“After facing constant legal wrath on Aastha, now another petition of Hindus in the High Court, the matter of Bhojshala.”
मार्तंड सूर्य मंदिर में हवन पूजा पे पाबंदी तो भोजशाला में नमाज क्यों ?
सनातन🚩समाचार🌎लगता है अब हिंदुओं ने कानून के अनुसार न्याय पाने का मन बना लिया है। क्योंकि यह सत्य है कि हिंदू हिंसक नहीं होते हैं मारकाट नहीं करते हैं परंतु जब निरंतर विधर्मीयों के द्वारा हिंदुओं की आस्थाओं पर कानूनी हमले किए जाते रहे हैं तो अब हिंदू भी कानून के रास्ते पर चल पड़े हैं क्योंकि अब एक के बाद एक लगातार याचिकाएं अदालतों ने लगाई जा रही हैं।
“हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस”
अब नई याचिका लगाई गई है मध्य प्रदेश की हाईकोर्ट में। मध्य प्रदेश के धार स्थित भोजशाला में नमाज पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका पर अब सुनवाई होगी। यह याचिका “हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस” नाम के एक संगठन में लगाई है। यह याचिका ए एस आई के डायरेक्टर जनरल द्वारा 7 अप्रैल 2003 को भोजशाला मामले में दिए गए आदेश को चुनौती देते हुए दायर की गई है। जब से यह आदेश हुआ है तभी से मुस्लिम लोग भोजशाला के अंदर नमाज पढ़ रहे हैं, जिस पर हमेशा हिंदू लोग आपत्ति जताते रहे हैं, क्योंकि हिंदुओं के अनुसार भोजशाला हिंदुओं का एक पवित्र पूजा स्थल है अतः यहां पर होने वाली नमाज के आदेश को रद्द करवाने के लिए यह याचिका डाली गई है।
कमाल मौला मस्जिद
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दायर करने के बाद अब इस मामले में हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश राज्य सरकार केंद्र सरकार और पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को नोटिस जारी किया है। बता दें कि धार जिले की इस भोजशाला को मुस्लिम पक्ष 11वीं सदी में बनी कमाल मौला मस्जिद बताता है तो दूसरी ओर हिंदू पक्ष इसको सनातन धर्म से जुड़ी हुई धरोहर कहते हैं इस दायर की गई याचिका में हिंदू पक्ष ने तर्क दिया है कि ……..
भोजशाला के नाम पर बना एक भव्य हिंदू मंदिर इस्लामिक शासकों द्वारा सन 1305, 1401 और फिर 1514 ईस्वी में ध्वस्त किया गया था। लेकिन इसके बाद भी वह हिंदुओं की भावनाओं को नहीं दबा पाए। तब से अब तक हिंदू यहां अपनी आस्था के चलते पूजा करते आ रहे हैं हर साल यहां वसंत उत्सव भी मनाया जाता है।
हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने अपनी याचिका में आगे कहा है कि मंदिर तोड़े जाने के बाद अब तक उसी रूप में बने रहना श्रद्धालुओं की आस्था पर आघात है। ऐसा होने से हिंदू समाज अपने पूजा स्थल से अध्यात्मिक शक्ति प्राप्त नहीं कर पा रहा है। भोजशाला का वर्तमान स्वरूप हर दिन श्रद्धालुओं को चिढ़ाने के समान है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 और 25 के साथ 13 (1) धार्मिक अधिकारों की रक्षा के लिए है। अब आक्रमणकारियों के समय से चली आ रही गलतियों को सुधारा जाना चाहिए।
याचिका दाखिल करने योग्य है
यह याचिका दायर करने वाले हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने याचिका में मांग की है कि भोजशाला के अंदर देवी सरस्वती प्रतिमा की स्थापना और अंदर बने हुए रंगीन चित्रों की जांच की जानी चाहिए। इसी के साथ केंद्र सरकार से भोजशाला में बनी कलाकृतियों और मूर्तियों की रेडियो कार्बन डेटिंग करवाने की भी प्रार्थना की गई है। इस याचिका के मामले में हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि याचिकाकर्ता के वकील के द्वारा कुछ और दस्तावेज अपने दावों की पुष्टि के लिए दाखिल करने का दावा किया गया है जो की रिट में मौजूद नहीं हैं। इस मामले में पहले से ही डब्ल्यूपी नंबर (एस) 6514/ 2013, 1089/ 2016 और 28334/2019 अदालत ने लंबित है। यह केस जनहित याचिका के अनुसार दाखिल करने योग्य है आता है इस पर नोटिस जारी किया जाए।
बता दें कि इस याचिका की सुनवाई जस्टिस विवेक रुसिया और जस्टिस अमरनाथ केसरवानी ने की है। उन्होंने इस याचिका को मेरिट के आधार पर सुनवाई योग्य पाया हैं। इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा है कि इसी मामले में कुछ अन्य याचिकाएं भी उनके पास पहले से ही लंबित थी।
मार्तंड सूर्य मंदिर की बात भी जान लेनी चाहिए
उधर प्रदेश के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जब मार्तंड सूर्य मंदिर में नवग्रह अष्ट मंगलम हवन व पूजा की थी तब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ए एस आई ने इसे नियमों का उल्लंघन बताया था, और गवर्नर के द्वारा इस मंदिर में पूजा करने पर आपत्ति जताई थी। आठवीं शताब्दी में बने इस मार्तंड सूर्य मंदिर में उपराज्यपाल द्वारा पूजा अर्चना के बारे में एएसआई अधिकारियों ने कहा था कि राज्यपाल को एएसआई द्वारा पहले पूजा अर्चना की मंजूरी लेनी चाहिए थी।
यहां यह बात बहुत ही विचित्र है कि हिंदू अपने मार्तंड सूर्य मंदिर में पूजा पाठ हवन इत्यादि नहीं कर सकते हैं, परंतु दूसरी ओर भोजशाला में मुस्लिम समाज के लोग नमाज अदा कर सकते हैं। बरहाल अब भोजशाला का मामला हाईकोर्ट में पहुंच गया है और अब आगे देखना होगा कि हाई कोर्ट इस बारे में क्या रुख अपनाता है ?