श्री राम जी का दुलार राम जी के चरणों मे पहुंच गया। हिन्दू जनमानस आपका सदैव ऋणी रहेगा 🙏🙏🙏🙏
प्रखर हिंदुत्ववादी राष्ट्रवादी नेता तथा उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह जी का निधन हो गया है। कल्याण सिंह जी के निधन के बाद देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है। कल्याण सिंह जी को बाबरी विध्वंस के समय उनके प्रखर निर्णयों के लिए याद किया जाता है। अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को लाखों की संख्या में कारसेवकों ने विवादित ढांचे का ध्वंस कर दिया। तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह जी ने कारसेवकों पर गोली नहीं चलवाई, भले ही उन्हें अपनी सरकार गंवानी पड़ी। इसके बाद उनके जीवन में कई राजनीतिक उठापटक आए लेकिन कल्याण सिंह का राम मंदिर और विवादित ढांचा विध्वंस पर स्टैंड कभी नहीं बदला🌹
जब जब कल्याण सिंह जी से बाबरी विध्वंस की घटना के बारे में पूंछा गया, उन्होंने हर बार बेबाकी से यही बोला कि विवादित ढांचे के गिरने का उन्हें कोई खेद नहीं है। 2009 में एक टीवी चैनल को इंटरव्यू के दौरान जब पत्रकार ने कल्याण सिंह जी से पूछा कि क्या वह खुद को लिब्राहन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार विवादित बाबरी मस्जिद विध्वंस का गुनहगार मानते हैं ? इस पर यूपी के पूर्व सीएम ने कहा कि मुझे लिब्राहन कमीशन की रिपोर्ट के बारे में दो शब्द कहने हैं। जिस रिपोर्ट को तैयार करने में लिब्राहन साहब ने 17 साल लिए, ये 70 दिन में तैयार हो सकती थी। 17 साल तक पैसा बर्बाद हुआ, 8 करोड़ रुपए खर्च हुए। इस रिपोर्ट में बाकी चीजें कम डिस्कस हुई हैं, लिब्राहन साहब ने राजनीति ज्यादा डिस्कस की है। यह रिपोर्ट कूड़ेदान में फेंकने के लायक है।
सैकड़ों साल से करोड़ों हिंदुओं की कुचली गई भावना का स्वतः स्फूर्त विस्फोट था
कल्याण सिंह जी ने आगे कहा था कि बाबरी विध्वंस कोई साजिश नहीं थी बल्कि सैकड़ों साल से करोड़ों हिंदुओं की कुचली गई भावना का स्वतः स्फूर्त विस्फोट था, जो 6 दिसंबर 1992 को उस घटना के रूप में सामने आ गया। कल्याण सिंह जी ने आगे कहा था कि हमने सुरक्षा के सारे प्रबंध किए थे। ये सच है कि उसके बावजूद भी ढांचा टूट गया। इसमें मेरा इतना ही कहना है कि कई बार ऐसे मौके आते हैं जब सुरक्षा के इंतजाम रखे रह जाते हैं और घटना घटित हो जाती है।
पत्रकार कल्याण सिंह जी से अगला सवाल पूछता है कि आपको तो बहुत मजबूत मुख्यमंत्री माना जाता था फिर भी ? कल्याण सिंह जी जवाब देते हैं कि मैं मजबूत मुख्यमंत्री था, इसमें कोई संदेह नहीं है। मैं तीन उदाहरण देना चाहता हूं – अमेरिका के राष्ट्रपति केनेडी की सुरक्षा के पक्के इंतजाम थे लेकिन घटना घटित हो गई। श्रीमति इंदिरा गांधी की सुरक्षा के पक्के इंतजाम थे लेकिन घटना घटित हो गई। राजीव गांधी की सुरक्षा के पक्के इंतजाम थे लेकिन घटना घटित हो गई। ऐसे ही 6 दिसंबर 1992 को ढांचे की सुरक्षा के पक्के इंतजाम होते हुए भी घटना घटित हो गई। लिब्राहन साहब को अपनी रिपोर्ट में इसे साजिश बताना नितांत गलत है।
अधिकारियों को यह मेरा आदेश था।
कल्याण सिंह जी ने कहा था कि मैंने अधिकारियों से साफ कह दिया था कि जो करना हो वो सभी उपाय कीजिए ढांचे की सुरक्षा के लिए। क्योंकि हमने वादा किया है लेकिन एक बात मैंने और साफ कह दिया था कि लाखों कारसेवक मौजूद हैं और उन पर गोली नहीं चलेगी। अधिकारियों को यह मेरा आदेश था। और इसमें अधिकारियों का कोई कसूर नहीं है। उन्होंने तो मेरे आदेश का पालन किया कि गोली नहीं चलेगी। क्योंकि गोली अगर मैं चलवा देता तो हजारों लोग मारे जाते भगदड़ में मारे जाते, गोली से मारे जाते और ढांचा फिर भी नहीं बचता।
इंटरव्यू के दौरान पत्रकार ने पूंछा कि आपने करोड़ों लोगों को बांटने का फैसला कर लिया सौ लोगों को मरने से बचाने के लिए ? इस पर कल्याण सिंह जी जवाब देते हैं – नहीं, मैंने कारसेवकों पर गोली चलवाने का पाप नहीं किया। कोई नहीं बंटा है। ये राजनीतिक लोग बांट रहे हैं। लोग नहीं बंटे हैं, आज भी लोग नहीं बंटे हैं। मेरा कहना इतना ही है कि ढांचा नहीं बचा मुझे कोई गम नहीं है इस बात का। और ढांचे के टूटने का न मुझे कोई खेद है, न पश्चाताप है और न ही प्रायश्चित है। नो रिग्रेट, नो रिपेंटेंस, नो सॉरो, नो ग्रीफ।
6 दिसंबर 92 को तो ढांचे की अंतिम पुण्यतिथि थी।
पत्रकार ने पूंछा कि इसका मतलब आपकी इच्छा थी ढांचा टूट जाए ? इस पर कल्याण सिंह जी जवाब देते हैं, ”इच्छा तो राम मंदिर की थी। ढांचा टूटने के बाद बहुत सारे लोग कहते हैं 6 दिसंबर 1992 की घटना राष्ट्रीय शर्म की बात है। मैं तो कहता हूं 6 दिसंबर 1992 की घटना राष्ट्रीय शर्म का नहीं राष्ट्रीय गर्व का विषय है। 6 दिसंबर 92 को तो ढांचे की अंतिम पुण्यतिथि थी। ढांचा टूटने के आसार कब शुरू हो गए थे ? जब वहां रामलला की मूर्ति की स्थापना हुई थी, किसका शासन था दोनों जगह ? कांग्रेस का। उसके बाद फिर ताला खोला गया रामलला की पूजा अर्चना के लिए, खुदा की इबादत के लिए नहीं। सरकार किसकी थी ? केंद्र में कांग्रेस की – उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की। उसके बाद वहां शिलान्यास हुआ। शिलान्यास मस्जिद का नहीं हुआ, शिलान्यास हुआ मंदिर बनाने का। किसके जमाने में हुआ ? सरकार कांग्रेस की थी केंद्र में और सरकार कांग्रेस की थी उत्तर प्रदेश के अंदर”
बता दें कि 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिराए जाने के 10 दिन बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लिब्राहन आयोग का गठन किया था। इस आयोग को जिम्मेदारी सौंपी गई कि बाबरी मस्जिद विध्वंस में शामिल लोगों का नाम सामने लाए। लिब्राहन आयोग ने लगभग 17 साल जांच करने के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपी और कल्याण सिंह को बाबरी मस्जिद ढांचा विध्वंस मामले में मुख्य किरदार बताया। लखनऊ की सीबीआई अदालत ने 28 साल बाद 30 सितंबर 2020 को इस मामले में अपना फैसला सुनाया। सभी 32 आरोपियों को बरी करते हुए कोर्ट ने कहा कि बाबरी विध्वंस सुनियोजित घटना नहीं थी।
सनातन🚩समाचार🌎 आज हिंदुओं के प्यारे भगवान श्री राम जी के दुलारे परम आदरणीय श्री कल्याण सिंह जी के श्री राम जी के चरणों में जा विराजने पर दिवंगत सरेष्ठ आत्मा को कोटि-कोटि नमन करता है🙏 वंदन करता है🙏
🚩🙏जय श्री राम🙏🚩 🚩🙏जय श्री राम🙏🚩
इतिहास या स्वप्रेरणा से हिन्दुत्व या सनातन धर्म के संघर्षरत हिन्दू वीरों की संवैधानिक, शारीरिक एवं आर्थिक सुरक्षा और उनके सम्मान के लिए व्यवस्था पर विचार करने की वर्तमान में प्रबल आवश्यकता है।सक्षम (धनवान,विधि-व्यवस्था ई, उच्च पदस्थ) हिन्दुओं से विचार-विमर्श कर हिन्दू योद्धा सुरक्षा ढांचा तैयार किया जाना चाहिए?
ताकि धर्म के लिए संघर्षरत लोग चिन्तामुक्त होकर धर्म युद्ध कर सकें।
अहिंसा परमो धर्म: धर्म हिंसा तदैव च
हर हर महादेव, हर हर महादेव