“Shouted at Rohingya, CAA critics were killed when “Hindu woman torn into two halves” from Aarey.”
केवल मारा नहीं गया बुरी तरह तड़पा कर मारा गया।
सनातन🚩समाचार🌎किसी स्त्री का सामूहिक बलात्कार करने के बाद उसे आरा मशीन से उसे दो भागों में चीर देने की किसी घटना के बारे में आपने पहले कभी सुना था ? और दो भाग भी ऐसे कि उसके गुप्तांग से आरी चलाते हुए दोनों वक्ष स्थलों को दो भाग में करते हुए माथे को दो भाग में चीर देना। सुना था आपने ?
नहीं ???
लेकिन आपने फिलिस्तीन में , सीरिया में शरणार्थियों के बुरे हाल के बारे में जरूर सुना होगा। कई लोग तो फिलिस्तीन पर कवितायेँ लिख लिख कर ही महान बन गए।
कभी अफ़सोस नहीं
खैर!!छोडिये उसको जिसके बारे में आपने सुना है, आइये उसके बारे में जानें और तय करें कि हमने उसके बारे में आज तक क्यों नहीं सुना ? किसी स्त्री के साथ होने वाली इतनी लोमहर्षक घटना आप तक क्यों नहीं पहुँच पायी ? किसी ने उसकी इस खौफनाक मौत पर कभी अफ़सोस क्यों नहीं जताया ?
सामूहिक बलात्कार किया
उस स्त्री का नाम था गिरिजा टिक्कू, जो 25 वर्ष की एक ख़ूबसूरत महिला थी एवं कश्मीर के बांदीपोरा में एक शिक्षिका थी। 1990 में जब आतंकवाद बढ़ा तो वह बांदीपोरा छोड़ कर बाहर निकल गयी लेकिन वह अपना सामान नहीं ले जा पायी थी। एक दिन किसी के यह कहने पर कि अब वहां स्थिति सामान्य है, वह बांदीपोरा अपना सामान लाने चली गयी। लेकिन वहां से वह कभी वापस नहीं आ पायी। ये अभागी शिक्षिका जो अपना सामान लाने गयी थी उसे वहां मजहबी नारे लगाने वाली जुनूनी भीड़ ने घेर लिया और उसके उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। लेकिन बलात्कार इस देश में कौन सी बड़ी घटना है, यह तो होता ही रहता है….. ये तो आपने सुना होगा “लड़कों से गलतियाँ हो जाती हैं”
दो भागों में काट दिया
लेकिन इस सामूहिक बलात्कार के बाद जो हुआ वह अत्यंत वीभत्स था एवं सम्पूर्ण मानव इतिहास को कलंकित करने वाला था। बलात्कार के बाद उस महिला को मजहबी उन्मादियों द्वारा उसके शरीर को उसके गुप्तांगो के पास से आरी चलाकर दो भागों में काट दिया गया और सड़क के किनारे फ़ेंक दिया गया ….. लेकिन इतनी बड़ी घटना अखबारों के मुख्य पृष्ठ पर अपना स्थान नहीं बना पायी। देश के लोगों को इसकी खबर नहीं हुई, कोई कैंडल मार्च नहीं निकला, कोई सभा नहीं हुई आखिर क्यों ?
कश्मीर की आज़ादी के नाम पर एक स्त्री से ऐसा व्यवहार क्या भुला देने योग्य था ? लेकिन ऐसा हुआ।
यहाँ यह बात दृष्टव्य है कि यह घटना 25 जून 1990 की है, उस समय V P singh प्रधान मंत्री था और मुफ़्ती मोहम्मद सईद उसका गृह मंत्री।
आपको बता दें कि 19 जनवरी 1990 को जब कश्मीर में मस्जिदों से यह घोषणा की गयी कि कश्मीर के हिन्दू काफ़िर हैं, वो कश्मीर छोड़ दें या इस्लाम कबूल कर लें या मारे जायें और जो पहला विकल्प चुने वे अपनी औरतों को यहां छोड़ कर जाएँ।
विषय यह है कि गिरिजा टिक्कू की खबर आप तक कभी क्यों नहीं पहुंची। एक व्यक्ति को अभी हाल ही में सरक्षा बालों ने जीप के आगे बिठाकर अपने को बचाया था, उस पर तो बहुत चर्चा हुई और उसके मानवाधिकार पर गहरी चिंता जताई गयी तो फिर गिरिजा टिक्कू के मानवाधिकार का क्या हुआ ? उसके परिवार पर क्या बीती होगी ? यही दुर्भाग्य है इस सेकुलर देश का।
आजादी गैंग
आजादी आज़ादी का समर्थन करने वालों से ये सवाल अवश्य पूछा जाना चाहिए कि आपने कभी गिरिजा टिक्कू के बारे में क्यों नहीं बातें की ? आपको कभी गिरिजा टिक्कू के बारे में क्यों पता नहीं चला ? कश्मीर की आजादी किसके लिए, कश्मीर मांगे आज़ादी, कश्मीर मांगे निज़ामे मुस्तफा पर इस आजादी गैंग से सवाल किए जाने चाहिए।
आप कल्पना कर सकते हैं की कितना दर्द , कितनी असह्य पीड़ा से गुजरी होगी वह, जब उसके शरीर को शर्मशार करने के बाद आरी से दो भागों में काटा जा रहा होगा, और उन्मादी भीड़ मज़हबी नारे लगा रही होगी एवं चिल्ला रही होगी “आजादी आज़ादी”
पापा की प्यारी बेटी थी
यह सत्य है की उन लाखों कश्मीरी हिंदुओं और गिरिजा टिक्कू की पीड़ा को बताने की क्षमता सनातन समाचार में नहीं है, लेकिन अब द कश्मीर फाइल्स फिल्म आने के बाद दुनिया वो सब जान रही है जो अब तक सेकुलारो ने दुनियां से छिपाया। गिरिजा टिक्कू भी अपने पापा की एक प्यारी बेटी थी, और कश्मीर की वादियों में उन्मुक्त तितली की भांति घुमती फिरती थी। अपने भविष्य के सपने बुनते हुए वो तब बहुत खुश हुई होगी जब उसे शिक्षिका की नौकरी मिली होगी पर आजादी गैंग उसे निगल गया, सेकुलर टोला उसे और अनगिनत कश्मीरी हिंदुओं को खा गया।
और ये क्रम अभी रुका नहीं है। सेकुलर दानव अभी भी हिंदुओं का सर्वनाश कर रहे हैं। परंतु अब भविष्य में अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए इन राक्षसों के भयावह कृत्यों को जानना अति आवश्यक है।