“Weapons in the hands of all the gods and goddesses of Hindus and Hindus…… This great tradition has been abandoned by the Hindus but is adopting abroad.“
अर्जुन को निमित्त बना कर श्री कृष्ण भगवान जी ने हिंदुओं से कहा है: उत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धय कृत निश्चयः
सनातन🚩समाचार🌎यह अकाट्य है और प्रमाणिक सत्य है कि हिंदुओं के सभी देवी देवताओं के हाथों में नाना प्रकार के शस्त्र हैं ,परंतु हिंदू निहत्थे हैं। यह एक विडंबना ही है कि आज देश का कानून भी हिंदुओं को निहत्था ही बना रहा है। बताने की आवश्यकता नहीं है कि वर्तमान में हिंदुओं के लिए जो कानून हैं वह सभी वह हैं जो अंग्रेजों ने हिंदुओं को कमजोर और बर्बाद करने के लिए बनाए थे। उन्हीं का ही आज भी पालन हो रहा है। अपने प्राचीन इतिहास को देखें तो हमारे समाज में हमारे सभी पुरखे शस्त्र धारी हुआ करते थे, परंतु आज किसी भी हिंदू के पास कोई शस्त्र नहीं है। यही कारण है की हिंदू लगातार कहीं ना कहीं किसी न किसी रूप में मारे जा रहे हैं। भले ही वह मान प्रतिष्ठा की मार हो, धर्म की हो अथवा शारीरिक हो।
हिंदू इन विद्याओं का त्याग कर चुके हैं
वर्तमान में दुनिया भर में जितनी भी युद्ध कलाएं और शौर्य कलाएं दिखाई देती हैं उन सभी का मूल उद्गम स्थल हिंदुस्तान ही रहा है। आधुनिक मार्शल आर्ट की बात करें या तलवारबाजी की अथवा तीरंदाजी की यह सभी विद्याएं सनातन धर्म की ही प्राचीन विद्याएं हैं। अब जबकि हिंदू इन विद्याओं का त्याग कर चुके हैं परंतु ऐसे में विदेशियों ने हिंदुस्तान के उन तमाम विद्याओं को, कलाओं को अथवा अध्यात्म को आत्मसात करना शुरू कर दिया है। आज हिंदुस्तान में तो लोग धन के लालच में पड़कर अपना धर्म त्याग का ईसाई बन रहे परंतु उधर विदेशों में क्रिश्चियन लोग सनातन धर्म से प्रभावित होकर हिंदू बन रहे हैं। न केवल हिंदू बन रहे हैं बल्कि साथ-साथ हिंदुस्तान की प्रत्येक विद्याओं को भी ग्रहण कर रहे हैं।
आज विदेशी योगासन करते हैं, ध्यान करते हैं और हिंदुस्तान की प्राचीन शस्त्र विद्या को भी अपना रहे हैं। पहले दुस्तान में गुरुकुल हुए करते थे और उनमें अखाड़े भी होते थे। गुरुकुल में विद्या ग्रहण करने के साथ-साथ विद्यार्थी गुरुकुल में बने हुए अखाड़ों में युद्ध लड़ने की विद्या भी सीखते थे, साथ ही कई प्रकार के शस्त्रों और चलाने का अभ्यास भी करते थे। अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानून ही आजादी के बाद सनातनी ऊपर ठोक किए गए, जिस कारण गुरुकुल प्रणाली, शस्त्र सीखने सिखाने की कोई व्यवस्था आज नहीं है।
आज से लगभग 20 वर्षों पहले तक तो कुछ अखाड़े चलते भी थे अब वह भी लुप्तप्राय हो चुके हैं। अब जबकि हिंदुओं पर हर तरह की आफत आ रही है और अस्तित्व पर भी संकट आ गया है, तो ऐसे में सनातनियों को के लिए बहुत आवश्यक है कि पुनः अपने महान संस्कारों को और युद्ध कलाओं को पुनर्जीवित किया जाए।