थ नैतत् त्वय्युपापद्यते।
कूहुद्रं हृदय-दौरबल्यं त्यक्तवोत्तिंः परंतपा।।2.3।।
हे अर्जुन नपुंसकता को मत प्राप्त हो। तुझमें यह उचित नहीं जान पड़ती। हे परंतप हृदय की तुच्छ दुर्बलता को त्याग कर युद्ध के लिए खड़ा हो जा।।
🚩2 – स्वधर्ममपि चावेक्ष्य न विकम्पितुमर्हसि ।
धर्म्याद्धि युद्धाच्छ्रेयोऽन्यत्क्षत्रियस्य न विद्यते ॥2.31॥
अपने धर्म को देखकर भी तू भय करने योग्य नहीं है अर्थात् तुझे भय नहीं करना चाहिए क्योंकि क्षत्रिय के लिए धर्मयुक्त युद्ध से बढ़कर दूसरा कोई कल्याणकारी कर्तव्य नहीं है॥ 31॥
🚩3 – यदृच्छया चोपपन्नां स्वर्गद्वारमपावृतम् ।
सुखिनः क्षत्रियाः पार्थ लभन्ते युद्धमीदृशम् ॥2.32॥
हे पार्थ! अपने-आप प्राप्त हुए और खुले हुए स्वर्ग के द्वार रूप इस प्रकार के युद्ध को भाग्यवान क्षत्रिय लोग ही पाते हैं॥32॥
🚩4 – अथ चेत्त्वमिमं धर्म्यं सङ्ग्रामं न करिष्यसि ।
*ततः स्वधर्मं कीर्तिं च हित्वा पापमवाप्स्यसि ॥2.33॥
किन्तु यदि तू इस धर्मयुक्त युद्ध को नहीं करेगा तो स्वधर्म और कीर्ति को खोकर पाप को प्राप्त होगा ॥33॥
🚩5 – हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्गं जित्वा वा भोक्ष्यसे महीम् ।
तस्मादुत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चयः ॥2.37॥
या तो तू युद्ध में मारा जाकर स्वर्ग को प्राप्त होगा अथवा संग्राम में जीतकर पृथ्वी का राज्य भोगेगा। इस कारण हे अर्जुन! तू युद्ध के लिए निश्चय करके खड़ा हो जा॥37॥
🚩6 – सुखदुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ ।
ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि ॥2.38॥
जय-पराजय, लाभ-हानि और सुख-दुख को समान समझकर, उसके बाद युद्ध के लिए तैयार हो जा, इस प्रकार युद्ध करने से तू पाप को नहीं प्राप्त होगा॥38॥
सनातन 🚩समाचार🌎 को पूर्ण विश्वास है की अगर हम महायोद्धा भगवान श्री कृष्ण जी के इन वचनों को आत्मसात कर लें तो बहुत शीघ्र ही सारी विकट परिस्थिति समाप्त हो जाएंगी।।