ये कहने वाला है तेलंगाना और महाराष्ट्र के अखिल भारतीय सच्चे ईसाई परिषद का राज्य अध्यक्ष पादरी उपेंद्र राव।
ईसाई परिषद का राज्य अध्यक्ष
जिस पादरी उपेंद्र राव ने भारत का विभाजन कर एक हिस्सा ईसाईयों को देने की बात कही है वह कथित तौर पर तेलंगाना और महाराष्ट्र के अखिल भारतीय सच्चे ईसाई परिषद का राज्य अध्यक्ष भी है।
देशकी राजधानी दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में कभी नारे लगे थे – भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशा अल्लाह इंशा अल्लाह। इसके अलावा देश के विभिन्न हिस्सों से कई इस्लामिक कट्टरपंथी कई बार भारत के टुकड़े करने की है तथा वो लोग भारत का विभाजन करने की बात कह चुके हैं। लेकिन अब एक बार पुनः भारत के विभाजन की बात कही गई है। लेकिन अब ये इस्लामिक चरमपंथियों द्वारा नहीं बल्कि एक ईसाई पादरी द्वारा कहा गया है।
भारत का विभाजन
मिली सूचना के अनुसार दक्षिण भारत के राज्य आंध्र प्रदेश के एक ईसाई पादरी ने कहा है कि भारत का विभाजन कर देना चाहिए तथा एक टुकड़ा ईसाइयों को दे देना चाहिए, फिर हम आपको कभी परेशानी नहीं देंगे। भारत के विभाजन की बात कहने वाले इस पादरी का नाम के उपेन्द्र राव है तथा वह आंध्र प्रदेश के विशाखापतनम के अक्कायापलेम मेन रोड स्थित बाइबल ओपन यूनिवर्सिटी इंटरनेशनल का उप निदेशक है।
बता दें कि पादरी उपेंद्र राव का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह भारत को 2 हिस्सों में विभाजित करने की मांग कर रहा है। इस वीडियो में पादरी उपेंद्र राव को यह कहते सुना जा सकता है कि हम प्रिय नेता पीडी सुंदर राव के नेतृत्व में ऑल इंडिया ट्रू क्रिश्चियन काउंसिल की ओर से मांग करते हैं कि भारत को 2 हिस्सों में विभाजित किया जाना चाहिए, और ईसाइयों को एक अलग देश के तौर पर एक आधा हिस्सा दिया जाना चाहिए।
एक हिस्सा ईसाईयों को
इसके बाद वीडियो में पादरी आगे कहता है कि विभाजन के बाद हम आपको परेशानी नहीं देंगे। ये वीडियो एससी/एसटी राइट्स फोरम ने अपने ट्विटर पर साझा किया है। ये भी जानकारी मिली है कि जिस पादरी उपेंद्र राव ने भारत का विभाजन कर एक हिस्सा ईसाईयों को देने की बात कही है, वह कथित तौर पर तेलंगाना और महाराष्ट्र के अखिल भारतीय सच्चे ईसाई परिषद का राज्य अध्यक्ष भी है।
अभी तक तो केवल इस्लामिक चरमपंथी भारत के टुकड़े करने की बात करते देखे जाते थे, लेकिन अब ईसाई उन्मादी भी इसमें सम्मिलित हो गए हैं। ऐसे में हमारे सत्ताधीशों, हमारे राजनेताओं, हमारे लोकतंत्र के जिम्मेदारों की ये जिम्मेदारी बनती है कि वह ऐसे अलगाववादी सपोलों को फन उठाने से पहले ही कुचल दें। लापरवाही का हम 1947 में एक बार भुगत चुके हैं।
बहरहाल इस पादरी की हिंदुस्तान के विभाजन की मांग के बाद देश में रह रहे मूर्ख सेकुलरों की आंखें तो अब खुल ही जानी चाहियें (जो नहीं खुलेंगी) और उन्हें यह अच्छी तरह देख लेना चाहिए कि उनकी इस घटिया मानसिकता का कितना भयंकर परिणाम देश भुगत रहा है।