अपना धर्म त्याग कर ईसाई बनने की बजाए मौत को गले लगाने वाली छात्रा को नमन🙏
सनातन🚩समाचार🌎 उनके माता-पिता धन्य हैं उनका कुल गोत्र धन्य है जिनमें मन में अपने धर्म के लिए अटूट आस्था व दृढ़ता है। वर्तमान में जहां एक ओर सारे देश में बहुत सारे लोग धन के लोभ में पढ़कर अपना धर्म त्याग कर ईसाई बन रहे हैं, वही कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने धर्म पर पूरी तरह अडिग हैं। इन लोगों में एक लावण्या नाम की 12वीं कक्षा की छात्रा भी है। दुर्भाग्य से आज यह लड़की अब इस दुनिया में नहीं रही है। परंतु यह वीर बालिका अपने पीछे उन मूर्खों के लिए बहुत बड़ा संदेश छोड़ गई है जो लालच में पढ़ कर अपना धर्म त्याग कर ईसाई बन जाते हैं।
इस छात्रा के बलिदान की यह घटना घटी है तमिलनाडु के तंजावुर में। यहां के सैक्रेड हार्ट हायर सेकेंडरी स्कूल तिरुकट्टूपाली में 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली एक लावण्या नाम की छात्रा ने आत्महत्या कर के अपने प्राण त्याग दिए हैं। आरोप है की लावण्या पर स्कूल के अधिकारियों ने उसे ईसाई मत अपनाने के लिए बहुत ज्यादा परेशान किया परंतु लावण्या ने हमेशा उनकी बात को मानने से इनकार किया। छात्रा के इनकार के बाद उसे स्कूल में बुरी तरह प्रताड़ित करना शुरू कर दिया गया था। रोज-रोज की इसी प्रताड़ना से तंग आकर लावण्या ने आत्महत्या कर ली।
प्राप्त जानकारी के अनुसार लावण्या 5 वर्षों से सेंट माइकल गर्ल्स हॉस्टल में रह रही थी। यह हॉस्टल उसके स्कूल के पास ही है। सरकारी सहायता से चलने वाला यह ईसाई मिशनरियों का स्कूल उस पर निरंतर अपना धर्म त्याग कर ईसाई मत अपनाने का दबाव डालता रहता था। परंतु लावण्या हमेशा अपने धर्म पर अडिग रही और उसने इसाई बनना पूरी तरह ठुकरा दिया था। लावण्या के अपने धर्म पर अडिग रहने के कारण गुस्साए स्कूल ने पोंगल त्योहार के लिए उसकी छुट्टी का निवेदन भी रद्द कर दिया था। लावण्या छुट्टियों में अपने घर जाकर अपना पारंपरिक त्योहार पोंगल मनाना चाहती थी परंतु स्कूल ने छुट्टी नहीं दी और उसे खाना पकाने बर्तन धोने और शौचालयों की सफाई करने के लिए मजबूर किया।
इस सबसे परेशान होकर धर्म प्रेमी लावण्या ने स्कूल के बाग में प्रयोग होने वाले कीटनाशक को पी लिया। इसके बाद 9 जनवरी की रात को लावण्या की जब तबीयत खराब हो गई और उसे उल्टियां होने लगी तो हॉस्टल के द्वारा उसे स्थानीय क्लीनिक में ले जाया गया, साथ ही हॉस्टल के द्वारा छात्रा के माता-पिता को बुलाया गया और उसे उसके घर भेज दिया। इसके बाद लावण्या को तंजौर के सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में भर्ती करवाया गया। वहां के डॉक्टरों के अनुसार जहर के प्रभाव से छात्रा के फेफड़े 85% खराब हो चुके थे। फिर भी उसे बचाने के भरसक प्रयास किए गए परंतु अंततः छात्रा 19 जनवरी 2022 को धर्म परिवर्तन करवाने वाली स्थाई मिशनरियों की भेंट चढ़ गई और उसकी मौत हो गई।
इस बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें लावण्या नाम की यह छात्रा अपने पर हुए अत्याचार के बारे में बता रही हैं। बता दें कि यह वीडियो तमिल भाषा में है और इस वीडियो में मृतिका कह रही है कि मेरा नाम लावण्या है। स्कूल वालों ने मेरे सामने मेरे माता पिता उसे पूछा था कि क्या वह मुझे ईसाई मत में परिवर्तित कर सकते हैं और आगे की पढ़ाई के लिए मदद कर सकते हैं ? परंतु मैंने जब नहीं माना तो वह मुझे डांटते रहे। इसी बीच मृतिका लावण्या ने किसी राचेल मेरी का भी नाम लिया है जिसने उसे बहुत सताया था।
बलिदानी छात्रा का आखिरी बयान,ऊपर लिंक टच करें
अपनी बेटी की मौत से दुखी उसके परिजन और अन्य लोग 17 जनवरी को थिरूकत्तूपल्ली पुलिस थाने के बाहर इकट्ठा होकर उस ईसाई स्कूल के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग को लेकर प्रदर्शन करने लगे। प्रदर्शन करने वालों का आरोप था कि हॉस्टल के वार्डन सगयामरी ने लावण्या पर ईसाई बनने के लिए बहुत दबाव डाला था। जिस कारण उनकी बेटी ने दुखी होकर जहर पीकर अपनी जान देदी है। इस बीच जब अन्य हिंदू संगठनों को भी इस घटना का पता चला तो वह भी इसके विरोध में शामिल हो गए। विश्व हिंदू परिषद और हिंदू मुन्नानी ने भी लावण्या की हत्या के विरोध में आवाज उठाई है।
इस बारे में विश्व हिंदू परिषद के प्रदेश प्रवक्ता अरुमुगा कानी ने कहा कि हम तब तक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक लावण्या को इंसाफ नहीं मिलेगा। मिशनरी स्कूल द्वारा किए गए अत्याचार के विरोध में विश्व हिंदू परिषद ने 19 जनवरी को तंजावुर जिला सचिव मुथुवेल की अगुवाई में भूख हड़ताल भी की।
बता दें कि इस तरह की यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी बहुत सारी ऐसी ही घटनाएं हो चुकी हैं। सन 2019 में त्रिपुरा में जब एक 15 वर्ष के लड़के ने अपना हिंदू धर्म त्याग कर ईसाई बनने से इनकार कर दिया था तब उसके हॉस्टल के वार्डन ने उसे इतना पीटा था कि उसकी मौत ही हो गई थी।
इन सब हो रही घटनाओं के बाद अब अभिभावकों को इस बारे में जरूर सोचना पड़ेगा की वह अपने बच्चों को किन स्कूलों में पढ़ने के लिए भेजते हैं तथा उन स्कूलों की मानसिकता कैसी है ? अब हिंदुओं को बहुत ज्यादा जागरूक होने की आवश्यकता है क्योंकि ऐसे धर्म परिवर्तन वाले गैंग अब केवल स्कूलों में ही नहीं बल्कि गली-गली में भी घूम रहे हैं।
If she did not become a Christian, then the missionary school wreaked havoc, the student took a big step to protect Dharma – Death