“Hindus celebrated their new year “Shubh Samvat 2079” all over the world and these women did this work.”
भारी उत्साह रहा सारे विश्व में हिंदूओं ने परस्पर दी शुभ कामनाएं।
सनातन🚩समाचार🌎अंग्रेजी तिथि के अनुसार आज 2 अप्रैल 2022 का दिन हिंदुओं के लिए बहुत जोशीला और प्रेरणादाई रहा, क्योंकि आज सनातन धर्मियों का नया साल आरंभ हुआ है। (शुभ संवत 2079) पिछले कई सालों से हिंदू बुरी तरह से भ्रमित थे और पाश्चात्य पद्धति के कैलेंडर के अनुसार ही 1 जनवरी को नया साल मनाते थे। परंतु पिछले कुछ वर्षों से हिंदुओं में जबरदस्त में एक जबरदस्त परिवर्तन आया है। अब हिंदू अपने धर्म की जड़ों से जुड़ने लगे हैं। उसका प्रमाण दिखा है आज सारे विश्व में। जहां-जहां भी हिंदू रहते हैं वही वही आज बहुत उत्साह के साथ शुभ संवत का अभिनंदन किया गया।
भगवती के नवरात्रे
बता दें कि हिंदुओं का यह नया साल आधी रात को अंधेरा करके चीखते चिल्लाते हुए नहीं मनाया जाता बल्कि यह नववर्ष तो सूर्य देव की पहली किरण के साथ मनाया जाता है, जब पक्षी चह चहा रहे होते हैं, सूर्य देव अपना प्रकाश संसार में फैला रहे होते हैं। ऐसे में मंगल ध्वनियों के साथ, धूप दीप के साथ इस नूतन वर्ष का अभिनंदन किया जाता है। बता दें कि आज के दिन से ही मां भगवती के नवरात्रे भी आरंभ हो जाते हैं, जिस कारण यह दिन एक विशेष महत्व वाला हो जाता है। आज के दिन को देश के कई भागों में अलग-अलग नामों से भी मनाया जाता है। परंतु मूल में भावना नववर्ष की ही होती है।
लुधियाना के चंद्र नगर में
आज कहीं पर सामूहिक आरती का आयोजन किया गया, कहीं पर हवन इत्यादि किए गए हैं और साथ ही आज हिंदुओं ने अपने घरों की छतों के ऊपर भगवा ध्वज भी स्थापित किए। भगवा ध्वज अपने आप में सनातन धर्म का प्रतीक है। इसके साथ ही बहुत स्थानों पर भजन कीर्तन के आयोजन भी किए गए। ऐसा ही एक आयोजन किया गया है पंजाब के लुधियाना महानगर में। लुधियाना के चंद्र नगर में आज उस इलाके की महिलाओं के द्वारा बहुत श्रद्धा एवं उत्साह के साथ मिल बैठकर भजन कीर्तन करते हुए इस नए साल का स्वागत किया।
प्रकृति सुखद संकेत देती है
इस अवसर पर सनातन🚩समाचार🌎 से बात करते हुए महिलाओं ने बताया कि हम हिंदू परंपरा के अनुसार ही अपना नया साल मनाते हैं ना कि क्लबों में जाकर शराब इत्यादि पीते हुए। एक महिला ने बताया कि नववर्ष क्यों मनाया जाता है और साथ ही एक उपस्थित महिला ने यह भी बताया कि हम 31 दिसंबर 1 जनवरी वाला नया साल नहीं मनाते हैं क्योंकि तब प्रकृति भी अनुकूल नहीं होती है, भीषण ठंड होती है, फूल पत्ते मुरझा जाते हैं पतझड़ होती है। परंतु आज के दिन चारों तरफ हरियाली होती है प्रकृति भी सुखद संकेत देती है, इस कारण सनातन धर्म में आज के दिन को ही श्रेष्ठ मानते हुए नए साल के रूप में मनाया जाता है।
इस अवसर पर उपस्थित एक महिला ने यह भी बताया कि हम सभी लोग आज रात्रि के समय अपने अपने घरों में दीपमाला करेंगे और सामूहिक रूप से प्रसाद का वितरण भी करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि हम यह आयोजन हर वर्ष करते हैं बहरहाल यह बहुत अच्छी बात है की अब सनातनी अपने धर्म के प्रति सतर्क हो रहे हैं और अपने लगभग खत्म हो चुके संस्कारों को पुनः स्थापित कर रहे हैं।
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